मानवाधिकारों की बात करने वाले ही जेल में: नसीरुद्दीन शाह
बॉलीवुड अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने एक बार फिर दोहराया है कि देश के मौजूदा हालात चिंताजनक हैं. एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा है कि आज देश में अन्याय के खिलाफ खड़े होने वाले लोगों की आवाज को ही दबाया जा रहा है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने जो वीडियो जारी किया है, उसमें नसीरुद्दीन ये कहते हुए सुने जा सकते हैं कि देश में कलाकार, अभिनेता, शोधार्थियों और कवियों की आवाज दबायी जा रही है. वे कहते हैं कि जिन लोगों ने मानवाधिकारों की बात कही, उन्हें जेल में डाल दिया गया.
अन्याय के खिलाफ खड़े होने वाले लोगों के कार्यालयों में छापे मारे जाते हैं, उनके लाइसेंस रद्द किए जाते हैं और उनके बैंक खातों को फ्रीज कर दिया जाता है ताकि वे अपनी बात नहीं रख सकें.
नसीरुद्दीन यहीं नहीं रुके. उन्होंने कहा कि देश के मौजूदा हालातों में सिर्फ ताकतवर लोगों की बातों को ही सुना जा रहा है.आम जनता से जुड़े मुद्दों और समस्याओं पर किसी का ध्यान नहीं है.
अपनी बात में उन्होंने यह भी जोड़ा है कि भारत का संविधान हमें अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार देता है. हमारे पास किसी भी धर्म को मानने और इबादत करने का भी अधिकार है. लेकिन, अब देश में धर्म के नाम पर नफरतों की दीवार खड़ी की जा रही है. जो लोग पूरी तरह निर्दोष हैं, उन्हें नफरत की इस हिंसा का शिकार होना पड़ रहा है.
नसीरुद्दीन शाह ने कुछ ही दिनों पहले देश में बढ़ रही धार्मिक कट्टरता पर भी चिंता व्यक्त की थी. उन्होंने कहा था कि उन्हें डर कि कहीं उनके बच्चों को भविष्य में कोई हिन्दू या मुसलमान के नाम पर मार न दे. नसीरुद्दीन शाह के इस बयान पर काफी विवाद खड़ा हुआ था.
बता दें कि बीते कुछ सालों में भारत की उदार सांस्कृतिक और सामाजिक छवि दुनिया भर में धक्का लगा है. कुछ दिनों पहले ‘दि इकॉनामिस्ट’ पत्रिका ने भी अपने वार्षिक अंक में इस बात को रेखांकित किया है. उसने देश में खास तौर पर पत्रकारों और बुद्धिजीवियों की आवाज दबाने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में बने माहौल को जिम्मेदार माना है.