राजकोषीय घाटे के लक्ष्य में भारत के पिछड़ने पर मूडीज चिंतित


Moody's expressed concern over not meeting the fiscal deficit target

  फ़ाइल फोटो

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस का कहना है कि कर कटौती और आने वाले चुनावों को देखते हुए सरकार का खर्च बढ़ना भारत की साख के लिए ठीक नहीं है. इसके साथ ही मूडीज की ओर से लगातार दो वित्त राजकोषीय घाटे के बजटीय लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाने पर चिंता जताई गई है.

सरकार ने अप्रैल-मई में होने वाले आम चुनावों को देखते हुए 2019-20 के अंतरिम बजट में किसानों को आय समर्थन देने के लिए ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’ योजना की घोषणा की है जिससे उसका खर्च बढ़ेगा तो दूसरी तरफ मध्यवर्ग के लिए आयकर कटौती का भी प्रस्ताव किया है. इससे राजकोषीय घाटे की स्थिति पर दबाव बढ़ने की आशंका है.

चालू वित्त वर्ष में सरकार ने राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है. यह सरकार के 2018-19 के बजट लक्ष्य 3.3 प्रतिशत से ज्यादा है. इसके अलावा सरकार 2017-18 में भी राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाई थी.

वित्त वर्ष 2019-20 के प्रस्तावित अंतरिम बजट में की गई घोषणाओं को देखते हुए भी राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पाना मुश्किल नजर आ रहा है.

मूडीज का कहना है, “आगामी चुनाव को देखते हुए खर्च बढ़ाने और कर कटौती प्रस्ताव से राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाना देश की क्रेडिट रेटिंग के लिए नकारात्मक है.”

मूडीज का कहना है कि सरकार का लगातार दो वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे के बजटीय लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाना मध्यम अवधि में राजकोषीय समेकन के लिए ठीक नहीं है.

इसके अलावा सरकारी बैंकों के लिए सरकार के पास कोई औपचारिक पूंजी समर्थन योजना नहीं होने का भी देश की क्रेडिट रेटिंग पर नकारात्मक असर पड़ेगा.

रेटिंग एजेंसी ने कहा कि बजट में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए कोई पूंजी समर्थन योजना नहीं रखी गई है. साथ ही सरकार ने पिछले साल के बजट में घोषित सार्वजनिक क्षेत्र की तीन साधारण बीमा कंपनियों के विलय पर भी कोई योजना पेश नहीं की है. यह विलय कार्यक्रम को लेकर सरकार की अस्पष्टता को दिखाता है.


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