हरियाणा: पशु व्यापारियों का आरोप, गोकशी के झूठे मामलों में फंसा रही सरकार


man get ten year imprisonment in calf slaughter case

 

गुरुग्राम-अलवर हाईवे पर 15 हजार की जनसंख्या वाला घासेरा नामक एक गांव है. हरियाणा गोवंश संरक्षण और गो-संवर्धन अधिनियम 2015 के तहत अपने खिलाफ छह से ज्यादा मामलों का सामना कर रहे 49 वर्षीय जुबैर इसी गांव के रहने वाले हैं.

जुबैर की अपनी डेरी है और साथ ही वो घरेलू पशुओं का व्यापार भी करते हैं. जुबैर के पास गायें आदि मिलाकर कुल 70 जानवर हैं. वो कहते हैं,”2015 के बाद मेरे खिलाफ गायें एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के दौरान गोहत्या का आरोप लगाते हुए करीबन छह मामले दर्ज किए गए हैं. मैं बेगुनाह हूं और मुझे कानून पर पूरा विश्वास है.”

द हिंदू की खबर के मुताबिक जुबैर का आरोप है कि पुलिस अपने फायदे के लिए जान-बूझकर पशु व्यापारियों और डेरी मालिकों पर निशाना साध रही है. वो कहते हैं,”पुलिस गोरक्षकों के साथ मिलकर गलत मामले दर्ज कर रही है ताकि वो लोगों को धमकी देकर उनसे अच्छा पैसा वसूल कर सके.”

चार साल में 1000 से ज्यादा मामले दर्ज

नया कानून आने का बाद बीते चार साल में अकेले नूह क्षेत्र में एक हजार से ज्यादा मामले में दर्ज किए गए हैं. इनमें से कई मामलों में आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं. जिसकी वजह से आरोपी व्यक्ति रिहा किए गए हैं.

इस साल की शुरुआत में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने भी इस मामले में संज्ञान लिया था. जिसके बाद हरियाणा पुलिस ने नूह पुलिस अधिकारियों को नए कानून के तहत ट्रेंनिग देने का फैसला किया.
इस तरह के करीबन 10 मामलों में पैरवी कर रहे वकील ताहीर देवला ने बताया कि पुलिस इस नए कानून के तहत झूठे मामले तो दर्ज कर लेती है लेकिन कानूनी प्रक्रिया के सामने इनमें से अधितर मामले नहीं टिक पाते हैं.

वो कहते हैं,”सामान्य सा कानून है जो गायों का राज्य के बाहर गोहत्या के लिए ले जाने पर रोक लगाता है और साथ ही हरियाणा में गाय मांस और गोहत्या पर रोक लगाता है. पुलिस वाले दुधारू गायों को राजस्थान से हरियाणा ला रहे लोगों पर इस कानून के तहत गलत मामला दर्ज करते हैं. लेकिन जब मामला कोर्ट पहुंचता है तो वो साबित नहीं कर पाते हैं.”

ऑल इंडिया मेंवाती समाज के अध्यक्ष रमजान चौधरी दावा करते हुए कहते हैं, “गोहत्या के बहुत से मामलों में शामिल अमीर लोगों को तो पुलिस छोड़ देती है लेकिन आम व्यापारी से पैसा वसूलने के लिए उन्हें जबरदस्ती झूठे केस में फंसाती है.”

पुलिस का आरोपों से इनकार

नूह पुलिस अधीक्षक संगीता कालिया ने इन सभी आरोपों को ‘निराधार’ करार दिया है. वो कहती हैं,”अगर कोई भी पुलिसवाला इस तरह की गतिविधियों में शामिल होगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई जरूर की जाएगी.” वो बचाव करते हुए कहती हैं कि “दरअसल गाय गैर-कानूनी रूप से ज्यादातर रात के समय ही लाई जाती हैं ऐसे में हम चश्मदीद गवाह नहीं पेश कर पाते हैं.

उन्होंने बताया,”चालान काटने और इन मामलों में सबूत इकट्ठा करने के लिए एक अलग सेल बनाया गया है. हम गिरफ्तारी के मामलों में फोरेंसिक टीम की भी मदद ले रहे हैं ताकि आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत जुटाए जा सकें.”


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