बीजेपी सरकार की योजनाओं के बाद भी देसी मवेशियों की संख्या में गिरावट


number of desi cow continue to go down despite bjp govt schemes

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देसी नस्ल के मवेशियों को बढ़ावा देने के लिए बीजेपी सरकार की राष्ट्रीय गोकुल मिशन जैसी योजनाओं के बावजूद देसी मवेशियों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है. पशुधन गणना 2019 की अंतरिम रिपोर्ट के मुताबिक देसी मवेशियों की संख्या देश में 13 करोड़ 98 लाख है.

द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक 2012 में पिछली पशुधन गणना की तुलना में देसी मवेशियों संख्या में 7.5 फीसदी की गिरावट आई है. 1992 में देसी मवेशियों की संख्या 18 करोड़ 93 लाख थी, जो 2012 में घटकर 15 करोड़ 11 लाख हो गई. जिसके बाद अब राष्ट्रीय गोकुल मिशन जैसी तमाम केंद्रीय और राज्य योजनाओं के बावजूद देसी मवेशियों की संख्या में लगातार गिरावट जारी है.

वहीं आंकड़ों से पता चलता है कि 2012 के बाद विदेशी और संकर पशुओं (क्रॉस ब्रीड) की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. 2012 में इनकी संख्या तीन करोड़ 97 लाख थी, जो 2019 में बढ़कर पांच करोड़ 14 लाख हो गई.

1992 से 2019 के बीच विदेशी और संकर मवेशियों की संख्या में 238 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. जबकि देसी मवेशियों के संख्या इस दौरान 26 फीसदी घटी.

यह आंकड़ें दिखाते हैं कि खेती-किसानी में किसान अधिक दूध देने वाले मवेशियों को महत्व दे रहे हैं.

300 से 305 दिनों की दूछ चक्र में एक गिर, साहिवाल या लाल सिंधी जैसी देसी गाय केवल 1500 से 2000 लीटर दूध देती है. जबकि होल्सटीन फ़्रिसियन और जर्सी जैसी विदेशी गायें 7000-8000 लीटर दूध देती है. वहीं क्रास ब्रीड 4,000-4500 लीटर दूछ देती है.

देश में दूसरी श्वेत क्रांति लाने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार ने दिसंबर 2014 में राष्ट्रीय गोकुल मिशन की शुरुआत की थी. इस मिशन के तहत सरकार देसी नस्ल के दुधारू पशुओं को बढ़ावा देकर दूध के उत्पादन को बढ़ाना चाहती है. योजना के तहत सरकार ने 2000 करोड़ रुपये का बजट रखा था. हालांकि योजना के पांच साल बाद भी जमीन पर परिणाम नहीं दिख रहे हैं.

किसान देसी गायों और अधिक चिकनाई वाला दूध देने वाले भैंसों के तुलना में विदेशी और संकर गायों को तरजीह दे रहे हैं.

नर मवेशियों की संख्या में गिरवाट से भी पता चलता है कि लोग दुधारू मवेशियों को अधिक अहमियत दे रहे हैं. 1992 में नर मवेशियों की संख्या 10 करोड़ 16 लाख थी, जो 2019 की गणना के मुताबिक घटकर 4 करोड़ 66 लाख ही रह गई है. जबकि मादा मवेशियों की संख्या 1992 में 10 करोड़ 29 लाख थी, जो 2019 में बढ़कर 14 करोड़ 46 लाख हो गई.

गणना के ताजा आंकड़े बताते हैं कि देश में भैंसों के संख्या में भी बढ़ोत्तरी आई है. 2012 में भैसों की संख्या 10 करोड़ 87 लाख थी, जो 2019 में बढ़कर 11 करोड़ एक लाख हो गई. 2019 गणना के मुताबिक देश में कुल पशुधन संख्या 53 करोड़ 32 लाख है.

पशुधन गणना 2019, एक अक्टूबर 2018 से 17 जुलाई 2019 की बीच हुआ. इस बार आंकड़े इकट्ठा करने के लिए कम्प्यूटर टैबलेट का इस्तेमाल किया गया. टैबलेट पर लिया गया डेटा सीधे केंद्र के सरवर पर अपलोड किया गया.

इस पूरी प्रक्रिया के लिए नेशनल इनफॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) ने एक एंड्रॉइड एप्लीकेशन विकसित किया. करीबन 57 हजार गणनाकार या गणनाकर्मी और 11 हजार सुपरवाइजर को गणना के काम पर लगया गया था.

इस दौरान 89,075 शहरी वार्ड और 6,66,028 गांवों के कुल 26 करोड़ से अधिक घरों और 44 लाख से अधिक गैर-घरों से आंकड़े लिए गए.

सूत्रों के मुताबिक फिलहाल फाइनल रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जो इस महीने के आखिर तक तैयार हो जाएगी.


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