देश के न्यायालयों में लगभग साढ़े तीन करोड़ मामले लंबित


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कानून मंत्रालय के मुताबिक देश के उच्च न्यायालयों के प्रत्येक न्यायाधीश के पास लगभग साढ़े चार हज़ार मामले लंबित है. वहीं अधीनस्थ न्यायपालिका के प्रत्येक न्यायाधीश पर लगभग तेरह सौ लंबित मामलों का निपटारा करने का जिम्मा है.

राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड की रिपोर्ट के अनुसार साल 2018 के अंत में निचली अदालतों में 2.91 करोड़ मामले लंबित थे जबकि 24 उच्च न्यायालय में 47.68 लाख मामले लंबित पाए गए थे. आंकड़ों के अनुसार, उच्च न्यायालयों में प्रति जज 4,419 मामलें लंबित हैं और प्रत्येक निचली अदालत के न्यायाधीश के सामने 1,288 मामले हैं.

सुप्रीम कोर्ट की बात करें तो 1 जनवरी 2019 को जारी आंकड़ों के मुताबिक वहां लंबित मुकदमों की संख्या 57,346 है. इनमें से नियमित सुनवाई के मामलों की संख्या 20,899 है वहीं 36,447 याचिकाएं सुनवाई के लिए कतार में है. इस तरह निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कुल मिलाकर लंबित मामलों की संख्या लगभग साढ़े तीन करोड़ हैं.

रिपोर्ट में प्रकाशित आकड़ों पर नज़र डाले तो न्यायपालिका जजों की कमी से जूझती दिखाई देती है. निचली अदालतों की स्वीकृत संख्या 22,644 है जिसमें इस समय 17,509 न्यायिक अधिकारी हैं. इस तरह देश की निचली अदालतों में 5,135 पद खाली हैं. इसी तरह उच्च न्यायालयों में स्वीकृत संख्या 1079 हैं, जहां फिलहाल 695 न्यायाधीश हैं और इस तरह यहां कुल 384 न्यायाधीशों की कमी है.

हाल ही में हुए शीतकालीन सत्र के दौरान कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया था कि उन्होंने खुद सभी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों को पत्र लिखकर निचली अदालतों में रिक्त पदों को तेजी से भरने का आग्रह किया है.

संसद में जानकारी देते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि लंबित मामलों के जल्द निपटारे हेतु साल 2016 में 126 न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई थीं. 2017 और 2018 में भी 100 से अधिक न्यायाधीश नियुक्त किए गए .

रविशंकर प्रसाद ने देश में करोड़ों की संख्या में लंबित मामलों का मुख्य कारण न्यायिक अधिकारियों के रिक्त पदों को भरने में हो रही देरी को बताया. उन्होंने मुख्य न्यायाधीशों से निचली अदालतों के लिए न्यायाधीशों की भर्ती के लिए समय पर परीक्षा और साक्षात्कार लिए जाने का अनुरोध किया था .

तेलंगाना राज्य का अपना उच्च न्यायालय बनने के बाद एक जनवरी से देश में उच्च न्यायालयों की संख्या 25 हो गई है.


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