न्यूजीलैंड की पीएम जेसिंडा का बयान कट्टरपंथी नेताओं के लिए सीख


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न्यूजीलैंड की एक मस्जिद में 15 मार्च को हुई गोलीबारी के बाद न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने संतुलित प्रतिक्रिया दी है. उनका बयान कट्टरपंथी नेताओं के लिए एक सीख है. गोलीबारी में अब तक 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

उन्होंने अपने संबोधन में कहा, “उन लोगों के लिए जिन्होंने इसे अंजाम दिया, मैं कहना चाहूंगी कि आपने हमें चुना लेकिन हम आपको पूरी तरह से खारिज करते हैं यह घटना निंदनीय है.”

ऐसे वक्त में जब दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में धर्म, नस्ल और राष्ट्रीयता की आड़ में हिंसा हो रही है. न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा का संबोधन पूरी मानवता के लिए राहत देने वाला है. पूरी दुनिया में उदारवादी और प्रगतिशील समुदाय के बीच उनके संबोधन की प्रशंसा हो रही है. घटना के बाद वह हिजाब पहनकर प्रभावित मुस्लिम परिवार से मिलीं और उनकी संस्कृति के प्रति सम्मान जताया.

अक्टूबर 2017 में न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री का पद संभालने वाली अर्डर्न ने कहा, “फिलहाल मैं पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हूं कि न्यूजीलैंड भी अपना संदेश देने के लिए मुझे प्रतिनिधि मानता है कि नहीं. हमारी प्रार्थना आज की घटना से प्रभावित लोगों के साथ है. क्राइस्टचर्च इन पीड़ितों का घर था. इनमें से बहुत लोगों ने शायद यहां जन्म न लिया हो लेकिन कई लोगों के लिए न्यूजीलैंड उनकी पसंद का देश था.

उन्होंने कहा, “यहां लोग अपनी सुरक्षा के लिए पहुंचे थे. जहां वह अपनी संस्कृति और धर्म को जीने के लिए स्वतंत्र हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “आज आप सभी यह सोच रहे होंगे कि यह सब कैसे हो गया? हमें इसलिए निशाना नहीं बनाया गया क्योंकि हम नफरत करने वालों को जगह देते हैं. हम इस तरह की हिंसा का समर्थन नहीं करते हैं क्योंकि हम नस्लभेद की निंदा करते हैं, हम विविधता, दया, करुणा के मूल्यों को मानते हैं और यहां इन मूल्यों को मानने वाले लोग बसते हैं. उन्होंने कहा कि मैं भरोसा दिलाती हूं कि ये मूल्य इस तरह के हमलों से खत्म नहीं हो सकते हैं और खत्म नहीं होंगे.”

उन्होंने देश की विविधता पर गर्व जताते हुए कहा, “200 विभिन्न नस्लों और 160 भाषा बोलने वाले देश पर हमें गर्व है. विविधताओं के बीच हमें यही मूल्य बांधता है. हम सीधे तौर पर प्रभावित समुदायों के लिए अपना समर्थन व्यक्त करते हैं.”

पत्रकार और स्तंभकार पीटर फिट्ज सिमोन सिड्नी मॉर्निंग हेराल्ड में लिखते हैं, “जैसिंडा अर्डर्न लीक से हटकर हैं, वह आज के दौर की नेता हैं, इस विपत्ति में वह अपने देश को चलाने में सक्षम हैं. हमें भी ऑस्ट्रेलिया में घृणा और फूट या समावेशिता और एकता के बीच में से किसी एक को चुनना होगा.”

भारत भी एक विविधताओं से भरा देश है. अनेकता में एकता ही यहां की पहचान रही है. यहां कई धर्म, भाषा, संस्कृति, वेशभूषा के लोग बसते हैं. हमारा संवैधानिक मूल्य इन विविधताओं को एक सूत्र में बांधता है.

हाल में पुलवामा हमला के बाद देश के कई हिस्सों से कश्मीर के लोगों के साथ ज्यादती की खबरें आईं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी पार्टी नेताओं ने इस पूरे प्रकरण को पाकिस्तान से जोड़ा जो बाद में धार्मिक हो गया और देश के अलग-अलग हिस्सों में कश्मीरी लोगों के साथ ज्यादती की घटनाओं के साथ सामने आया.

प्रधानमंत्री ने स्थिति बिगड़ने के बाद कश्मीरियों के साथ ज्यादती नहीं करने का नपा-तुला बयान दिया. उन्होंने इस मुद्दे पर कहा था, “हमारा पड़ोसी देश आर्थिक बदहाली के बुरे दौर से गुजर रहा है और विश्व में अलग-थलग कर उसकी हालत ख़राब कर दी गई है. बड़े-बड़े देश उससे दूरी बनाने लगे हैं. वह कटोरा लेकर घूम रहा है.”

न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री ने जो बयान दिया है, वह दुनिया के तमाम कट्टरपंथी नेताओं के लिए एक सबक है. और देश को आतंकी हमलों के बाद अस्थिर होने से बचाने की सीख भी देता है.

अर्डर्न प्रगतिशील ख्यालों के लिए जानी जाती हैं. और कई मौकों पर वह महिला सशक्तिकरण की उदाहरण बनी हैं. बीबीसी में छपी खबर के मुताबिक वह दूसरी महिला हैं जो प्रधानमंत्री रहते हुए गर्भवती हुई थीं.

जुलाई 2017 में अर्डर्न से जब पूछा गया था कि करियर और बच्चे के बीच वह क्या चुनेंगी तो उन्होंने जवाब में कहा था, “यह एक महिला पर निर्भर करता है कि वह कब बच्चा चाहती है. यह तय नहीं करना चाहिए कि अगर वह नौकरी कर रही है तो उसे प्रेग्नेंट होने का अवसर नहीं मिलेगा.”


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