2021 जनगणना में जातिगत आंकड़े नहीं लिए जाने की संभावनाएं


officials said Census 2021 may skip caste data

 

2021 जनगणना को लेकर सरकारी अधिकारियों ने संभावना जताई है कि इस दौरान जातिगत आंकड़े नहीं लिए जाएंगे. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने अंग्रेजी अखबार द हिंदू को बताया कि 2011 में एक मंत्रालय ने करीबन 40 लाख जातियों के होने की बात सामने रखी थी, ऐसे में विभिन्न जातियों की बड़ी संख्या को देखते हुए आंकड़े इकट्ठा कर पाना काफी मुश्किल है.

अधिकारी ने कहा, “जातिगत आंकड़ों की सिलसिलेवार तरीके से गणना करना थोड़ा मुश्किल होता है. पिछली बार जब जातिगण आंकड़े इकट्ठा किए गए तो करीबन 40 लाख जातियों के नाम सामने आए. उदाहरण के लिए यादव जाति से संबंध रखने वाले लोग यदु, यदुवंशी आदि उपनामों का इस्तेमाल करते हैं. इसके लिए कोई एक मानक नहीं है. देखा गया है कि अक्सर लोग जाति और गोत्र को लेकर स्पष्ट नहीं होते हैं.”

जनगणना हर दस साल में एक बार होती है. 2021 जनगणना के लिए करीबन 31 लाख लोगों को एंड्रॉइड मोबाइल फोन से डिजिटली डाटा इकट्ठा करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा.

अधिकारी के कहा, “जनगणना की पूरी प्रक्रिया तकनीकी आधार पर की जाएगी, ऐसे में आंकड़ों की संगणना तेजी से होगी इसलिए 2021 जनगणना के सिलसिलेवार आंकड़े 2024-25 में उपलब्ध हो जाएंगे.”

2011 में सामाजिक आर्थिक और जातीय जनगणना (एसईसीसी) के तहत जातिगत आंकड़ों इकट्ठा किए गए थे. ये आंकड़े अब तक केंद्र द्वारा जारी नहीं किए गए हैं. राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अनुसार केंद्र की ओबीसी सूची में 2479 प्रविष्‍टियां शामिल हैं.

जनगणना अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आंकड़ों तक ही सीमित है.

अधिकारी ने बताया, “पिछली बार जनगणना कागज पर की गई थी, जिसके बाद लिखित जानकारी को स्कैन किया गया और फिर उनका डाटाबेस तैयार किया गया. इस प्रक्रिया में विभिन्न जानकारियों के अलग-अलग डाटासेट तैयार हो गए.”

2011 जनगणना से लिए गए प्रवास के आंकड़े बीते हफ्ते ही प्रकाशित किए गए हैं.

अधिकारी ने कहा, “डिजटलीकरण ये संभव बनाएगा कि अधिकतर विषयों पर आंकड़ें 2024-25 में उपलब्ध रहें. बहुत से देशों में आंकड़े एक ही दिन में इकट्ठा कर लिए जाते हैं.”


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