सोशल मीडिया के निजी संदेशों तक सरकार की पहुंच देने संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई


review petition filed in ayodhya verdict

 

सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया जैसे कि मैसेंजर और ह्वाट्स एप पर होने वाली निजी चैटिंग और कूट संदेशों तक सरकार को पहुंच देने की अनुमति पर सुनवाई करने का फैसला लिया है. सरकार आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए नागरिकों के निजी संदेशों तक पहुंच की अनुमति चाहती है.

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया के खातों को आधार के साथ जोड़ने को लेकर विभिन्न हाई कोर्ट में लंबित याचिकाएं अपने यहां स्थानांतरित कर ली हैं.

जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरूद्ध बोस की पीठ ने फेसबुक की स्थानांतरण याचिका पर यह आदेश दिया. पीठ ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि इससे संबंधित सारे मामले सीजेआई के समक्ष पेश करे ताकि इन्हें जनवरी, 2020 के अंतिम सप्ताह में सुनवाई के लिये उचित पीठ को सौंपा जा सके.

शीर्ष अदालत ने केन्द्र को नियमों की अधिसूचना, जिसके तहत सोशल मीडिया का दुरूपयोग रोका जा सके और जनवरी के पहले सप्ताह में पेश करने का निर्देश से कहा कि सोशल मीडिया का दुरूपयोग रोका जा सके और कूट संदेशों के लिये मध्यस्थों की जिम्मेदारी निर्धारित की जा सके.

पीठ ने यह आदेश उस वक्त दिया जब तमिलनाडु की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने विभिन्न हाई कोर्ट में इस विषय पर लंबित सारे मामले शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने की फेसबुक का विरोध छोड़ दिया.

केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने स्पष्ट किया कि यह व्यक्तिगत निजता में दखल देने का बहाना नहीं है बल्कि यह राष्ट्र की सुरक्षा और सार्वभौमिकता का संरक्षण करने का प्रयास है.

मेहता ने कुछ याचिकाकर्ताओं के इन आरोपों का खंडन किया है कि सरकार के विचाराधीन नियमों का मसौदा व्यक्तियों की निजता को कुचलने का सरकार का प्रयास है. उनका कहना है ये नियम प्राधिकारियों को किसी विशेष संदेश या विवरण के मूल स्रोत का पता लगाने के लिये मध्यस्थों की जिम्मेदारी निर्धारित करने में मददगार होंगे.

एटर्नी जनरल ऑफ इंडिया केके वेणुगोपाल ने अपने तर्क में कहा है कि एक आतंकवादी को निजता का दावा करने का कोई अधिकार नहीं है.


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