‘नमामि गंगे मिशन’ नाम बड़े और दर्शन छोटे!


only 6,700 of 28,000 cr on Namami Gange mission spent till date

  प्रतीकात्मक छवि

बड़ी सफाई के साथ मैली गंगा को राजनीतिक मुद्दा बनाया गया और इसके उद्धार के लिए वोट मांगे गए. लेकिन अब, जब सवाल पूछा जा रहा है कि आखिर गंगा की सफाई में कितनी प्रगति हुई, तो नरेंद्र मोदी और उनके सिपहसालारों के पास कोई साफ जवाब नहीं है. गंगा की सफाई में अब तक हुई प्रगति को लेकर अखबार दि हिंदू ने एक लेख प्रकाशित किया है.

अखबार आधिकारिक रिकॉर्ड के हवाले से लिखता है कि केंद्र सरकार ने 2015 में जब नमामि गंगे मिशन शुरू किया तब 100 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट प्रोजेक्ट शुरू हुए थे, लेकिन अब तक सिर्फ 10 पूरे हो सके हैं.

नमामि गंगे मिशन का मुख्य उद्देश्य सीवेज का ट्रीटमेंट और सीवर लाइन बिछाना ही है, ताकि गंगा में गिरने वाले गंदे पानी से निजात पाई जा सके. इस काम के लिए कुल 28 हजार करोड़ रुपये जारी किए गए थे.

इसमें 23 हजार करोड़ रुपये केवल सीवेज प्रबंधन के लिए जारी हुए थे. बाकी के पैसे गंदगी की सफाई और घाटों के सौंदर्यीकरण के लिए जारी किए गए थें. लेकिन इस दौरान काम इतना सुस्त रहा कि 28 हजार करोड़ में से महज 6,700 करोड़ रुपये खर्च हुए.

गंगा में गंदे पानी की मिलावट सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में होती है. कुल गंदगी का लगभग तीन चौथाई हिस्सा इसी राज्य से गंगा में मिलता है. नमामि गंगे मिशन के शुरू होने के बाद यहां 33 सीवेज ट्रीटमेंट प्रोजेक्ट शुरू हुए, लेकिन इनमें से सिर्फ एक पूरा हो सका है.

इस सरकार से पहले यानी कि 2015 में मिशन शुरू होने से पहले उत्तर प्रदेश में कुल 18 प्रोजेक्ट चल रहे थे, जिनमें से 13 पूरे हो चुके हैं.

नरेंद्र मोदी सरकार ने गंगा का उद्धार कर दिखाने का दावा किया था. इसके लिए नमामि गंगे मिशन की शुरूआत की गई, 20 हजार करोड़ रुपये शुरुआत में ही जारी कर दिए गए थे.

लेकिन सिर्फ पैसे जारी कर देना काम पूरा होने की गारंटी नहीं होती. आंकड़ों से ये बात साफ हो चुकी है. मार्च तक उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक अब तक इस प्रोजेक्ट के लिए कुल 28 हजार करोड़ रुपये जारी हो चुके हैं. लेकिन इसमें से सिर्फ 25 फीसदी धन खर्च किया गया है. ये करीब 6,700 करोड़ होता है.

पिछले साल मार्च तक 20 फीसदी धन खर्च हुआ था. सरकार की इस हीलाहवाली का बखान गंगा कर रही है. राज्य और केंद्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक गंगा जिस भी शहर से गुजरती है, कहीं भी उसका पानी पीने या नहाने लायक नहीं है.

गंगा सफाई के लिए राष्ट्रीय अभियान के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा इसकी वजह काम के लिए आजादी ना मिलना बता रहे हैं. बकौल मिश्रा, एनएमसीजी को 2016 के बाद से ही प्रोजेक्ट को जारी करने की छूट मिली.

बीजेपी सरकार के इस गंगा मिशन का काम इतना सुस्त रहा है कि इसे पहले की सरकारों में जारी मिशन की बराबरी भी नहीं कर सका. इससे पहले गंगा एक्शन प्लान-1 1987 में और गंगा एक्शन प्लान-2 1996 में शुरू किया गया था. मार्च 2019 तक कुल 37 प्रोजेक्ट पूरे हुए हैं, इनमें 27 पूर्ववर्ती सरकारों के शासनकाल में शुरू हुए प्रोजेक्ट हैं.


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