द्वीपों के नाम बदलने से पर्यटन उद्योग को लगेगा धक्का?
स्थानीय लोगों के विरोध को अनसुना करते हुए पीएम मोदी ने अंडमान निकोबार के तीन द्वीपोंं के नाम बदल दिए हैं. अब रॉस द्वीप को नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप, नील द्वीप को शहीद द्वीप और हैवलॉक को स्वराज द्वीप के नाम से जाना जाएगा.
पीएम मोदी सुभाष चंद्र बोस के द्वारा अंडमान में तिरंगा फहराने की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर यह घोषणा की है. वह दो दिवसीय दौरे पर अंडमान पहुंचे हैं.
इससे पहले मोदी ने मरीना पार्क का दौरा किया और 150 फुट ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज फहराया. यहां उन्होंने पार्क में स्थित नेताजी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि भी अर्पित की.
न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक नाम बदलने की आशंका के बाद से ही स्थानीय लोगों ने सोशल मीडिया पर विरोध करना शुरू कर दिया था. लोगों का मानना है कि नाम बदलने से जरूरी द्वीप तक कनेक्टिविटी और परिवहन की मुकम्मल व्यवस्था की जानी चाहिए थी. लोगों की नाराजगी इस बात से भी है कि नाम बदलने के निर्णय से पहले प्रशासन ने स्थानीय लोगों से राय नहीं ली है.
पर्यटन उद्योग से जुड़े लोग मानते हैं कि उन्होंने नील द्वीप और हैवलॉक द्वीप को ब्रांड बनाने के लिए काफी निवेश किया है. कई साल की मेहनत के बाद यहां के द्वीपों को खास पहचान मिली है. नाम बदलने के बाद उन्हें दोबारा कई साल ब्रांड बनाने में लगेंगे.
अंडमान निकोबार होटलियर एसोसिएशन के अध्यक्ष जी भास्कर ने फैसले का विरोध करते हुए पीएम मोदी को पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है, “हैवलॉक, नील, रोस आईलैंड, वाइपर आईलैंड, जॉली बॉय, नार्थ बे, रेड स्कीन जैसे द्वीप पर्यटन के लिए जाने जाते हैं. नाम बदलने से पर्यटन उद्योग को धक्का लगेगा.”
प्रधानमंत्री ने मौके पर एक स्मारक डाक टिकट, ‘फर्स्ट डे कवर’ और 75 रुपया का सिक्का भी जारी किया है. साथ ही उन्होंने बोस के नाम पर एक मानद विश्वविद्यालय की स्थापना की भी घोषणा की है.
बीजेपी-एनडीए शासनकाल में कई ऐतिहासिक जगहों के नाम बदलने के बाद विवाद हुए हैं. इस मामले में साल 2018 में सर्वाधिक नाम बदलने के प्रस्ताव मिले हैं. साल 2018 में गृह मंत्रालय ने देश भर के स्थानों के नाम परिवर्तन के 21 प्रस्तावों को हरी झंडी दिखायी है.
एक आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक साल 2018 के दौरान केंद्रीय गृह मंत्रालय को गांवों, कस्बों, शहरों और रेलवे स्टेशनों के नामों में बदलाव के लिए 34 प्रस्ताव मिले. जगहों के नाम में तब्दीली के प्रस्तावों की यह तादाद सालाना आधार पर पिछले एक दशक में सर्वाधिक है.