अब भांग से हो सकेगा सुपरबग का इलाज


New research reveals, Cannabis would cure Super-bug

  प्रतीकात्मक तस्वीर (commons.wikimedia.org).

रंग में भंग की बात तो आपने सुनी होगी लेकिन ताजा खबरों के अनुसार इसी भांग के पौधे से बनी दवा से सुपरबग के रंग में भंग पड़ेगा. सेनफ्रांसिस्को में 23 जून 2019 को अमेरिकन सोसाइटी फॉर माइक्रोबायोलाजी के वार्षिक अधिवेशन में पेश किए गए एक रिसर्च पेपर के बाद इसकी संभावना व्यक्त की जा रही है. रिसर्च पेपर को आस्ट्रेलिया के यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड इंस्टीट्यूट में डॉ. मार्क ब्लास्कोविच द्वारा किए गए शोध के आधार पर पेश किया गया है.

इस नए शोध से पता चलता है कि ‘Cannnabidiol or CBD ग्राम’ पाजिटिव ग्रुप के बैक्टीरिया स्ट्रेप्टोकॉकस आरियस तथा स्ट्रेप्टोकॉकस न्यूमेनी के खिलाफ काम करता है. बता दें कि ‘Cannnabidiol’ भांग के पौधे से निकाला गया एक प्रकार का गैर-नशीला रासायनिक यौगिक है. वर्तमान में ‘Cannnabidiol’ का उपयोग कुछ प्रकार की मिर्गी के लिये किया जाता है और यह अमेरिकी खाद्य और दवा प्रशासन (एफडीए) द्वारा इसके लिए प्रमाणित किया गया है.

फिलहाल यह प्रयोग टेस्ट ट्यूब तथा चूहों पर किया गया है तथा पाया गया है कि चर्म रोगों में यह दवा काम करती है. शोध के दौरान इस बात का भी खुलासा हुआ हुआ है कि ‘Cannnabidiol’ बैक्टीरिया द्वारा बनाए गए बायोफिल्म को भेदने में भी कामयाब रहा है. दरअसल, बैक्टीरिया अपने चारों तरफ एक बायोफिल्म बना लेता है जिस कारण से एंटीबायोटिक बैक्टीरिया तक पहुंच ही नहीं पाता है. शुरुआती शोध के बाद वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे सुपरबग बन चुके बैक्टीरिया का भी मुकाबला किया जा सकेगा.

गौरतलब है कि सुपरबग बैक्टीरिया के बारे में वैज्ञानिकों की राय है कि इस पर एंटी बायोटिक्स का कोई असर नहीं होता है. इस कारण आईसीयू में मरीज को बचाने के लिये डॉक्टरों को जूझना पड़ता है.

शोध के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि यह कम मात्रा में देने से भी यह मेथीसिलीन रेसीसटेंट स्ट्रेप्टोकॉकस आरियस (MRSA) के खिलाफ काम करता है तथा लगातार 21 दिनों तक इसका प्रयोग करने के बाद भी बैक्टीरिया इस दवा के खिलाफ प्रतिरोध क्षमता विकसित नहीं कर पाता है.

इस दवा में एक खास बात और है कि यह तेजी के साथ काम करता है. जहां ‘Vancomycin’ एंटीबायोटिक 6 से 8 घंटे में काम करता है वहीं ‘Cannnabidiol’ मात्र 3 घंटे में ही बैक्टीरिया को मार देता है.

गौरतलब है कि दुनिया के इतिहास पर नज़र डाले तो पता चलता है कि मानव सभ्यता में एंटीबॉयोटिक की खोज, चक्के तथा भाप के इंजन की खोज से कम महत्वपूर्ण नहीं है. जिस तरह से चक्के की खोज ने, भाप इंजन की खोज ने मानव सभ्यता को तेजी से विकास करने में मदद की थी, ठीक उसी तरह से एंटीबॉयोटिक की खोज ने मानव जीवन को रोगाणुओं पर जीत हासिल करने का गौरव प्रदान किया है.

आज उसी एंटीबॉयोटिक के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है. ऐसा दुनिया के कई हिस्सों में ही नहीं हमारे देश में भी हो रहा है. दरअसल, तर्कहीन ढ़ंग से एंटीबॉयोटिक के उपयोग ने उसे उस मुकाम पर पहुंचा दिया है जहां पर वह नकारा साबित हो रहा है.

‘Cannnabidiol’ से किये गये प्रयोगों के बाद वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि भविष्य में इससे सुपरबग का भी मुकाबला किया जा सकेगा.


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