मास्टरकार्ड, वीजा के बाद बुकिंग होल्डिंग्स ने भी फेसबुक लिब्रा प्रोजेक्ट से खींचा हाथ
अगले साल जून में लॉन्च के लिए तैयार फेसबुक के लिब्रा करेंसी प्रोजेक्ट को सोमवार को एक और बड़ा झटका लगा. दुनिया की सबसे बड़ी ट्रेवेल कंपनियों में शुमार बुकिंग होल्डिंग्स ने खुद को प्रोजेक्ट से अलग कर लिया है.
प्राइसलाइन, कायक, बुकिंग डॉट कॉम इस कंपनी के ही अधीन आते हैं.
जेनेवा स्थित लिब्रा एसोसिएशन से शुक्रवार को ग्लोबल पेमैंट जैसे प्लेटफॉर्म ,जिसमें मास्टरकार्ड और वीसा शामिल हैं, ने भी हाथ पीछे खींच लिया. इससे पहले बीते हफ्तों में ईबे, फिनटेक का स्टार्टअप स्ट्राइप और मर्केडो पेगो भी बाहर हो गई थीं. कुछ समय पहले पेपाल ने भी प्रोजेक्ट से बाहर होने की घोषणा की थी.
बड़ी कंपनियों की ओर से हाथ खींचने के बाद फेसबुक द्वारा लिब्रा को सुरक्षित करेंसी के तौर पर पेश करने के प्रयासों को बड़ा धक्का लगा है.
कंपनियों की इस प्रतिक्रिया से पहले अमेरिका से लेकर यूरोप के राजनेताओं और नियामकों ने चेतावनी दी थी कि लिब्रा की कारण वैश्विक वित्तीय स्थिरता को खतरा है. उन्होंने कहा कि ये यूजर्स की निजता को नजरअंदाज करती है और धनशोधन को बढ़वा देती है.
ऐसे में कहा जा सकता है कि जून 2020 में लॉन्च के लिए तैयार प्रोजेक्ट से अब सभी बड़ी पैमेंट कंपनियों ने हाथ पीछे खींच लिया है. प्रोजेक्ट से जुड़ी कुछ हाई प्रोफाइल कंपनियों में से एक वोडाफोन के प्रवक्ता ने कहा कि जेनेवा में होने वाली बैठक में सदस्य सभी नियमों के पालन का आश्वासन देंगे.
ये नियम मुख्यत निर्धारित करेंगे के कंपनियां किस प्रकार नियमित होंगी. इसके अलावा जानकारी है कि बैठक में एक बोर्ड को भी नियुक्त किया जाएगा.
लिब्रा एसोसिएशन के प्रवक्ता ने सूचिक किया कि प्रोजेक्ट में दिलचस्पी दिखा रही 1500 कंपनियों की इस महीने होने वाली बैठक के बाद ही कुछ कहा जा सकता है. एसोसिएशन में फिलहाल 21 सदस्य रह गए हैं, जिनमें उबर टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन , Lyft Inc के साथ एनजीओ, वेंचर कैपिटल समूह और ब्लॉकचेन फर्म शामिल हैं.
फ्रांस ने बीते महीने कहा कि वो यूरोप में लिब्रा को संचालित नहीं होने देगा. जबकि बैंक ऑफ इंग्लैंड ने लिब्रा के लिए ऊंचे पैमाने लगा दिए है जिन्हें लॉन्च से पहले पूरा करना जरूरी है.