क्यूबाई क्रांति के 60 साल होने पर साम्राज्यवाद के खिलाफ संघर्ष का संकल्प


on completion of sixty years of cuban revolution delhi reiterate its pledge to fight against imperialism

 

क्यूबाई क्रांति के 60 साल पूरे होने के अवसर पर दिल्ली के कॉन्सटीट्यूशन क्लब में एक कार्यक्रम ‘सिक्सटी इयर्स ऑफ क्यूबन रिवॉल्यूशन एंड द फाइट अगेन्स्ट इम्पीयरलिज्म’ का आयोजन किया गया. यह कार्यक्रम ‘ऑल इंडिया पीस एंड सॉलिडेरिटी आर्गेनाइजेशन’ और ‘नेशनल कमेटी फॉर सॉलिडेरिटी विद क्यूबा’ ने आयोजित किया.

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में क्यूबा के महान क्रांतिकारी चे ग्वेरा की बेटी अलाइदा ग्वेरा ने शिरकत की. उनके साथ क्यूबा की संसद के सदस्य और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के अध्यक्ष फर्नांडो गोन्जाल्वेस भी मौजूद रहे. इसके अलावा कार्यक्रम में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के महासचिव डी राजा और नेशनल कमेटी फॉर सॉलिडेरिटी विद क्यूबा के राष्ट्रीय संयोजक एमए बेबी भी मौजूद रहे.

कार्यक्रम की शुरुआत ऑल इंडिया पीस एंड सॉलिडेरिटी आर्गेनाइजेशन के महासचिव अरुण ने भारत और क्यूबा के संबंधों की चर्चा के साथ की. उन्होंने कहा कि पिछले तीस सालों से नेशनल कमेटी फॉर सॉलिडेरिटी विद क्यूबा ने अमेरिकी साम्राज्यवाद के खिलाफ क्यूबा का साथ दिया है.

उन्होंने कहा कि यह क्यूबाई क्रांति, चे ग्वेरा के भारत आगमन और भारत-क्यूबा के संबंधों का 60वां साल है और अमेरिकी साम्राज्यवाद पहले से कहीं अधिक ताकत से क्यूबा को दबाने की कोशिश कर रहा है.

उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका ने क्यूबा के ऊपर जो आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे वो अब पहले के मुकाबले कहीं अधिक बढ़ गए हैं, ऐसे में क्यूबा के साथ खड़ा होना और भी अधिक जरूरी हो गया है.

अलाइदा ग्वेरा ने भी इस बात पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि वे क्यूबा से क्यूबाई लोगों का सलाम लेकर यहां आई हैं और उन्हें लगता है कि भारत और क्यूबा के लोगों को एक-दूसरे को और अधिक जानने की जरूरत है.

अपने पिता को याद करते हुए उन्होंने कहा कि आज से साठ साल पहले क्यूबाई क्रांति का एक प्रतिनिधि दल भारत आया था और उसके नेतृत्वकर्ता उनके पिता थे.

अलाइदा ने कहा, “आज हम साठ साल बाद भारत आए हैं और चे ग्वेरा हमारे साथ नहीं हैं. लेकिन उनके जैसे तमाम लोग आज भी हमारे साथ हैं और हमारा यह विश्वास है कि हम दुनिया को बदल सकते हैं.”

उन्होंने कहा कि हम अकेले दुनिया को नहीं बदल सकते हैं, जरूरत है कि सभी न्यायपसंद लोग हमारे साथ आएं और संगठित होकर दुनिया को बदलने का प्रयास करें.

आम लोगों की मूल जरूरतों पर भी अलाइदा ने बात की. उन्होंने कहा कि जनता के लिए जागरुक और शिक्षित होना बहुत जरूरी है और इसके साथ जनता का स्वस्थ होना भी जरूरी है. उन्होंने कहा कि जन स्वास्थ्य सेवाएं व्यापार नहीं हो सकती हैं.

यह तथ्य सर्वविदित है कि अमेरिका ने हमेशा से क्यूबा को दबाने की कोशिश की है, लेकिन अपने तमाम प्रयासों के बाद भी अमेरिका इसमें कामयाब नहीं हो पाया है.

इस तथ्य पर प्रकाश डालते हुए अलाइदा ने कहा कि क्यूबा अमेरिका से सिर्फ 90 मील की दूरी पर स्थित है, लेकिन इसके बाद भी क्यूबा अमेरिका के सामने सीना ताने खड़ा है.

उन्होंने कहा कि इसका प्रमुख कारण यह है कि क्यूबा की जनता सही रास्ते पर है, क्यूबा की जनता संगठित और जागरुक है.

उन्होंने कहा कि क्यूबा कि जनता क्यूबा के महान क्रांतिकारी कवि होसे मार्टी के रास्ते है, उनका रास्ता बेहतर इंसान बनकर दुनिया को सुंदर बनाने का रास्ता है.

अलाइदा के वक्तव्य के बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रगतिशील और सफदर हाशमी की परंपरा को आगे बढ़ा रहे नाट्य समूह ‘दस्तक’ ने जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ मिलकर क्रांतिकारी गीत प्रस्तुत किए. कम्युनिस्ट इंटरनेशनल गीत आकर्षण का केंद्र रहा.

इसके बाद क्यूबा के सबसे सर्वोच्च सम्मान ‘हीरो ऑफ क्यूबा’ से नवाजे गए और अमेरिका की जेल में 16 साल कैद रह चुके फर्नांडो गोंन्जाल्वेस ने बोलना शुरू किया.

उन्होंने कहा कि हमने पिछले 60 सालों से अमेरिका का डटकर सामना किया है और आगे भी जब तक जरूरत होगी, तब तक हम ऐसा करते रहेंगे.

उन्होंने कहा कि अमेरिका केवल क्यूबा को ही नहीं परेशान कर रहा है, बल्कि वर्तमान में वो फिलिस्तीन और वेनेजुएला में दमनचक्र चला रहा है. उन्होंने कहा कि हम पूरी तरह से फिलिस्तीन और वेनेजुएला की जनता के साथ हैं.

फर्नांडो ने कहा कि क्यूबा के लोग वेनेजुएला की बोलिवियाई क्रांति को बचाने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने को तैयार हैं.

उन्होंने कहा कि यह अमेरिका की पुरानी नीति रही है कि जहां भी उसकी विचारधारा के विपरीत सरकार बनी है, वहां उसने उथल-पुथल मचाकर सत्ता पलटने का प्रयास किया है, दक्षिण अमेरिका में उसने खासतौर पर ऐसा किया है.

उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका ने ब्राजील, अर्जेंटीना और चिली जैसे देशों की समाजवादी सरकार को पलट दिया और वह अब वेनेजुएला के चुने हुए समाजवादी राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को भी सत्ता से हटाना चाहता है, लेकिन हम इसका डटकर सामना करेंगे.

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के नव-निर्वाचित महासचिव डी. राजा ने कहा कि भौगोलिक रूप से भले ही क्यूबा हमसे बहुत दूर है, लेकिन वैचारिक रूप से यह हमारे दिल में बसता है.

उन्होंने कहा कि क्यूबा समाजवाद का प्रतीक है, क्यूबा को समर्थन करने का मतलब है समाजवाद का समर्थन करना. उन्होंने आगे कहा कि हम क्यूबा का समर्थन करते हैं, क्यूबा दुनिया का समर्थन करता है और दुनिया क्यूबा का समर्थन करती है.

क्यूबाई क्रांति के इतिहास में जाते हुए डी. राजा ने कहा कि होसे मार्टी, फिदेल कास्त्रो और चे ग्वेरा ने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ क्यूबा की स्थापना की और इस पार्टी ने क्यूबा के प्रत्येक नागरिक को बिना किसी भेदभाव के सम्मानजनक जीवन प्रदान किया.

उन्होंने कहा कि फिदेल कास्त्रो ने ना केवल इक्कीसवीं सदी में समाजवाद के लिए विजन पेश किया बल्कि क्यूबा के प्रत्येक नागरिक को रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं भी मुहैया करवाईं.

उन्होंने कहा कि क्यूबा की कम्युनिस्ट पार्टी ने यह सब तब किया कि जब अमेरिका ने क्यूबा के ऊपर एक से बढ़कर एक आर्थिक प्रतिबंध लगाए और क्यूबा को विश्व से अलग-थलग करने का प्रयास किया.

उन्होंने कहा कि क्यूबा आज भी अमेरिकी साम्राज्यवाद के सामने मजबूती से खड़ा है और भविष्य में भी खड़ा रहेगा. हमने क्यूबा का पहले समर्थन किया था, आज भी कर रहे हैं और आगे भी करेंगे.

केंद्र में सरकार बदलने से भारत की विदेश नीति में परिवर्तन आए हैं. इसको लेकर डी. राजा ने कहा कि भले ही भारत के राजनीतिक नेतृत्व में परिवर्तन आया हो, लेकिन इससे हम क्यूबा के प्रति अपनी नीति में परिवर्तन नहीं आने देंगे.

उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि अमेरिकी साम्राज्यवाद किसी भी चीज का सम्मान नहीं करता है, इसलिए हम क्यूबा के संघर्ष में उसका साथ देते रहेंगे.

डी राजा ने कहा कि हमने हमेशा विश्व की संघर्षशील जनता का साथ दिया है, हमने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के शिकार लोगों की लड़ाई लड़ी है, हमने वियतनाम, फिलिस्तीन का साथ दिया है और आज हम क्यूबा और वेनेजुएला के साथ खड़े हैं.

वहीं एमए बेबी ने कहा कि क्यूबा के लोगों ने दिखाया है कि कैसे लोग बिना एक-दूसरे का शोषण किए प्यार और सम्मान के साथ रह सकते हैं.

उन्होंने कहा कि क्यूबा के साथ खड़े होने का मतलब है लूट और चोरी के खिलाफ खड़े होना, व्यक्ति की स्वतंत्रता और आत्मसम्मान के साथ खड़े होना.

उन्होंने कहा कि फिदेल के जाने के बाद क्यूबा के साथ और भी अधिक मजबूती से खड़े होने की जरूरत है.


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