मोदी 87-88 में डिजिटल कैमरा और इंटरनेट का प्रयोग कर ही नहीं सकते थे!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू में दावा किया कि उन्होंने 1987-88 के आसपास इंटरनेट और डिजिटल कैमरा का प्रयोग किया.
उन्होंने कहा, “मैंने पहली बार शायद 87-88 में डिजिटल कैमरा का उपयोग किया था. उस समय बहुत कम लोगों के पास इंटरनेट उपलब्ध होता था. मेरे यहां आडवाणी जी की सभा थी, तो मैंने वो डिजिटल कैमरा पर उनकी फोटो ली. मैंने फोटो निकाली और दिल्ली को ट्रांसमिट की. दूसरे दिन कलर फोटो छपी. तो आडवाणी जी को बड़ा सरप्राइज हुआ कि दिल्ली में मेरी फोटो आज के आज कैसे छपी”
वेबसाइट फैक्टचेकर ने नरेंद्र मोदी के इस दावे को झूठा पाया है. असल में भारत में 1991 में पहला व्यावसायिक डिजिटल कैमरा कोडक 100 बेचा गया था, वहीं 15 अगस्त 1995 को ईमेल सुविधा शुरू हुई थी.
मीडिया कंसल्टेंट प्रसंतो कुमार रॉय के अनुसार, “1987 में किसी भी तरह का व्यावसायिक डिजिटल कैमरा आम लोगों के प्रयोग के लिए उपलब्ध नहीं था”
1975 में कोडक के स्टीवेन सैशन नाम के इंजीनियर ने दुनिया के पहले डिजिटल कैमरा का अविष्कार किया था. यह 0.1 पिक्सल की ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर लेने में सक्षम था. 1978 में इसका पेटेंट करवा लिया गया था, लेकिन कोडक के बाहर इसके बारे में बात करने की इजाजत स्टीवेन को नहीं थी.
पहले मेगापिक्सल डिजिटल कैमरा का प्रोटोटाइप 1986 में आया था. पहला व्यावसायिक डिजिटल कैमरा कोडक 100, 1991 में बाजार में आया. इसकी कीमत दस से बीस हजार डॉलर के बीच थी.
वहीं अगर इंटरनेट की बात करें तो 15 अगस्त 1995 को विदेश संचार निगम लिमिटेड ने भारत में इसकी शुरुआत की थी. नवंबर 1998 में सरकार ने यह सेक्टर प्राइवेट कंपनियों के लिए खोला था.
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दावे में यह साफ नहीं किया है कि आखिर उन्होंने किस तरह 1987 में फोटो को ट्रांसमिट किया. इसे लेकर सोशल मीडिया पर उनकी खूब खिल्ली उड़ाई जा रही है.
हालांकि 1887 के आसपास भारत में तकनीकि शिक्षा के केंद्रों और संस्थानों को आपस में जोड़ने के लिए एक विशेष प्रकार डायल लिंक सुविधा उपलब्ध कराई गई थी. लेकिन ये सुविधा आम जनता के लिए उपलब्ध नहीं थी. आम लोगों इंटरनेट सुविधा अगस्त 1995 में ही उपलब्ध हो पाई.