निर्भया गैंगरेप: अदालत ने दोषियों के खिलाफ नया डेथ वारंट जारी करने से इनकार किया


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दिल्ली की एक अदालत ने निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के दोषियों को फांसी देने के लिए नई तारीख की मांग करने वाली तिहाड़ जेल प्रशासन की याचिका खारिज कर दी.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धमेंद्र राणा ने दिल्ली उच्च न्यायालय के पांच फरवरी के उस आदेश पर गौर किया, जिसमें चारों दोषियों को एक सप्ताह के भीतर कानूनी विकल्पों का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी.

अदालत ने कहा, ”जब दोषियों को कानून जीवित रहने की इजाजत देता है, तब उन्हें फांसी पर चढ़ाना पाप है. उच्च न्यायालय ने पांच फरवरी को न्याय के हित में दोषियों को इस आदेश के एक सप्ताह के अंदर अपने कानूनी विकल्पों का उपयोग करने की इजाजत दी थी.”

न्यायाधीश ने कहा , ”मैं दोषियों के वकील की इस दलील से सहमत हूं कि महज संदेह और अटकलबाजी के आधार पर मौत के वांरट को तामील नहीं किया जा सकता है. इस तरह, यह याचिका खारिज की जाती है. जब भी जरूरी हो तो सरकार उपयुक्त अर्जी देने के लिए स्वतंत्र है .”

अदालत तिहाड़ जेल प्रशासन की याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें दोषियों के खिलाफ मौत का नया वारंट जारी करने की मांग की गई है.

निचली अदालत ने 31 जनवरी को इस मामले के चार दोषियों मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार (31) को अगले आदेश तक फांसी पर चढ़ाने से रोक दिया था. ये चारों तिहाड़ जेल में कैद हैं.

तिहाड़ जेल प्रशासन ने अपनी याचिका में कहा है कि राष्ट्रपति तीन दोषियों की दया याचिकाएं पहले ही खारिज कर चुके हैं और चारों में से किसी का भी कोई आवेदन किसी अदालत के सामने लंबित नहीं है.

पवन ने अब तक सुधारात्मक याचिका दायर नहीं की है जो किसी भी व्यक्ति के लिए आखिरी कानूनी विकल्प होता है और उस पर फैसला चैंबर में किया जाता है. पवन के पास भी दया याचिका दायर करने का विकल्प है.

जेल प्रशासन ने अदालत को दिल्ली उच्च न्यायालय के पांच फरवरी के आदेश से भी अवगत कराया जिसमें दोषियों को इच्छानुसार कानून के तहत उपलब्ध विकल्पों को आजमाने के लिए एक सप्ताह के अंदर कदम उठाने को कहा गया था.

आवेदन में कहा गया है, ”इसलिए सविनय अनुरोध किया जाता है कि उच्च न्यायालय द्वारा दोषियों को दिए गए एक सप्ताह के वक्त को ध्यान में रखते हुए न्याय के हित में मुजरिमों पवन गुप्ता, विनय शर्मा, मुकेश और अक्षय को फांसी पर चढ़ाने के लिए कृपया नई तारीख मुकर्रर की जाए.”

निचली अदालत द्वारा सात जनवरी को जारी किए गए मौत के वारंट पर 31 जनवरी को अनिश्चित काल के लिए रोक लगा दी गई थी. इस तरह मुजरिमों को दो सप्ताह में दूसरी बात राहत मिली थी.

पहले इन मुजरिमों को फांसी पर चढ़ाने की तारीख 22 जनवरी तय की गई थी जिसे अदालत ने 17 जनवरी को एक फरवरी के लिए स्थगित कर दिया.

16 दिसंबर, 2012 की रात को दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में 23 साल की फिजियोथेरेपी इंटर्न के साथ सामूहिक बलात्कार के साथ ही उस पर नृशंस हमला किया गया था. उसने सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था.


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