विपक्ष लगा सकता है शहरी नौकरी गारंटी योजना पर दांव


Opposition parties Common Minimum Programme may include urban job guarantee law

 

लोकसभा चुनावों के लिए विपक्ष के ‘न्यूनतम साझा कार्यक्रम’ में जल्द ही ‘शहरी नौकरी गारंटी योजना’ भी शामिल हो सकती है.

द हिंदुस्तान टाइम्स लिखता है कि विपक्षी पार्टियों के नेताओं से मिल रही जानकारी के मुताबिक पार्टियां मनरेगा की तरह एक शहरी नौकरी गारंटी योजना लाने पर विचार कर रही हैं.

विपक्षी नेताओं के मुताबिक ये योजना लोगों के बढ़ते प्रवास की समस्या, आधारभूत ढांचे के विकास और युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी जैसी समस्याओं के समाधान के तौर पर पेश की जाएगी.

विभिन्न पार्टियों से मिले सुझावों के आधार पर ‘शहरी रोजगार गारंटी अधिकार’ सुझाव पत्र तैयार किया गया है. इसमें राष्ट्रीय शहरी रोजगार गारंटी एक्ट पर जोर दिया गया है. इसके तहत सरकार छोटे शहरों के युवाओं को उन्हीं के शहरों में रोजगार मुहैया करने की गारंटी देगी.

एक नेता ने कहा कि योजना गांव और छोटे शहरों से बड़े शहरों की ओर पलायन करने वाले लोगों की प्रवास समस्या सुलझाने पर ध्यान देगी.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत तमाम बड़े विपक्षी नेता पहले ही ये घोषणा कर चुके हैं कि आगामी चुनावों में वो जनता के मुद्दों पर अपना ध्यान केन्द्रित करेंगे. बीते हफ्ते 27 फरवरी को हुई विपक्षी पार्टियों की मीटिंग में राहुल ने विपक्षी नेताओं से कहा था कि “रोजगार, कृषि संकट और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर बीजेपी सरकार की नाकामियों को सामने लाने की जरुरत है.”

कृषि सकंट और लचर होती अर्थव्यवस्ता के बीच लगातार बढ़ती बेरोजगारी भारत में मौजूदा प्रमुख समस्याओं में से एक है. ऐसे में जानकारों का मानना है कि आगामी लोकसभा चुनावों के दौरान विकास के एजेंडे में ये मुद्दे प्रमुख रहेंगे.

एक नेता ने बताया कि देश में नोटबंदी और जीएसटी मोदी सरकार के दौरान लिए गए दो सबसे गलत फैसले थे. उन्होंने कहा, इस फैसले के बाद से छोटे और मझोले उद्योग बिलकुल ठप पड़ गए, जिसकी वजह से देश में बेरोजगारी बढ़ी. ये योजना शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी, कम पैसों में कामगारों के होने वाले शोषण और प्रशिक्षित युवाओं की कमी जैसी तमाम आधारभूत समस्याओं से निपटने के उद्देश्य से तैयार की जा रही है.


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