केवल 12 राज्यों में ही पहले नंबर पर बोली जाती है हिंदी


only twelve states primarily speaks hindi

 

2011 की भाषाई जनगणना के अनुसार भारत में केवल 12 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ही ऐसे हैं, जहां बोलचाल में लोग हिंदी भाषा को प्राथमिकता देते हैं. वहीं बाकी बचे राज्यों में लोग अंग्रेजी को प्राथमिकता देते हैं. इस जनगणना के अनुसार 43.63 प्रतिशत लोगों ने कहा कि हिंदी उनकी मातृभाषा है.

यह जनगणना कहती है कि उत्तर और मध्य भारत को छोड़कर बाकी के सभी राज्य प्राथमिक रूप से हिंदी नहीं बोलते हैं, हिंदी यहां दूसरे या तीसरे नंबर पर बोली जाती है. वहीं दक्षिण और उत्तर-पूर्व भारत के ज्यादातर राज्यों में हिंदी नहीं बोली जाती है, यहां अंग्रेजी को दूसरे नंबर पर बोला जाता है.

दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की 96 प्रतिशत जनसंख्या प्राथमिक रूप से हिंदी बोलती है. जिन 12 राज्यों में प्राथमिक रूप से हिंदी बोली जाती है, उनमें से गुजरात में ऐसा करने वाले सबसे कम है.

जिन 23 राज्यों में हिंदी प्राथमिक रूप से नहीं बोली जाती है, उनमें से 16 राज्यों में लोगों का एक बहुत छोटा हिस्सा ही हिंदी को दूसरे या तीसरे नंबर पर महत्व देता है.

दक्षिण और उत्तर-पूर्व भारत के राज्यों, गुजरात और पश्चिम बंगाल में हिंदी बोलने वालों की संख्या बहुत कम है. केरल में केवल 0.6 प्रतिशत स्थानीय लोग ही हिंदी बोलते हैं, यह देश में सबसे कम है. तमिलनाडु में भी कमोबेश यही स्थिति है.

महाराष्ट्र, पंजाब और सिक्किम में सामान्य हिंदी बोलने का प्रतिशत औसत से अधिक है, लेकिन हिंदी बोलने वाले स्थानीय लोग यहां भी बहुत कम हैं.

जिन राज्यों में हिंदी बोलने वालों का प्रतिशत कम है, वहां हिंदी बोलने वाले राज्यों के मुकाबले अंग्रेजी बोलने वालों की संख्या ज्यादा है.

गोवा में अंग्रेजी बोलने वालों का प्रतिशत सबसे अधिक है, वहीं बिहार और छत्तीसगढ़ में ऐसा करने वालों का प्रतिशत सबसे कम है. केरल में 20.15% और तमिलनाडु में 18.49% लोग अंग्रेजी बोलते हैं.

31 मई को केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का ड्राफ्ट पेश किया था. इसमें गैर-हिंदी राज्यों के विद्यालयों में हिंदी पढ़ाने की बात कही गई थी. गैर-हिंदी राज्यों, खासकर तमिलनाडु में इसका मुखर विरोध हुआ था.

इस विरोध के बाद सरकार को नया ड्राफ्ट पेश करना पड़ा था. इसमें विवादास्पद प्रावधान को हटा दिया गया था.


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