गुजरात: पेप्सिको ने आलू किसानों के सामने रखा समझौते का प्रस्ताव


PepsiCo to withdraw case against farmers

 

दिग्गज अमेरिकी कंपनी पेप्सिको ने किसानों के खिलाफ दायर किए गए मुकदमे में समझौते का प्रस्ताव दिया है. कंपनी ने गुजरात के चार किसानों पर 1.05 करोड़ का मुकदमा ठोंका था. कंपनी का आरोप था कि इन किसानों ने उसके नाम पर पंजीकृत आलू की एक किस्म को व्यापारिक इस्तेमाल लिए उगाया था.

पेप्सिको ने इस मामले में विपिन पटेल, विनोद पटेल, छाबिल पटेल और हरि पटेल पर पांच अप्रैल को मुकदमा दायर कराया था. ये चारों छोटे किसान गुजरात के सबरकंठा जिले के हैं.

सुनवाई के दौरान पेप्सिको ने सलाह दी कि किसान ये लिखित रूप से कहें कि वे कंपनी की इजाजत के बिना इस फसल को नहीं उगाएंगे. या तो वे बाय बैक सिस्टम पर हस्ताक्षर करें. इसके तहत उन्हें फसल के बीज कंपनी से खरीदने होंगे और फसल की उपज सिर्फ कंपनी को बेचनी होगी.

किसानों की ओर से अदालत में पेश हुए अधिवक्ता आनंद याग्निक ने कहा कि वे इस प्रस्ताव पर किसानों के साथ चर्चा करेंगे. उन्होंने कहा कि वे इस बारे में 12 जून को कोर्ट को सूचित करेंगे.

कंपनी ने इन किसानों पर आरोप लगाया था कि उन्होंने FC5 के नाम से जाने वाली आलू की एक किस्म को अवैध तरीके से बिना कंपनी की इजाजत के उगाया है. इस बारे में कंपनी का दावा था कि ये किस्म ‘प्रोटेक्शन ऑफ प्लांट वेरायटीज और फारमर्स राइट एक्ट 2001’ के तहत उसके नाम पर पंजीकृत है.

इससे पहले इस तरह के एक मामले में 8 अप्रैल को हुई सुनवाई में अहमदाबाद कमर्शियल कोर्ट ने किसानों के पक्ष को सुने बिना अंतरिम निर्देश जारी किए.

कोर्ट ने 12 जून तक इस फसल को उगाने और बाजार में बेचने पर रोक लगा दी थी. जज ने मामले में कमिश्नर की नियुक्ति करते हुए, पूरी सूची के साथ फसल के सैंपल केंद्रीय लैब में भेजने का आदेश दिया.

पेप्सिको ने प्रोटेक्शन ऑफ प्लांट वेरायटीज एंड फारमर्स राइट एक्ट, 2001 के सेक्शन 64 के तहत अधिकारों के उल्लंघन का मामला दर्ज किया है. वहीं मामले में सामने आए किसान संगठनों ने इसी अधिकार के सेक्शन 39 के तहत अपना बचाव किया है.

एक्ट के सेक्शन 39 में कहा गया है कि ब्रांडेड बीजों को छोड़कर एक्ट किसानों को पंजीकृत बीजों और फसलों को बचाने, दोबारा बुवाई, बांटने और बेचने की छूट देता है.

वहीं किसानों ने चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि इस मामले का सीधा प्रभाव बाकि फसलों और बीजों पर भी होगा, जो किसानों की जीवनी पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा. उनका कहना है कि यह एक गलत मिसाल पेश करेगा.

इस मुकदमे के सामने आने के बाद 190 से अधिक सामाजिक कार्यकर्ता इन किसानों के समर्थन में उतर आए थे. इन लोगों ने केंद्र से अपील की थी कि वे किसानों के खिलाफ झूठे मामले को वापस लेने के लिए कंपनी से कहें.


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