जनजातीय भाषाओं के लिए शब्दकोश लाएगी ओडिशा सरकार


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ओडिशा सरकार आदिवासी भाषाओं को बचाने के लिए आगे आई है. सरकार इसके लिए आदिवासी भाषाओं के शब्दकोश (डिक्शनरी) जारी करेगी. इन शब्दकोशों का इस्तेमाल आदिवासी बाहुल इलाकों में प्राथमिक स्तर की शिक्षा में भी किया जाएगा.

इस शब्दकोश का लोकार्पण ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भुवनेश्वर में किया. इस दौरान उन्होंने बताया कि इस शब्दकोश के विकास के लिए विशेष समिति का गठन किया गया था. जिसने उड़ीसा के सभी 21 आदिवासी जिलों में प्रचलित भाषाओं को लेकर इसको विकसित किया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक द्विभाषीय शब्दकोशों का विकास राज्य की संस्था जनजातीय भाषा और संस्कृति अकादमी ने किया है. पूरबी राज्य उड़ीसा भारत में अनुसूचित जनजातियों का गढ़ माना जाता है. यहां कुल 62 जनजातीय समूह निवास करते हैं. इसमें से 13 को अतिसंवेदनशील का दर्जा दिया गया है. यानी की इन 13 समूहों के आस्तित्व पर तलवार लटकी हुई है. उड़ीसा के यह जनजातीय समूह 21 भाषाओं और 74 बोलियों का प्रयोग करते हैं. इनमें से सात की तो अपनी खुद की लिपि भी है.

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति रिसर्च एंड ट्रेनिंग संस्थान के निदेशक एबी ओटा कहते हैं, “ये शब्दकोश जनजातीय भाषाओं के संरक्षण की ओर उठाया गया एक छोटा सा कदम है. उन्होंने कहा कि आदिवासियों को प्रशासन के नजदीक लाने में ये कदम क्रांतिकारी भूमिका निभाएगा.”

भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में कुल 22 भाषाओं को जगह दी गई है. इन भाषाओं को हम अनुसूचित भाषाएं कहते हैं. संविधान भारत सरकार को इनके संरक्षण और विकास की जिम्मेदारी देता है.


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