झारखंड: कथित गोकशी हिंसा में पीड़ित पर ही पुलिस कार्रवाई
गोकशी की अफवाहों पर प्रशासन की बढ़ती लापरवाही के बीच झारखंड के गुमाल जिले में एक आदिवासी व्यक्ति की हत्या का गंभीर मामला सामने आया है.
जहां झुमरू गांव में बैल के मरने की खबर गोकशी की अफवाहों में बदल गई. चौंकाने वाली बात रही कि घटना के पीड़ितों के खिलाफ ही पुलिस ने गोकशी अधिनियम के तहत केस दर्ज किया है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, बुधवार शाम जब मरे हुए बैल को कुछ गांव वाले पास के खेत में गाड़ रहे थे, उस समय अचानाक हाथ में लाठी, डंडे लिए लोगों के समूह ने उन पर हमला कर दिया. इस दौरान कुछ गांव वाले भागने में कामयाब रहे, वहीं हमलावरों की चपेट में आए आदिवासी ईसाई समुदाय के लोगों में से एक व्यक्ति प्रकाश लाखड़ा को अपनी जान गंवानी पड़ी.
इस घटना में तीन लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं.
तीन घायलों की पहचान पीटर पुलजंस (50), बेलासुस टीरकी (60) और जनरीउस मिंज (40) के रूप में हुई है. फिलहाल उनका इलाज रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में चल रहा है. पुलिस ने बताया की 7 लोगों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया गया है. जिसमें से चार आरोपियों को पुलिस अब तक नहीं पकड़ पाई है.
गुमला समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत डाक्टर रोशन खालको ने अखबार को बताया कि “जब पीड़ितों को अस्पाताल लाया गया तो उसमें से एक व्यक्ति पहले ही मर चुका था, जबकि बाकी तीन काफी नाजुक हालत में थे. चोट के निशान और उनकी हालत देख कर बताया जा सकता है कि उन्हें बेरहमी से पीटा गया.”
उन्होंने पुलिस कार्रवाई पर सवाल खड़े किए कि “जब मृत व्यक्ति अस्पताल लाया जाता है तो बिना किसी रजिस्ट्रेशन के बॉडी पोस्टमार्टम के लिए भेज दी जाती है, लेकिन यहां पुलिस ने उन्हें ऐसा करने से रोका और उन्हें रजिस्ट्रेशन करने के लिए मजबूर किया गया. शायद इसलिए कि जांच में यह दिखाया जा सके कि व्यक्ति की इलाज के दौरान मौत हुई.”
एडीजी एमएल मीना ने बताया कि उन्होंने आरोपी गांव वालों की शिकायत पर घायल पुलजंस, टीरकी और मिंज के खिलाफ गोहत्या अधिनियम के तहत केस दर्ज किया है.
एफआईआर में हमलावरों की नाम महेंद्र साहू, शिव साहू, जीवन साहू, संजय साहू, सत्येंद्र साहू, संतोष साहू और संदीप साहू दिए गए हैं.
गुमला के एसपी अंजनी कुमार झा ने बताया, पकड़े गए दो हमलावर जीवन और संजय साहू के इससे पहले भी मर्डर और अपहरण जैसे अपराधिक रिकॉर्ड रहे हैं.
झुमरू गांव के आधे से ज्यादा नागरिक आदिवासी ईसाई समुदाय से हैं, जिनमें से अधिकतर लोग खेती-किसानी करते हैं. गांव वालों ने कहा कि नफरत और हिंसा की वजह से गांव में डर का माहौल बना हुआ है. वो कहते हैं कि अब इस तरह की घटनाएं इतने शांत और अमन-चैन से रहने वाले गांवों तक पहुंच गई हैं. आज तक ऐसा नहीं हुआ कि गांव वाले गाय के नाम पर किसी से लड़े हों.