जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान को भारत का जवाब, बताया अंदरूनी मामला
जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा खत्म होने के बाद पाकिस्तान ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत के साथ राजनयिक गठबंधन को तोड़ने का एलान किया है.
भारत की ओर से पाकिस्तान को दिए जवाब में कहा गया है कि यह भारत का अंदरूनी मसला है.
इस मुद्दे पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने एक बयान में कहा, “भारत का संविधान हमेशा से एक संप्रभु मसला था है और रहेगा. इसमें दखल देने के मकसद से क्षेत्रीय तनाव पैदा करने में कभी कामयाबी नहीं मिलेगी.”
सरकार ने पाकिस्तानी हुकुमत से बातचीत कर अपने इस फैसले पर दोबारा विचार करने के लिए कहा है ताकि राजनयिक गठबंधन को बरकरार रखा जा सके.
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार ने बीते गुरुवार 7 अगस्त को ये एलान किया कि वह भारतीय दूत को पाकिस्तान से निष्कासित कर देगा, द्विपक्षीय व्यापार को निलंबित करेगा और द्विपक्षीय व्यवस्था की समीक्षा करेगा.
कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा खत्म होने के बाग खान के ऊपर इस मुद्दे फैसले को लेकर प्रतिक्रिया देने का दबाव था.
खान के इस कदम पर भारत का कहना है, “जाहिर तौर पर पाकिस्तान के इस कदम के पीछे की मंशा हमारे द्विपक्षीय संबंधों को दुनिया के सामने चिंताजनक होने के रूप में पेश करना है.”
भारत सरकार ने जोर देते हुए कहा है कि हाल में कश्मीर पर लिया गया फैसला विकास और विकास के अवसरों के लिए प्रतिबद्धता से प्रेरित था. जिसे पहले संविधान के एक अस्थायी प्रावधान से वंचित किया गया था.
भारत की ओर से समझाते हुए कहा गया है कि अनुच्छेद 370 के हटने से लिंग और सामाजिक-आर्थिक भेदभाव को दूर होगा. इसके अलावा यह आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा देगा और कश्मीरी लोगों की आजीविका की संभावनाओं में सुधार करेगा.
विदेश मंत्रालय ने कहा है, “यह हैरानी की बात नहीं है कि जम्मू-कश्मीर में किसी भी तरह की विकासात्मक पहल जिसका कश्मीरी स्वागत नहीं करेंगे, उसे पाकिस्तान की ओर से नकारात्मक समझा जाएगा. पाकिस्तान ने हमेशा ऐसी भावनाओं का इस्तेमाल अपनी सीमा पार आतंकवाद को सही ठहराने के लिए किया है.”