मप्र डायरी: सदस्यता खोने वाले विधायक ने बढ़ाया बीजेपी का तनाव
कुछ माह पहले विधानसभा में दो विधायकों द्वारा सरकार के पक्ष में क्रॉस वोटिंग करने से बीजेपी की किरकिरी हुई थी. हाईकमान ने पूरे मामले पर प्रदेश संगठन को सचेत रहने की हिदायत भी दी. एक बार फिर प्रदेश संगठन सांसत में पड़ गया जब पवई से बीजेपी विधायक प्रह्लाद लोधी को साल 2014 में तहसीलदार से पिटाई के मामले में दोषी ठहराया गया. जैसे ही भोपाल के स्पेशल कोर्ट ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई विधानसभा अध्यक्ष ने लोधी की सदस्यता खत्म कर दी. इस त्वरित कार्यवाही को बीजेपी प्रदेश संगठन समझ पाता इसके पहले केंद्रीय नेतृत्व ने तुरंत मोर्चा संभालने को कहा. हाईकमान के निर्देश पर बीजेपी नेता सक्रिय हुए और आनन-फानन में शिकायत लेकर राज्यपाल के पास पहुंचे.
पवई की जीत से पूर्ण बहुमत का खुलेगा रास्ता
असल में मध्य प्रदेश में कांग्रेस अपने विधायकों के साथ बहुमत से मात्र एक सीट दूर है. यदि पवई सीट पर उपचुनाव होता है और झाबुआ की तरह पवई भी कांग्रेस जीत लेती है तो विधानसभा में उसके 216 विधायक होंगे. फिर उसे किसी अन्य दल के समर्थन की जरूरत नहीं होगी. पवई के खोने पर बीजेपी का एक विधायक और कम हो जाएगा. इस अंक गणित के कारण बीजेपी नेतृत्व किसी हालत में लोधी की सदस्यता जाने नहीं देना चाहती है.
इधर जब जबलपुर हाईकोर्ट ने विधायक लोधी की सजा पर स्टे दिया तो बीजेपी नेताओं की सांस में सांस आईं मगर तभी लोधी ने विधानसभा अध्यक्ष पर आरोप मढ़ दिया. जहां एक ओर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष राकेश सिंह ने अध्यक्ष पर आरोप लगाते समय संयमित भाषा का प्रयोग किया लेकिन लोधी ने सीधे-सीधे उन्हें दो करोड़ रुपये में खरीदने की कोशिश का आरोप लगाया. अध्यक्ष ने भी कह दिया है वे कानूनी राय ले रहे हैं. राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी. यानी, अब लोधी की सदस्यता बहाली आसान नहीं है.
शीतकालीन सत्र में सरकार को घेरने की तैयारी में बीजेपी
बीजेपी ने झाबुआ सीट खो दी है. पवई सीट पर पार्टी विधायक की सदस्यता खत्म की जा चुकी है. इसे बहाल करवाने में कानूनी पापड़ बेलने होंगे. ऐसे में किसी और सीट पर संकट खड़ा होने से बचने के लिए प्रबंधन की तैयारी की जाने लगे है.
बीजेपी दिसंबर में होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सरकार को घेरना चाहती है. इसके लिए नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने अपने विधायकों को तैयारी करने के निर्देश तो दिए ही हैं उन्हें कानूनी पेंच से मुक्त रखने का भी प्रबंधन शुरू किया है. नेता प्रतिपक्ष ने अपने सभी विधायकों को पत्र लिखकर कहा है कि सभी अपने इलाके की समस्याओं और जनता से जुड़े गंभीर मुद्दों को उनतक पहुंचाएं, ताकि सत्र के दौरान सरकार से पूछे जाने वाले सवालों की तैयारी की जा सके.
भार्गव ने खत में विधायकों से उनके खिलाफ लंबित न्यायालयीन प्रकरणों की भी जानकारी मांगी है. उन्हें भय है कि विधायक किसी कानूनी संकट में उलझेंगे तो सदन में बीजेपी की ताकत घट जाएगी. वे चाहते हैं कि चालू प्रकरणों की जानकारी रहेगी तो बेहतर विधिक सहायता दी जा सकेगी. पार्टी नेतृत्व हर गंभीर केस पर नजर रखेगा.
किसानों के हित में दिग्विजय सिंह के पत्र पर चुप्पी
मध्य प्रदेश में मौसम की मार झेल रहे किसानों के हित की चिंता दिखाने वाले बीजेपी नेता पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह के पत्र के बाद भी चुप हैं. सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित प्रदेश के सभी 28 लोकसभा और 10 राज्यसभा सदस्यों को पत्र लिखकर केन्द्र से राहत राशि दिलाने के लिए एक मंच पर आने की बात कही है. सिंह ने कहा है कि प्रदेश के साथ हो रहे सौतेले व्यवहार को लेकर वे जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे. अतिवृष्टि से पीड़ित किसानों को सहायता दिलाने के लिए बीजेपी सांसदों का कर्तव्य है कि वो प्रदेश के विकास में अपनी भूमिका का निर्वहन करते हुए केन्द्र सरकार से राशि दिलाने की मांग करें.
दिग्विजय सिंह ने शिवराज सिंह को पत्र लिखकर कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी आपकी बात नहीं टालेंगे और यदि वे बात नहीं मानते हैं तो हमारे साथ चलिए और दिल्ली में धरना दीजिए. इस पत्र पर बीजेपी के किसी बड़े नेता ने प्रतिक्रिया नहीं दी है. सिंह का कहना है कि प्रदेश सरकार ने अपने बजट से फौरी तौर पर राहत पहुंचाने का काम किया है, लेकिन केन्द्रीय दल के दौरे के बाद भी केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय राहत कोष से 6 हजार 621 करोड़ रुपये की राहत राशि जारी नहीं की है. साथ ही सड़कों समेत विकास कार्यों के लिए दो हजार 258 करोड़ रुपये अभी तक राज्य सरकार को नहीं मिल पाया है. ऐसे में बीजेपी नेताओं को प्रदेश के हक में अपने प्रभाव का उपयोग करना चाहिए.