मप्र डायरी : जनता परेशान, प्रज्ञा गायब, दिग्विजय मैदान में


the ideology of killer of mahatma gandhi has won says digvijay singh

 

राजधानी भोपाल में इन दिनों एक चर्चा है कि स्‍मार्ट सिटी के कारण उजड़ रहे दुकानदारों और निवासियों की परेशानी दूर करने के लिए सांसद प्रज्ञा ठाकुर मैदान में क्‍यों नहीं है? जबकि लोकसभा चुनाव में उनके खिलाफ मैदान में उतरे पूर्व मुख्‍यमंत्री और राज्‍यसभा सदस्‍य दिग्विजय सिंह स्‍मार्ट सिटी की गलत प्‍लानिंग को लेकर मोर्चा खोल चुके हैं. चुनाव के दौरान प्रज्ञा ठाकुर और दिग्विजय दोनों ने ही स्‍मार्ट सिटी के गलत क्रियान्‍वयन सहित अन्‍य मुद्दों पर जनता के साथ खड़ा होने का वादा किया था. सांसद चुने जाने के बाद प्रज्ञा कुछ सार्वजनिक कार्यक्रमों में नजर आई मगर यहां भी उनके काम से ज्‍यादा बयानों की चर्चा हुई. जनता अपने कुछ काम के लिए सांसद के निवास पर जाती जरूर है मगर वे अपनी ही पार्टी के पूर्व सांसद आलोक संजर की तरह सर्व सुलभ, सहज उपलब्‍ध नहीं है.

दूसरी तरफ, भोपाल को अपनी राजनीतिक का केन्‍द्र बनाने के स्‍पष्‍ट संकेत दे चुके दिग्विजय सिंह जनता के बीच पहुंच रहे और हक की आवाज उठाने के लिए अपनी ही सरकार के खिलाफ मैदान में उतरने से भी नहीं चूक रहे हैं. बीते सप्‍ताह हुए स्‍मार्ट सिटी के विरोध कार्यक्रम में उन्होंने साफ कर दिया है कि लोगों का रोजगार छीनकर यदि स्मार्ट सिटी बनाई जाती है तो ऐसी स्मार्ट सिटी की हमे जरूरत नहीं है. उन्होंने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री से चर्चा करने का भरोसा दिला दिया है. भोपाल के जवाहर चौक क्षेत्र में स्मार्ट सिटी के नाम पर 25 सौ से अधिक दुकानदारों सहित 40 हजार लोगों को प्रभावित करने की योजना है. इसके विरोध में दुकानदारों ने आधे दिन बंद रखा था. दिग्विजय सिंह इनके समर्थन में जवाहर चौक जैन मंदिर पहुंचे जहां उन्होंने प्रभावित लोगों के पक्ष में खुलकर सामने आने की घोषणा करते हुए कहा कि प्रभावित लोगों की इस लड़ाई में वे खुलकर उनके साथ है. स्मार्ट सिटी के नाम पर अधिकारियों की मनमानी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. यह प्रजातंत्र है और कोई भी सरकार लोगों को ऐसे पेरशान नहीं कर सकती. एकतंत्र से काम नहीं होने दिया जाएगा. इसी कार्यक्रम में वक्‍ताओं ने कहा कि भोपाल की जनता से भी चूक हो गई. लोकसभा चुनावों में जनता आपको हरा बैठी और जिन्हें जिताया वह चुप बैठी हैं.

बीजेपी में दावेदार नेता बन गए मार्गदर्शक

मध्य प्रदेश बीजेपी को नया प्रदेश अध्‍यक्ष मिल गया है. खजुराहो सांसद विष्‍णुदत्‍त शर्मा प्रदेश बीजेपी का नेतृत्व करेंगे. उनका चयन अप्रत्‍याशित नहीं है. उनका नाम पिछले कई माह से चर्चा में था. वीडी नाम से मशहुर विष्‍णुदत्‍त शर्मा ग्वालियर से विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता बने और बाद में छात्र राजनीति के कारण प्रदेश में अपना आधार बनाया. वीडी का चयन बीजेपी में वरिष्‍ठ नेताओं की गुटबाजी पर लगाम लगाने की कवायद माना जा रहा है मगर केन्‍द्रीय नेतृत्‍व में यह निर्णय कर पार्टी में आमूलचूल बदलाव का संकेत दे दिया है. अब तक चुने गए अध्‍यक्ष प्रभात झा, नरेंद्र सिंह तोमर, नंदकुमार सिंह चौहान और राके‍श सिंह ने लगभग समान टीम से प्रदेश संगठन का संचालन किया मगर माना जा रहा है कि अब वीडी अपनी नई टीम बनाएंगे और उनकी टीम में नए व युवा चेहरे अधिक होंगे. ऐसा होने पर ही भाजपा संगठन में चला आ रहा ‘मठाधीशवाद’ खत्‍म होगा. वीडी के चयन के साथ ही भाजपा के केंद्रीय नेतृत्‍व ने यह भी साफ कर दिया कि प्रदेश में अब सेकण्‍ड लाइन काम करेगी. वीडी को अगले चुनाव तक काम करने का अवसर मिला है. तब तक वे स्‍वयं को सिद्ध कर सकते हैं. यानि अध्‍यक्ष पद के अब तक के सारे दावेदार वरिष्‍ठ नेता अब मार्गदर्शक मंडल की तरह काम करेंगे. संगठन की कमान संभालने की उनकी हसरत अब केवल हसरत बन रह गई है.

देश और धर्म भक्ति की राजनीति की होड़

देश का ह्रदय प्रदेश कहलाने वाले मध्य प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी में देश भक्ति और धर्म भक्ति की राजनीतिक प्रतिस्‍पर्धा तेज हो गई है. मुख्‍यमंत्री कमलनाथ स्‍वयं साफ्ट हिंदुत्‍व वाली लाइन पर पार्टी और सत्‍ता का संचालन कर रहे हैं. इसी कारण वे बीजेपी नेताओं के कोपभाजक भी बने हुए हैं. बीते सप्‍ताह शिवाजी जयंती और उसके अगले दिन शिवरात्रि पर देश भक्ति और धार्मिक दिखाने के लिए कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं ने बढ़-चढ़ कर ऐसे आयोजनों में शिरकत की तथा इन आयोजनों को संरक्षण दिया. मगर सबसे अधिक चर्चित रहा भोपाल मध्‍य के विधायक आरिफ मसूद द्वारा शिव बारात का आयोजन. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्‍य मसूद अपनी आक्रामक छवि के कारण जाने जाते हैं. वे बहुचर्चित फिल्म ‘गदर’ के प्रदर्शन के दौरान भोपाल में लिली टॉकीज पर हुए उपद्रव के कारण चर्चा में आए थे. तत्‍कालीन जिला युवक कांग्रेस अध्यक्ष आरिफ मसूद इन प्रर्दशनकारियों का नेतृत्व कर रहे थे. ‘गदर’ फिल्म के प्रदर्शन के दौरान हुए विवाद के आरोप से बरी हो चुके मसूद अब राजनीतिक रूप से गंभीर हुए हैं. मसूद ने महाशिवरात्रि पर अपने क्षेत्र में शिव बारात निकाली तो फिर चर्चा में आ गए. माना जा रहा है कि अपने क्षेत्र के लगभग 40 फीसदी हिन्‍दु मतदाताओं के बीच अपनी छवि सुधार के लिए मसूद ने यह आयोजन करवाया. इसे कुशल रणनीति कदम के तौर पर देखा जा रहा है.


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