मोनसेंटो को जीएम कपास पर पेटेंट दावे की अनुमति


 

यह फैसला भारत में कपास बीजों का व्यापार करने वाली विदेशी कृषि कंपनियों के लिए अच्छी खबर हो सकती है.

सुप्रीम कोर्ट ने जीएम कपास बीज पेटेंट मामले में अमेरिकी कंपनी मोनसेंटो को जीन परिवर्धित (जीएम) कपास बीज पर पेटेंट का दावा करने की अनुमति दे दी है.

इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने मोनसेंटो को जीन परिवर्धित कपास बीज पर पेटेंट का दावा करने करने की अनुमति देने से इंकार कर दिया था.

मोनसेंटो बायोटेक इंडिया मोनसेंटो (अमेरिका) और महाराष्ट्र हाइब्रिड सीड्स कंपनी का संयुक्त उपक्रम है. यह लाइसेंस के तहत 40 भारतीय बीज कंपनियों को जीएम कपास बीज बेचता है.

साल 2015 में एक भारतीय कंपनी नुजिवीडू सीड्स लिमिटेड के साथ मोनसेंटो का कांट्रेक्ट खत्म हो गया था. उसके बाद दोनों के बीच रायल्टी भुगतान और पेटेंट के मुद्दे पर मतभेद हो गए. मोनसेंटो का कहना था कि कांट्रेक्ट खत्म होने के बाद भी वह अपने उत्पादों पर पेटेंट का दावा कर सकती है.

हालांकि इस विवाद पर दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि वह जीन परिवर्धित (जीएम) कपास बीज पर पेटेंट का दावा नहीं कर सकती है. मोनसेंटो ने दिल्ली हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल मई में नुजिवीडू सीड्स लिमिटेड को नोटिस जारी किया था.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मोनसेंटो के पेटेंट दावों की जांच दिल्ली हाई कोर्ट करेगा. इस बात का निर्णय भी दिल्ली हाई कोर्ट ही करेगा कि वास्तव में नुजिवीडू ने इंटेलेक्चुअल प्रापर्टी राइट्स का उल्लंघन किया है या नहीं.


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