ऑफसेट करार को बदल मोदी सरकार ने पहुंचाया दसॉल्ट को बड़ा फायदा: द हिन्दू
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट सुरक्षा समिति ने राफेल सौदे के लिए भारत सरकार के साथ किए गए ऑफसेट समझौते में फ्रांस की विमानन निर्माता कंपनी दसॉल्ट एविएशन और एमबीडीए को ‘असाधारण’ और ‘अभूतपूर्व’ छूट प्रदान की. अंग्रेजी दैनिक दि हिन्दू ने राफेल सौदे की मानक प्रक्रिया में पीएमओ और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दखल की बात को आगे बढ़ाते हुए यह दावा किया है.
अखबार ने लिखा है कि इस छूट के चलते ही फ्रांस की इन दोनों कंपनियों ने रक्षा संस्करण प्रक्रिया, 2013 के प्रावधानों का पालन नहीं किया. उन्हें इन प्रावधानों के उल्लंघन की छूट शीर्ष स्तर से मिली.
इस छूट के चलते रक्षा प्रसंस्करण प्रक्रिया-2013 के अनुच्छेद 9 और अनुच्छेद 12 का उल्लंघन हुआ. अनुच्छेद 9 ऑफसेट समझौते में मध्यस्थता का प्रावधान करता है जबकि अनुच्छेद 12 के तहत औद्योगिक आपूर्तिकर्ताओं के खातों को देखा जा सकता है. इन दोनों प्रावधानों के उल्लंघन को अंतिम तौर पर मंजूरी तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद् (डीएसी) से मिली, हालांकि ऐसा करते हुए रक्षा मंत्री सहज नहीं थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कैबिनेट सुरक्षा समिति के दखल के चलते दो अन्य गंभीर और बाध्यकारी प्रावधानों का भी उल्लंघन हुआ. मानक खरीद प्रक्रिया के तहत रक्षा समझौते में किसी भी तरह के ‘अनुचित प्रभाव’ और ‘एजेंट कमीशन’ पर प्रतिबन्ध लगाया गया है. इसी अनुच्छेद में मानक प्रक्रियाओं का उल्लंघन करने के लिए आपूर्तिकर्ताओं पर दंड लगाने का भी प्रावधान है. अखबार ने लिखा है कि रक्षा अधिग्रहण परिषद् ने ऑफसेट समझौते से ये प्रावधान चुपचाप हटा लिए.
सुप्रीम कोर्ट को दिए गए जवाब में केंद्र सरकार ने ऑफसेट समझौते में हुई इस छेड़छाड़ की बात छिपा ली. दि हिन्दू ने लिखा है कि अगस्त 2015 में ऑफसेट नीति में चालाकी से बदलाव किए जिसकी पुष्टि 21 जुलाई, 2016 की तारीख वाले भारतीय खरीद दल की अंतिम रिपोर्ट से होती है.
राफेल सौदे पर दि हिन्दू ने सिलसिलेवार ढंग से तथ्यों और दस्तावेजों को सार्वजनिक कर यह लिखा है कि इस सौदे में स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्तर पर हस्तक्षेप कर मानक खरीद प्रक्रिया को अनिल अंबानी को फायदा पहुंचाने के लिए तोड़ा-मरोड़ा. इस रिपोर्ट से यह पता चलता है कि ऑफसेट समझौते में मन-मुताबिक़ बदलाव कर सरकार ने दसॉल्ट एविएशन को अभूतपूर्व फायदा पहुंचाया.