राष्ट्रीय शिक्षा नीति में नर्सिंग और डेंटल ग्रेजुएट के लिए लैटरल एंट्री का प्रस्ताव


budget allocation on health services is very low

 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 के ड्राफ्ट में मेडिकल की पढ़ाई में कई बड़े बदलाव करने के प्रस्ताव रखे गए हैं. इसमें लैटरल एंट्री और मेडिकल संस्थानों की फीस संरचना में बदलाव करने से जुड़े प्रस्ताव प्रमुख हैं.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, ड्राफ्ट में नर्सिंग और डेंटल ग्रेजुएट छात्रों के लिए एमबीबीएस कोर्स में लैटरल एंट्री का प्रस्ताव रखा गया है. इसके अलावा ड्राफ्ट में दवा, नर्सिंग और दंत चिकित्सकों के लिए मौजूद विभिन्न परिषदों को खत्म करने का प्रस्ताव भी है. ड्राफ्ट में इनकी जगह पेशेवर मापदंडों को बनाने, निजी निरीक्षण और पांच साल के अंतराल पर एनएएसी रैटिंग या निरीक्षण का सुझाव दिया गया है.

ड्राफ्ट के मुताबिक, पेशेवर कोर्स पढ़ाने वाले संस्थानों का हर पांच साल में एनएएसी और पेशेवर परिषदों द्वारा निरीक्षण किया जाएगा.

एमबीबीएस ग्रेजुएट के लिए ‘कॉमन एग्जिट एग्जाम’ को लागू करने का भी प्रस्ताव है. ‘कॉमन एग्जिट एग्जाम’ को लागू करने की कोशिश पिछले काफी समय से की जा रही है जो पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में दाखिले के लिए एंट्रेंस एग्जाम का काम करेगा.

सबसे महत्वपूर्ण प्रस्ताव की बात करें तो ड्राफ्ट में सभी साइंस ग्रेजुएट के लिए तीन साल के स्पेशलाइजेशन से पहले दो साल के कॉमन कोर्स की बात कही गई है. इस एक या दो साल के कॉमन कोर्स के बाद छात्र अपनी मर्जी से एमबीबीएस, दंत चिकित्सक (बीडीएस), नर्सिंग और अन्य स्पेशलाइजेशन हासिल कर सकते हैं. एमबीबीएस की पढ़ाई में इस दो साल के कॉमन कोर्स के बाद अगले तीन साल स्पेशलाइजेशन पर आधारित होगी. इसके तहत मेडिकल, नर्सिंग या डेंटल ग्रेजुएट के लिए लेटलर एंट्री का प्रस्ताव रखा गया है.

नारायण हेल्थ के चेयरमैन और ड्राफ्ट पर काम करने वाले डॉ देवी प्रसाद शेट्टी ने साफ किया कि “लेटर एंट्री कोर्स में एडमिशन सीधे नहीं मिल जाएगा. इसके तहत एमबीबीएस में प्रवेश करने के लिए छात्रों को एंट्रेंस एग्जाम से गुजरना होगा.”

फीस और स्कोलरशिप के संबंध में भी ड्राफ्ट में कई सुझाव दिए गए हैं. सरकारी और निजी शैक्षणिक संस्थानों को स्वायत्तता देने के लिए पेशेवर शिक्षा कोर्स की फीस निर्धारण का काम संस्थानों को सौंपने का प्रस्ताव है. साथ ही कहा गया है कि संस्थानों को अपने सामाजिक दायित्वों को पूरा करते हुए सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को स्कालरशिप देनी होगी.

ग्रामीण इलाकों से आने वाले छात्रों की मेडिकल की पढ़ाई तक पहुंच बढ़ाने और सस्ती शिक्षा पहुंचाने के लक्ष्य रखने का प्रस्ताव है. ड्राफ्ट में चिकित्सा क्षेत्र में पेशेवरों की भारी कमी से निपटने के लिए एक अलग समिति बनाने का सुझाव दिया गया है. यह समिति क्षेत्र में बड़े बदलावों और जरूरतों को रेखांकित करेगी.


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