मप्र डायरी: शिवराज ने अगर यूरिया दिलवाया तो प्रदेश को हक का पैसा भी दिलवाएं


MP Diary: If Shivaraj gets urea, get the state's right as well

 

बीते छह माह से मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के मंत्री केन्‍द्र पर भेदभाव के आरोप लगा रहे हैं. कांग्रेस कई दफा कह चुकी है कि केन्‍द्र सरकार प्रदेश को अतिरिक्‍त सहायता तो दूर मध्य प्रदेश को उसके हक का पैसा भी नहीं दे रही है.

केन्‍द्रीय कर की हिस्‍सेदारी नहीं मिलने और केन्‍द्र की योजनाओं का रूका पैसा भी न मिलने से राज्‍य सरकार पर आर्थिक संकट की मार है. ऐसे में अतिवृष्टि पीडि़त किसानों को राहत राशि देने और कर्जमाफी करने में सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

प्रदेश के मंत्री खुला आरोप लगा चुके हैं कि पूर्व मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित दूसरे बीजेपी नेताओं ने जानबूझ कर केन्‍द्र में मध्य प्रदेश का पैसा रुकवाया है. पूर्व मुख्‍यमंत्री और कांग्रेस से राज्‍यसभा सदस्‍य दिग्विजय सिंह ने तो शिवराज को आमंत्रण दिया कि वे उनके साथ प्रधानमंत्री मोदी से मिलें और मध्य प्रदेश को उसका हिस्‍सा दिलवाने की पहल करें. इस बीच प्रदेश में यूरिया संकट गहरा गया.

यूरिया के लिए मारामारी इस हद तक बढ़ गई कि प्रदेश से हिंसा की खबरें आने लगीं. मुख्‍यमंत्री कमलनाथ और कृषि मंत्री सचिन यादव ने दिल्‍ली जा कर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और उर्वरक मंत्री सदानंद गौड़ा से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद केंद्र सरकार ने प्रदेश को 2.88 लाख मीट्रिक टन अधिक यूरिया देने का निर्णय लिया. इस संबंध में कृषि मंत्री सचिन यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ के प्रयासों की वजह से केन्द्र सरकार ने यूरिया को लेकर की गई मांग को मान लिया है.

दूसरी तरफ, जिस दिन यह निर्णय हुआ था उसी दिन पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज ने दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर से मुलाकात की थी. शिवराज ने कहा कि उन्‍होंने अतिरिक्त यूरिया देने की मांग की थी जिसे मान लिया गया है. श्रेय लेने के फेर में शिवराज कांग्रेस द्वारा लगाए जा रहे प्रदेश का पैसा रुकवाने जाने के आरोपों को भूल गए.

कांग्रेस नेता कह रहे हैं कि जब शिवराज के कहने से केन्‍द्र अधिक यूरिया दे सकता है तो वे मप्र को उसके हक का पैसा और अतिवृष्टि प्रभावित किसानों को राहत देने के लिए अतिरिक्‍त राशि भी दिलवाएं या कमलनाथ सरकार पर आरोप लगाना बंद करें. बीजेपी सांसद व अन्‍य नेता किसान हितैषी हैं तो वे उनके हक में केन्‍द्र सरकार के सामने आवाज बुलंद करें.

क्‍या विधानसभा में दिखेंगे बीजेपी के तीखे तेवर?

मध्य प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र 17 दिसंबर से आरंभ हो रहा है. इस सत्र में कुल पांच बैठकें होना है मगर बीजेपी ने किसान कर्जमाफी, आपदा से हुई बर्बादी में मुआवजा की जानकारी, यूरिया की किल्लत, कानून व्यवस्था, दुष्कर्म के बढ़ते मामले, ओला और बारिश से हुए नुकसान जैसे मुद्दों को उठा कर सरकार को घेरना चाहती है.

वह जिला मुख्‍यालयों पर दो बार बड़े प्रदर्शन कर चुकी है. अब विधानसभा में सरकार पर हमलावर होने की बारी है.

बीते सत्रों में बीजेपी नेता विधानसभा में बंटें हुए नजर आए थे. फ्लोर मैनेजमेंट की कमी के कारण ही पिछले सत्र में बीजेपी के दो विधायकों ने पार्टी लाइन के अलग जाकर सरकार के पक्ष में वोटिंग कर दी थी. इसके बाद पार्टी नेताओं की अच्‍छी खासी किरकिरी हुई थी.

किसी भी तरह की गफलत से बचने के लिए बीजेपी ने सत्र की पूर्व संध्‍या 16 दिसंबर की शाम को विधायक दल की बैठक बुला ली है. देखना दिलचस्‍प होगा कि इस बार सदन में तीन बड़े नेता शिवराज सिंह चौहान, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव और मुख्‍य सचेतक डॉक्टर नरोत्‍तम मिश्रा एक राय नजर आएंगे या खेमेबंदी कायम रहेगी.

शुद्ध के लिए युद्ध के बाद अब माफिया पर वार!

कमलनाथ सरकार ने मिलावट के खिलाफ शुद्ध के लिए युद्ध चलाया हुआ है. इसके बाद अब माफियाराज को खत्म करने के लिए मुहिम छेड़ दी गई है.

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भू-माफिया, शिक्षा माफिया और शराब माफिया के खिलाफ सख्‍ती के निर्देश दिए तो पुलिस ने फौरन प्रकरण दर्ज करने शुरू कर दिए हैं.

सीएम हेल्पलाइन के जरिए माफिया की जानकारी सरकार को दी जा सकती है. शिकायतकर्ता का नाम गोपनीय रखने का वादा किया गया है. इंदौर में अभियान के पहले दिन 250 से ज्‍यादा फोन और 95 शिकायतें अधिकारियों के मार्फत पहुंचीं.

भोपाल और जबलपुर में बीजेपी नेताओं व उनके करीबियों के कब्‍जों व अति‍क्रमण को हटाया गया. शहरों में नेताओं के रसूख के कारण उभरे गुमटी माफिया के खिलाफ बरसों से शिकायतें जारी हैं. प्रशासन मुख्‍यमंत्री ने निर्देश पर गुमटी, रेत और शिक्षा माफिया पर सख्‍ती दिखाएगा तो यह मुहिम सचमुच ऑपरेशन क्‍लीन साबित होगी.


Big News