वेस्ट इंडीज दौरे से टीम इंडिया की नई शुरुआत


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विश्व कप में भारतीय टीम को मिली हार के बाद पूरे देश में कोहली की कप्तानी से लेकर रवि शास्त्री की कोचिंग तक सबकी भरपूर आलोचना हुई है, लेकिन किस खेल में खिलाड़ियों को हार के बाद आलोचना से नहीं गुजरना पड़ता है? जरुरी है कि हार को भूलकर भारतीय टीम आने वाले अवसरों को अपनी झोली में डालने की कोशिश में जुट जाए.

दरअसल, 18 अक्टूबर 2020 से टी-20 वर्ल्ड कप की शुरुआत होने वाली है. कप्तान विराट कोहली को तकरीबन एक साल में मजबूत टी-20 भारतीय टीम बनाने की जरुरत है. टी-20 फॉर्मेट की आइसीसी रैंकिंग में भारतीय टीम के प्वाइंट भले ही दूसरे सबसे ज्यादा हैं, लेकिन रैंकिंग के मामले में भारतीय टीम पांचवें नंबर पर है.

भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली ने वेस्ट इंडीज दौरे की शुरुआत से पहले कहा कि जरूरी है कि हमारी टीम विश्व कप की हार को भूलकर नए तौर पर फिर से शुरुआत करे.

इस वेस्ट इंडीज दौरे में भारतीय टीम के कई खिलाड़ियों के पास बेहतरीन मौके हैं कि वे खुद को टी-20 फॉर्मेट के लिए सुनिश्चित कर लें.

वेस्ट इंडीज दौरे के लिए चुनी गई टी-20 टीम में कुछ ऐसे नए खिलाड़ी हैं जो आईपीएल में शानदार प्रदर्शन कर भारतीय टीम में अपना नाम दर्ज करा चुके हैं. खलील अहमद, क्रुणाल पांड्या, वाशिंगटन सुंदर, राहुल चाहर, दीपक चाहर और नवदीप सैनी जैसे खिलाड़ियों ने आईपीएल में जबर्दस्त प्रदर्शन किया. इसके बाद ही वे अंतरराष्ट्रीय टीम का हिस्सा बने. अब जरूरी है ये सभी खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय टीम में भी खुद को साबित करें.

टी-20 वर्ल्ड कप के पहले विराट की टीम को वेस्ट इंडीज के साथ-साथ दक्षिण अफ्रीका, बांग्लादेश और न्यूजीलैंड की टीमों के साथ 17 अंतराष्ट्रीय टी-20 मैच खेलने हैं.

इस दौरे में महेंद्र सिंह धोनी के ना होने का मतलब साफ है कि ऋषभ पंत की जिम्मेदारी अब बढ़ चुकी है. दरअसल, ऋषभ पंत को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का काफी तजुर्बा है और अब जरुरी है कि वे खुद को एक जिम्मेदार खिलाड़ी के तौर पर साबित करें.

महेंद्र सिंह धोनी अगले साल होने वाले टी-20 वर्ल्ड कप का हिस्सा होंगे या नहीं, जब तक इस सवाल पर संशय बना हुआ है तब तक ऋषभ पंत पर ही टी-20 फॉर्मेट में विकेट कीपिंग और मिडिल ऑर्डर को संभालने का सारा दारोमदार होगा .

आने वाला टी-20 वर्ल्ड कप आस्ट्रेलिया में आयोजित होने वाला है, जिसका मतलब है कि भारतीय टीम को स्पिनरों से ज्यादा तेज गेंदबाजों के प्रर्दशन पर ध्यान देने की जरुरत है.

इसके अलावा इस वेस्ट इंडीज दौरे से ही टेस्ट चैंपियनशिप की भी शुरुआत होने वाली है. अब भारतीय टीम को ‘आइस एंड फायर’ के तौर पर खुद को मैदान में ढालना होगा. टी 20 के मुकाबले टेस्ट में भारतीय टीम का प्रदर्शन काफी बेहतरीन रहा है. आसीसी की टेस्ट रैंकिंग में भारतीय टीम पहले पायदान पर कायम है. मगर फिर भी टेस्ट चैंपियनशिप की वजह से भारतीय टीम इस दौरे के दोनों टेस्ट मैचों को जीतकर टेस्ट मैच के वर्ल्ड कप की शुरुआत करना चाहेगी. टेस्ट चैंपियनशिप की वजह से आगे होने वाले हर टेस्ट मैच का महत्व काफी बढ़ चुका है.

टेस्ट चैंपियनशिप में भारतीय टीम को वेस्ट इंडीज के अलावा दक्षिण अफ्रीका, बांग्लादेश, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के साथ मुकाबला करना है.

जरुरी है कि वेस्ट इंडीज जैसी टीमों के खिलाफ शानदार प्रदर्शन कर टेस्ट के वर्ल्ड कप को जीतने के लिए भारतीय टीम अपनी दावेदारी पेश करे.

भले ही कागजों पर वेस्ट इंडीज टीम की तुलना में भारतीय टीम तीनों फॉर्मेट में ज्यादा मजबूत दिखाई दे रही है, लेकिन वेस्ट इंडीज को उसी के सरजमीं पर हराना इतना भी आसान नहीं होने वाला है.

दरअसल वेस्ट इंडीज दौरे के टी-20 मैचों में हार्दिक पांड्या और जसप्रीत बुमराह की कमी को पूरा करने के लिए मनीष पांडे, श्रेयस अय्यर और बायें हाथ के तेज गेंदबाज खलील अहमद को चुना गया है. इन तीनों खिलाड़ियों के पास खुद को टी-20 फॉर्मेट में साबित करके आने वाले टी-20 विश्व कप में भारतीय टीम का हिस्सा बनने का जबरदस्त मौका है.

अगर बात करें टी-20 में वेस्ट इंडीज टीम की तो कप्तान कार्लोस ब्रेथवेट की कप्तानी में वेस्ट इंडीज टीम को कम नहीं आंका जा सकता है. वेस्ट इंडीज की ओर से सुनील नारायण और किरोन पोलार्ड को कोई टीम हल्के में लेने की भूल नहीं करेगी, हालांकि, आंद्रे रसल की घुटने की चोट और उनका ना खेलना वेस्ट इंडीज टीम के लिए जबर्दस्त झटका है.


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