हरियाणा लोकसभा चुनाव के उलझे हुए समीकरण


perplexed electoral equations in haryana loksabha election

 

रोहतक लोकसभा

रोहतक लोकसभा हरियाणा में कांग्रेस की सबसे मजबूत सीट मानी जाती है जिसका मुख्य कारण भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गृहक्षेत्र होना है. अपवाद को छोड़ दें तो इस सीट पर हुड्डा परिवार का ही वर्चस्व रहा है . यहां पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सीएम रहते हुए बहुत ज्यादा विकास किया है जिस कारण वो क्षेत्रवाद के कारण कई बार विपक्षियों के निशाने पर रहे हैं. अबकी बार लोकसभा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पुत्र दीपेंद्र हुड्डा की सीधी टक्कर भाजपा के अरविंद शर्मा से है. इनलो उम्मीदवार यहां सिर्फ थोड़े-बहुत ही वोट काट सकता है . देखा जाए तो मैदानी स्तर पर बीजेपी उम्मीदवार यहां कांग्रेस के सामने नहीं टिक रहा है जिसका मुख्य कारण भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा कराया विकास है. पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी लहर होने पर भी कांग्रेस ने ये सीट एक लाख सत्तर हजार के अंतर से जीती थी.

सोनीपत लोकसभा

अबकी बार सोनीपत हरियाणा की हॉट सीट बन गई है जिसका मुख्य कारण भूपेंद्र सिंह हुड्डा का यहां से चुनाव लड़ना है. पिछले लोकसभा में यहां से बीजेपी उम्मीदवार कुल मत का 35 प्रतिशत लेकर जीता था, जिसमें मुख्य कारण मोदी लहर और कांग्रेस एवं इंडियन नेशनल लोकदल को 27 और 26 प्रतिशत मत मिलना था.

अबकी बार हो रहे लोकसभा चुनाव में राजनीतिक समीकरण पिछली बार से बिल्कुल उलट हैं. भाजपा सांसद रमेश चंद्र कौशिक का देहात क्षेत्र में बहुत विरोध है जो प्रचार के समय बीजेपी सांसद को झेलना पड़ रहा है जिसका मुख्य कारण पांच साल लोगों के बीच नहीं जाना है . इनलो से टूट कर अलग हुए दुष्यंत चोटाला ने जेजेपी नाम से नई पार्टी बनाई है जिसके टिकट पर उन्होंने अपने भाई दिग्विजय चोटाला को मैदान में उतारा है. जिनके आने से सोनीपत का मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है. लेकिन यहां भी सीधा मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी में है. जीजेपी यहां सिर्फ कुछ जाट मतदाताओं को अपने पक्ष में करके कांग्रेस को नुक़सान पहुंचाने का काम कर सकती है.

करनाल लोकसभा

करनाल लोकसभा से पिछली बार भाजपा बहुत बड़े अंतर से इलेक्शन जीती थी लेकिन जीतने के बाद यहां सांसद का क्षेत्र से जुड़ाव कम रहा. इस कारण यहां बीजेपी को अपना उम्मीदवार भी बदलना पड़ा. यहां से बीजेपी ने संजय भाटिया को मैदान में उतारा है वहीं कांग्रेस ने यहां पर से कुलदीप शर्मा को मैदान में उतारा है. जीजेपी और आप की तरफ से कृष्ण अग्रवाल मैदान में हैं. वहीं इनलो ने यहां धर्मवीर पाढ़ा को टिकट दिया है जो जाति से जाट हैं. इसके साथ वे इस लोकसभा सीट से अकेले जाट उम्मीदवार हैं. अगर वे जाट वोटों को अपने पक्ष में लामबंद करने में कामयाब हो गए तो बीजेपी की जीत पक्की है.

करनाल में सीधा मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस में ही है. लेकिन यहां जीत का फैसला आप और इनलो को मिले मतों के आधार पर होगा.

अंबाला लोकसभा

अंबाला लोकसभा सुरक्षित सीट है. यहां से बीजेपी ने वर्तमान सांसद रतनलाल कटारिया को मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने यहां पर कुमारी शैलजा को मैदान में उतारा है . इनलो ने यहां राम कुमार को टिकट दी है. जीजेपी की तरफ से पृथ्वी सिंह मैदान में हैं. इस सीट पर बीएसपी का भी प्रभाव है. पिछले लोकसभा चुनाव में बीएसपी 1 लाख मत लेकर गई थी. बीएसपी ने यहां से नरेश सारण को अपना उम्मीदवार बनाया है.

अंबाला लोकसभा सीट पर सीधी टक्कर बीजेपी और कांग्रेस में है. इस सीट पर कुमारी सैलजा दो बार लगातार सांसद रही हैं. अंबाला की कद्दावर नेत्रियों में उनका नाम आता है. वहीं रतनलाल कटारिया का शहरी मतदाताओं पर अच्छा प्रभाव है. वहीं मोदी के नाम के कारण उन्हें सवर्ण वोट बैंक एकमुश्त मिलेगा. यहां पर जीत हार का फैसला बीएसपी को मिले वोटों के आधार पर होगा . अगर बीएसपी यहां पर अच्छे मत ले गई तो उसका सीधा नुकसान कांग्रेस को होगा. वहीं अगर बीएसपी अपने कोर वोटबैंक को अपने पक्ष में करने में नाकाम रही तो यह सीट कांग्रेस के खाते में जा सकती है.

कुरुक्षेत्र लोकसभा

कुरुक्षेत्र लोकसभा से पिछली बार बीजेपी अच्छे अंतर से जीती थी. यहां से राज कुमार सैनी सांसद बने थे. राज कुमार सैनी ने सांसद रहते जाट समाज पर कई बार अभद्र टिप्पणी की थी, जिस कारण हरियाणा में जाट-नॉन जाट की राजनीति को धार मिली थी. लेकिन वर्तमान में बीजेपी के पूर्व सांसद राज कुमार सैनी और बीजेपी की राह जुदा हो चुकी है .

बीजेपी ने यहां से नायाब सैनी को मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने निर्मल सिंह को टिकट दिया है, जो जाति से जाट हैं. इनलो से यहां अर्जुन चौटाला को मैदान में उतारा है. ये भी जाट जाति से ताल्लुक रखते हैं. वहीं जीजेपी से जयभगवान शर्मा को टिकट मिली है, जो जाति से ब्राह्मण हैं. पूर्व सांसद राज कुमार सैनी की पार्टी एलएसपी और बीसपी के गठबंधन की तरफ से शशी सैनी को उम्मीदवार बनाया गया है.

इस लोकसभा सीट पर कांग्रेस, बीजेपी और इंडियन नेशनल लोकदल में कुछ हद तक त्रिकोणीय मुकाबला है . नायाब सैनी को मोदी के नाम के साथ सवर्ण जाति और नॉन जाट वोट का सहारा है. वहीं कांग्रेस उम्मीदवार पार्टी बेस वोट बैंक के साथ-साथ जाटों और दलितों के मतों के सहारे मैदान में है. कुमारी सैलजा दलित मतों को कांग्रेस के पक्ष में करने लिए लगातार जनसंपर्क कर रही हैं. वहीं सिखों में कांग्रेस उम्मीदवार की अच्छी पैठ है. जिस कारण उन्हें सिख वोट बैंक का फायदा भी मिलेगा. वहीं लोकदल का उम्मीदवार भी जाट वोट बैंक व ताऊ देवी लाल के नाम के आधार पर मैदान में है. इस सीट पर जाट निर्णायक भूमिका में हैं. अगर जाट मतदाता कांग्रेस के पक्ष में लामबंद हुए तो ये सीट कांग्रेस के खाते में जा सकती है. वहीं अगर जाट मतदाताओं का विभाजन इंडियन नेशनल लोकदल और कांग्रेस के बीच हुआ तो इसका फायदा बीजेपी को हो सकता है. अगर इस सीट को करीब से देखें तो यहां भी मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही लगता है. यहां पर बीएसपी और इंडियन नेशनल लोकदल को मिला वोट का जीत-हार पर माकूल प्रभाव डालेगा.

हिसार लोकसभा

हरियाणा में अगर किसी सीट पर राजनीतिक समीकरण सबसे ज्यादा उलझे हुए हैं, तो वो सीट हिसार ही है. यहां पूरी तरह से त्रिकोणीय मुकाबला है. कांग्रेस से यहां पूर्व मुख्यमंत्री के पोते और पूर्व सांसद कुलदीप विश्नोई के बेटे भव्य विश्नोई को उम्मीदवार बनाया है. वहीं जीजेपी की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के पौत्र और वर्तमान सांसद मैदान में है. बीजेपी ने यहां से बांगर के बड़े नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे को उम्मीदवार बनाया है. चौधरी बीरेंद्र सिंह दीनबंधु सर छोटू राम के नाती हैं, जो संयुक्त पंजाब के बड़े किसान नेता रहे हैं. उन्होंने किसानों, मजदूरों और शोषितों के लिए पंजाब रिलीफ इंडेब्टनेस एक्ट (1934), गिरवी जमीनों की मुफ्त वापसी एक्ट-1938, कृषि उत्पाद मंडी अधिनियम -1938, व्यवसाय श्रमिक अधिनियम- 1940 आदि कानूनों को पारित करवाया. जिस कारण उन्हें दीनबंधु की भी उपाधि दी गई थी.

इस सीट पर तीनों उम्मीदवारों की बराबर की टक्कर है. किसी भी उम्मीदवार को कम नहीं आंका जा सकता है. इस सीट पर जाट वोट बैंक किसके साथ जाएगा, ये कहना अभी मुश्किल है. वहीं अन्य बिरादरियों का रुख बीजेपी या कांग्रेस की तरफ, ये कहना अभी जल्दबाजी होगी. इस सीट पर तीनों में से कोई भी उम्मीदवार जीत हासिल कर सकता है.

भिवानी- महेंद्रगढ़ लोकसभा

ये लोकसभा हरियाणा के अहीरवाल क्षेत्र में पड़ती है. इस लोकसभा पर अहीरों का अच्छा खासा वोटबैंक है. उसके बाद यहां जाट मतदाताओं की अच्छी खासी तादाद है. पिछले लोकसभा चुनाव में यहां से बीजेपी उम्मीदवार धर्मवीर ने एक लाख पच्चीस हजार मतों से अपने निकतम प्रतिद्वंद्वी राव बहादुर सिंह को शिकस्त दी थी.

अबकी बार यहां से बीजेपी ने अपने वर्तमान सांसद पर भरोसा जताकर उन्हें दोबारा मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने एक बार फिर श्रुति चौधरी को मैदान में उतारा है. जीजेपी ने यहां अहीर उम्मीदवार उतारकर दोनों दलों के समीकरण बिगाड़ दिए हैं. कुछ गावों में लोगों ने प्रचार के दौरान वर्तमान सांसद का विरोध किया, जिस कारण उन्हें बीच प्रोग्राम से जाना पड़ा है. लेकिन बीजेपी उम्मीदवार को अभी भी हर वर्ग से वोट मिल रहा है. जिस कारण वह मुकाबले में बना हुआ है. यहां पर हार-जीत का फैसला जीजेपी को मिले वोट के आधार पर होगा.

अगर जीजेपी उम्मीदवार कुछ जाट मतों को अपने पक्ष में कर लेता है तो इस सीट पर बीजेपी की राह आसान हो जाएगी. वहीं अगर उन्होंने अहीरों को अपने पक्ष में लामबंद कर लिया तो इसका सीधा फायदा कांग्रेस को होगा. इस सीट पर कांटे का मुकाबला है. दोनों में से कोई भी उम्मीदवार सीट निकाल सकता है.

गुरूग्राम लोकसभा

गुरूग्राम लोकसभा क्षेत्र में अहीर बाहुल्य रेवाड़ी, बावल, बादशाहपुर और पटौदी विधानसभा क्षेत्र पड़ते हैं. वहीं मेव बाहुल्य पुन्हाना, फिरोजपुर झिरका और नूंह विधानसभा क्षेत्र पड़ते हैं. गुरूग्राम और सोहना विधानसभा शहरी क्षेत्र में पड़ता है. इस लोकसभा क्षेत्र में मेव समुदाय के लगभग 3 लाख 10 हजार और यादव समुदाय के 3 लाख 50 हजार के आस-पास मतदाता हैं. मोदी लहर में यहां से बीजेपी उम्मीदवार ने अपने निकटतम उम्मीदवार ज़ाकिर हुसैन को चार लाख मतों से शिकस्त दी थी.

अबकी बार यहां से भाजपा ने दोबारा वर्तमान सांसद राव इंद्रजीत सिंह को मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने भी कद्दावर अहीर नेता कैप्टन अजय यादव को उतारकर अहीर वोटों में सेंध लगाने का सफल प्रयास किया है. जीजेपी ने यहां मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर मेव वोटों को अपने पक्ष में लामबंद करने का प्रयास किया है. अगर जीजेपी अपने प्रयास में कामयाब होती तो यहां बीजेपी की जीत सुनिश्चित हो जाएगी. वहीं अगर मेव वोटों का धुव्रीकरण कांग्रेस के पक्ष में हो गया तो कांग्रेस की भी सीट निकल सकती है.

फरीदाबाद लोकसभा

अबकी बार फरीदाबाद लोकसभा में 2014 की तरह 2019 में कृष्ण पाल गुर्जर और अवतार सिंह भड़ाना में कड़ा मुकाबला होगा. पिछले चुनाव में कृष्णपाल गुर्जर ने साढ़े 4 लाख से ज्यादा मतों से जीत हासिल की थी. लेकिन इसका मुख्य कारण मोदी लहर थी. लेकिन अबकी बार समीकरण बदले हुए हैं. इस कारण दोनों उम्मीदवारों में कांटे की टक्कर होगी. लेकिन यहां बीएसपी ने जाट उम्मीदवार उतारकर दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशियों के समीकरण बिगाड़ कर रख दिए हैं. वहीं जाट समाज ने पलवल में पंचायत कर अपना समर्थन मनधीर मान को दे दिया है.

देखना होगा पंचायत का कितना असर समाज पर होता है. वहीं कृष्णपाल गुज्जर के साथ सवर्ण मतदाताओं के साथ पिछड़े मतों का साथ मिल रहा है. अवतार सिंह भड़ाना भी गुज्जर वोट बैंक के साथ-साथ मुस्लिम और जाट मतदाताओं के सहारे मैदान में मजबूती से डटे हुए हैं. यहां पर तीनों में से कोई भी उम्मीदवार जीत सकता है.

सिरसा लोकसभा

अबकी बार सिरसा लोकसभा पर मुकाबला चौतरफा है. सिरसा लोकसभा सीट पर कांग्रेस के अशोक तंवर , बीजेपी की सुनीता दुग्गल , आईएनएलडी के मौजूदा सांसद चरणजीत सिंह रोड़ी और जननायक जनता पार्टी के प्रत्याशी निर्मल सिंह मलडी मुख्य मुकाबले में हैं.

इस लोकसभा सीट पर डेरा सच्चा सौदा का भी अच्छा प्रभाव माना जाता है. उनका समर्थन जिस उम्मीदवार को मिलेगा उसकी जीत की संभावनाएं भी बढ़ जाएंगी. इसके साथ ये सीट पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला का ग्रहक्षेत्र है. उनकी पार्टी इनलो टूटने के बाद उनका बेस वोट बैंक जिस भी पार्टी के साथ जाएगा वो पार्टी इस लोकसभा पर हावी रहेगी. चौतरफा मुकाबला होने के कारण किसी भी पार्टी के कार्यकर्ता और उम्मीदवार अपनी जीत के लिए आश्वस्त नहीं हैं.


Big News