कश्मीर: पाकिस्तान ने यूएनएचआरसी से की दखल देने की मांग


pakistan demands UNHRC to interfere in kashmir case

 

पाकिस्तान ने कश्मीर की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की ओर से एक अंतरराष्ट्रीय जांच कराने की मांग की है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि भारत द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद के हालात पर विश्व मानवाधिकार संस्था को ‘उदासीन’ नहीं रहना चाहिए.  

भारत ने इन बयानों को ‘गैरजिम्मेदाराना’ बताया है. भारत की तरफ से विदेश मंत्रालय की सेक्रेटरी (ईस्ट) विजय ठाकुर सिंह ने जवाब देते हुए कहा कि पाकिस्तान भारत पर झूठे आरोप लगा रहा है. दुनिया जानती है कि झूठे आरोप ऐसे देश से आते हैं, जो खुद वैश्विक आतंकवाद का गढ़ है, जहां आतंकवादियों को पनाह मिलती है.यूएनएचआरसी में भारत ने साफ तौर पर कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना पूरी तरह आंतरिक फैसला है, जिस पर संसद ने मुहर लगाई है. कोई भी देश अपने आंतरिक मामले में दखलअंदाजी नहीं चाहेगा, भारत भी नहीं.

पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 42 वें सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि शीर्ष मानवाधिकार निकाय को मुद्दे को लेकर अपनी निष्क्रियता से विश्व मंच पर शर्मसार नहीं होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि भारत द्वारा पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद यूएनएचआरसी को कश्मीर की स्थिति के प्रति तटस्थ भाव नहीं अपनाना चाहिए.

शाह महमूद कुरैशी ने कहा, ‘‘आज मैंने कश्मीर के लोगों के लिए न्याय और सम्मान की खातिर मानवाधिकार पर विश्व की अंतरात्मा के महत्वपूर्ण स्थल मानवाधिकार परिषद का दरवाजा खटखटाया है.’’

कुरैशी ने परिषद को भारत से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्तावों और अन्य मानवाधिकार नियमों के तहत प्रतिबद्धता पूरी करने के लिए पैलेट गन का इस्तेमाल रोकने, कर्फ्यू हटाने, पाबंदियां खत्म करने, संचार पर रोक हटाने, मौलिक आजादी बहाल करने और राजनीतिक बंदियों को तुरंत छोड़ने का अनुरोध करने को कहा है.

उन्होंने परिषद से मानवाधिकार के लिए संयुक्त राष्ट्र आयुक्त कार्यालय की सिफारिश के अनुसार कश्मीर में स्थिति की जांच के लिए एक आयोग गठित करने की मांग की है.

कुरैशी ने कहा, ‘‘ हमें इस प्रतिष्ठित संस्था को वैश्विक मंच पर शर्मसार नहीं होने देना चाहिए. इस परिषद का संस्थापक सदस्य होने के नाते पाकिस्तान ऐसा होने से रोकने के लिए नैतिक रूप से बाध्य है.’’ उन्होंने कहा कि जो हुआ है उसके प्रति निकाय को उदासीन नहीं रहना चाहिए.

पिछले महीने भारत ने जम्मू कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त कर दिया था और इसे दो केंद्रशासित प्रदेश में बांट दिया था.


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