नागरिकता विधेयक पर बीजेपी को पूर्वोत्तर में बड़ा झटका
इसे पूर्वोत्तर भारत में बीजेपी के लिए बड़ा झटका माना जा सकता है. देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र की 10 क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियां सरकार के खिलाफ मोर्चाबंद हो गई हैं. जिनमें से 8 बीजेपी की सहयोगी दल भी हैं.
केंद्र सरकार की नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 का इन क्षेत्रीय दलों ने विरोध किया है.
बीजेपी के लिए ज्यादा बुरी खबर ये है कि उसकी सहयोगी पार्टी जदयू ने भी विधेयक के खिलाफ हुई बैठक में इन पार्टियों को अपना समर्थन दिया है.
नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 के अनुसार 31 दिसंबर, 2014 को अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक अत्याचार के कारण भारत में आए गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक शर्णारथियों को नागरिकता देने के लिए फास्ट ट्रैक प्रक्रिया अपनाने का प्रावधान है.
मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के प्रमुख नेता और मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांगा ने कहा है कि हम इस विधेयक का विरोध करते है. हमारा मानना हैं कि अगर ये बिल लागू हुआ तो इससे असम और पूर्वोत्तर क्षेत्र के हिस्सों में रहने वाले लोगों के जीवन और पहचान को खतरे में डाल सकता है.
इस मामले में मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा का कहना है कि हम सब ने सर्वसम्मति से इस विधेयक का विरोध करने का निर्णय लिया है. हमने इस विधेयक को खत्म करने के सिलसिले में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात कर निवेदन करने का फैसला भी लिया है.
मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा, जो नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के अध्यक्ष भी हैं, ने एनडीए से इस मुद्दे पर क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों के गठबंधन तोड़ने पर कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया है.
एमएनएफ और एनपीपी दोनों ही पार्टी कांग्रेस विरोधी नेडा की सदस्य हैं.
एमएनएफ,एनपीपी और जदयू के साथ-साथ असम गण परिषद, स्वदेशी पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा, यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी, पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट, हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, और खुन हाइनेविट्रेप नेशनल अवेकनिंग मूवमेंट (सभी मेघालय आधारित), नागा पीपुल्स फ्रंट और नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (नागालैंड) विधेयक विरोधी सम्मेलन में शामिल हुए थे.