गली बॉय: जिसे देख कर हर कोई झूमेगा!


Movie Review of Gully Boy

 

निर्देशक : जोया अख्तर

लेखक : जोया अख्तररीमा कागतीविजय मौर्या (संवाद)

कलाकार : रणवीर सिंहआलिया भट्टसिद्धांत चतुर्वेदीविजय राज,  अमृता सुभाषशीबा चढ्डाकल्कि कोचलिन

रैप एक विवादास्पद सी विधा रही है. गाना या कविता के माध्यम से विरोध प्रकट करने का एक तरीका है- रैप. मूलत: अमेरिकी-अफ्रीकी कलाकारों द्वारा इसका प्रयोग किया गया है. रैप के माध्यम से बिना हिंसात्मक रवैये के ये लोग जातिवाद, रंगभेद इस तरह के भेदभावों के लिए लड़ते थे. रैप के माध्यम से समाज से इस तरह के भेदभाव को दूर करना इनका मकसद था. भारत में रैप और रैपरों के बारे में किसी भी प्लेटफॉर्म पर कोई ज्यादा जिक्र नहीं हुआ है. ‘गली बॉय’ बॉलीवुड में रैपरों की जिंदगी पर बनने वाली पहली फिल्म है. रणवीर सिंह और अलिया भट्ट के धुआंधार अभिनय और जोया अख्तर के शानदार निर्देशन में बनी ‘गली बॉय’ दर्शकों को बॉलीवुड की तरफ से नए साल का एक नायाब तोहफा है.

‘गली बॉय’ के ‘मुराद’ नामक किरदार में रणवीर सिंह इस कदर उतरे हैं, लगता ही नहीं है कि यही शख्स खतरनाक अलाउद्दीन खिलजी बना था या कुछ समय पहले हंसोड़ पुलिस वाला सिम्बा. रणवीर सिंह ने बेहद इंटेंस एक्टिंग की है और रैपर के किरदार में वे छा गए हैं. रणवीर सिंह अभिनय, संवाद अदायगी, अपनी आवाज में रैप गाने यानी हर काम में अव्वल रहे हैं.

आलिया भट्ट ने उनका साथ कमाल का दिया है और ‘सफीना’ की भूमिका में वे बहुत प्रभावी लगती हैं. आलिया ने समाज के बंधनों में बंधी  प्रेम-कहानी में प्यार, जलन, तड़प और अपने नरम-गरम मिजाज के भावों को बड़े अद्भुत तरीके से उकेरा है. यह कहना गलत नहीं होगा कि यह उनके सर्वश्रेष्ठ किरदारों में से एक है. अलहड़, बोल्ड, एग्रेसिव और हठेली लड़की के रोल में आलिया ने दमदार अभिनय किया है.

‘एमसी शेर’ के किरदार में सिद्धांत चतुर्वेदी छा जाते हैं और वे एक रैपर ही लगते हैं. सिद्धांत चतुर्वेदी फिल्म के सरप्राइज पैकेज हैं. उन्होंने उम्दा काम किया है. रैपर के स्वैग, एटिट्यूड, बॉडी लैंग्वेज और एक्सप्रेशन को उन्होंने बखूबी पकड़ा है. यह कहना गलत नहीं होगा कि वे फिल्म के दूसरे रणवीर सिंह हैं! मुराद के पिता के रोल में विजय राज ने विलक्षण काम किया है. उनका गुस्सैल और भावुकता का कोम्बिनेशन कमाल का ही है. मुराद के दोस्त और उस पर हावी रहने वाले मोईन के रोल में विजय राज बेहद गहरी छाप छोड़ते हैं.

‘गली बॉय’ मुंबई झुग्गी बस्तियों से निकले हिपहॉप म्यूजिशियन और रैपर की कहानी है. यह फिल्म स्ट्रीट-रैपर्स ‘डिवाइन’ और ‘नावेद शेख’ उर्फ ‘नेजी’ की जिन्दगी से प्रेरित है. कुछ साल पहले इन दोनों रैपर्स ने मिलकर मुंबई, झुग्गी बस्तियों और यहां की गलियों पर रैप सॉन्ग्स बनाए थे जो बहुत लोकप्रिय हुए थे. उनका बनाया गाना ‘मेरी गली में’ काफी लोकप्रिय हुआ था. हालांकि ‘गली बॉय’ डिवाइन और नेजी की बायोपिक नहीं बल्कि एक फिक्शन स्टोरी है, इसके बावजूद पटकथा का एक बड़ा हिस्सा इन दोनों की कहानी से मिलता-जुलता है.

‘गली बॉय’ ‘अंडरडॉग’ की कहानी है जो प्रतिभा से भरपूर है. हालांकि इस तरह की कहानी बॉलीवुड फिल्मों में नई बात नहीं है. लेकिन इस साधारण कहानी को जिस तरीके से ज़ोया अख्तर ने पेश किया है वो फिल्म को देखने लायक बनाता है. साथ ही कहानी को धार देने के लिए कई बातें इसमें जोड़ी गई है. समाज में आर्थिक अंतर, सपना पूरा करने की जिद, पैरेंट्स का बच्चों पर दबाव बनाना जैसी बातें फिल्म की मुख्य कहानी के साथ दौड़ती रहती हैं.

मुराद (रणवीर सिंह) मुंबई स्थित धारावी में रहता है. उसके पिता (विजय राज) ड्रायवर हैं जो किसी तरह अपने बड़े परिवार का खर्चा चलाते हुए मुराद को पढ़ा-लिखा रहे हैं. मुराद रैपर बनना चाहता है और परिवार से छिपकर अपना शौक पूरा करता है. सफीना (आलिया भट्ट) मुराद की गर्लफ्रेंड है जो डॉक्टर बनना चाहती है और मुराद को बेहताशा चाहती है. मुराद को एमसी शेर (सिद्धांत चतुर्वेदी) और स्काय (कल्कि कोचलिन) जैसे दोस्तों का साथ मिलता है और वो ऐसी दुनिया में पहुंच जाता है जिसका उसने सपना भी नहीं देखा था, लेकिन इसके पहले उसके रास्ते में कई रूकावट आती हैं.

सिनेमेटोग्राफी की बाते करें तो जय ओझा ने धारावी की चॉल और गलियों को जिस तरह से अपने कैमरे के माध्यम से पर्दे पर जीवंत किया है वह कमाल का है. फिल्म हद दर्जे का रियलिज्म लिए है, इस कारण यह कहीं भी धारावी को एक बाहरी व्यक्ति के तौर पर एक्सप्लोर करने वाली महसूस नहीं होती. लगता है जैसे ज़ोया अख्तर धारावी में पली-बढ़ी हैं. इसीलिए उन्हें पता है की पर्दे पर धारावी को दर्शकों से कैसे मिलवाना है. ‘गली बॉय’ देखते वक्त दर्शक झोपड़पट्टियों से पटी पड़ी धारावी को न सिर्फ सांस लेते हुए देखते हैं बल्कि वहां मौजूद हर गंध को अपने नथुनों में महसूस करते हैं.

फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष कलाकारों की शानदार एक्टिंग के साथ उसके गाने हैं. इस फिल्म में 18 गीतों-कविताओं वाला संगीत है, जो खुद धारावी की तरह इस फिल्म का एक मजबूत किरदार है. नैरेटिव में खूबसूरती से पिरोए गए गीत हैं और कविता की टेक लेने वाले रैप तो हर जगह ही शानदार है. इस फिल्म के गाने मूवी रिलीज से पहले ही हिट हो चुके हैं. इन गानों में रणवीर ने अपने सिंगिंग टैलेंट का लोहा मनवाया है. उनकी आवाज में बने गाने शानदार बन पड़े हैं. सभी गानों के लिरिक्स दमदार हैं और सीधा दिल से कनेक्ट करते हैं. कई सीक्वेंस में फिल्माए गए रैप बैटल जबरदस्त बन पड़े हैं. ‘अपना टाइम आएगा’ गाना फिल्म रिलीज से पहले से लोगों की जुबान पर चढ़ चुका था, इस गाने में रणवीर ने गजब की एनर्जी दिखाई है. फिल्म के संवाद काफी प्रभावी हैं और कहीं-कहीं तो खासा असर छोड़ते हैं.

‘गली बॉय’ देखने के बाद यह कहना दो राय नहीं है कि रणवीर सिंह अपने समय के शानदार कलाकार हैं और किरदार में उतर जाने में वो उस्ताद हो चुके हैं. ‘गली बॉय’ की कहानी बहुत ही इंस्पिरेशनल है और एंटरटेनमेंट के साथ इस तरह गुंथी हुई है कि देखकर मजा ही आ जाता है. ज़ोया अख्तर ने अपने डायरेक्शन, रणवीर सिंह और आलिया भट्ट ने अपनी एक्टिंग और फिल्म में दिखने वाले जुनून ने दिल जीता है.

रैप म्यूजिक पर बेस्ड ‘गली बॉय’ को लेकर जबरदस्त बज बना हुआ है. इस  फिल्म में यूथ को कनेक्ट करने वाला हर मसाला है. इसका झूमने को मजबूर कर देने वाला म्यूजिक, क्लासिक एक्टिंग, सधा हुआ डायरेक्शन और सबसे बड़ी बात जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा है. ऐसी फिल्में बॉलीवुड में कम ही बनती हैं, जिनमें एंटरटेनमेंट के साथ इस तरह का इंस्पिरेशनल मैसेज भी रचा-बसा हो. फिल्म की लम्बाई इसका एक नकारात्मक पक्ष है. लेकिन ‘गली बॉय’ आज आज के दौर की बेहतरीन फिल्म है, जिसे एक बार देखना तो बनता ही है. रैप कल्चर के दीवानों के लिए ये फिल्म ट्रीट है.


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