भारत की जो दलीलें ICJ ने नहीं मानीं


indian diplomat met kulbhushan jadhav

 

पाकिस्तान की कैद में मौजूद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने पाकिस्तान से कहा है कि जाधव की फांसी के फैसले पर पुनर्विचार किया जाए. इस दौरान कोर्ट ने जाधव की फांसी पर रोक बरकरार रखने और उनकी राजनयिक पहुंच को सुनिश्चित करने का आदेश भी दिया.

हालांकि कोर्ट ने भारत की उस मांग को भी खारिज कर दिया जिसमें उसने पाकिस्तान की सैन्य अदालत के फैसले को रद्द कर जाधव को भारत वापस लौटाने की बात कही थी.

कोर्ट ने भारत की दूसरी सलाह को भी स्वीकार नहीं किया, जिसमें भारत की ओर से कहा गया था कि जाधव के अपराध स्वीकार करने वाले बयान को हटाकर, मामले पर नागरिक अदालत में सामान्य कानून के तहत कार्रवाई हो.

भारत ने पाकिस्तान के उस दावे को खारिज कर दिया है, जिसमें उसने एक वीडियो जारी कर जाधव के अपराध स्वीकार करने की बात कही थी. भारत का कहना है कि ये बयान दबाव डालकर लिया गया है.

एक तरफ आईसीजे ने भारत को ये आजादी दे दी कि वो जाधव के लिए कानूनी सहायता का प्रबंध करे और पाकिस्तान से पुनर्विचार की बात भी कही. लेकिन इन आदेशों को किस तरह से अमल में लाया जाएगा इसके लिए कोर्ट ने कोई बात नहीं की.

एक नजरिए से ये इस्लामाबाद को इस बात की आजादी दे देना है कि वो एक बार फिर से जाधव मामले की सुनवाई सैन्य अदालत में करे.

अपने 42 पेज के आदेश में कोर्ट ने कहा, “कोर्ट ने पाया कि पाकिस्तान ने भारत को कुलभूषण सुधीर जाधव से संवाद करने और उन तक पहुंच के अधिकार से, हिरासत के दौरान उनसे मिलने और उनका कानूनी पक्ष रखने की व्यवस्था करने के अधिकार से वंचित रखा.”

कोर्ट ने कहा कि पाकिस्तान वियना समझौते के तहत जाधव की गिरफ्तारी और उसे हिरासत में रखने के बारे में भारत को सूचित करने के लिए बाध्य था.

वियना समझौते के अंतर्गत आर्टिकल 36 के मुताबिक जाधव को काउंसलर पहुंच देनी ही चाहिए थी. इसके अलावा फैसले में ये दावा भी किया गया है कि पाकिस्तान का संविधान नि:शुल्क परीक्षण और न्यायिक समीक्षा का अधिकार देता है.

आईसीजे के इस फैसले का भारत में जोरदार स्वागत हुआ. कुछ राजनीतिक दलों ने सरकार से मांग की कि वो जाधव की जल्द वापसी सुनिश्चित करे.एक आधिकारिक बयान में विदेश मंत्री ने इसे मील का पत्थर बताया. उनके मुताबिक इस फैसले ने मामले पर भारत के पक्ष को पुख्ता कर दिया है.

आईसीजे ने 15-1 के मत से इस बात का पक्ष लिया कि पाकिस्तान ने जाधव के मामले में 1963 के वियना कनवेंशन का उल्लंघन किया है.

दूसरी ओर पाकिस्तान भी इसे अपनी बड़ी जीत बताने से नहीं चूक रहा है. पाकिस्तान का दावा है कि कोर्ट ने भारत की मांगे खारिज कर दी हैं. उसने जाधव को बरी करने और भारत को वापस लौटाने की भारतीय मांग को अदालत द्वारा खारिज किए जाने को अपनी जीत बताया है.

भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में सुनवाई के बाद जासूसी और आतंकवाद के आरोपों पर फांसी की सजा सुनाई थी. इस पर भारत में काफी गुस्सा देखने को मिला था.


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