ट्विटर के कड़े रुख के बाद मोदी के एक लाख फेक फॉलोवर्स कम हुए


due to govt manipulation of economic data investor shifting to other data sources

 

देश में राजनीतिक पक्षपात के आरोपों को देखते हुए ट्विटर की चिंताएं बढ़ी हैं.  इसके साथ ही फर्जी प्रोफाइल की समस्या भी बढ़ रही है. राजनीतिक नेताओं के ट्विटर हैंडल के एक स्वतंत्र अध्ययन में कई बातें निकल कर सामने आईं हैं. अध्ययन के बाद नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी ने अपने कई हजारों फॉलोवर्स को खो दिया है. माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ने कई प्रोफाईल को फर्जी प्रोफाइल करार दिया है.

जहां मोदी ने एक लाख फेक फॉलोवर्स को खो दिया है वहीं राहुल गांधी के नौ हजार फॉलोवर्स फेक निकले. ट्विटर ने पिछले साल जुलाई में वैश्विक स्तर पर इसी तरह की प्रक्रिया अपनाई थी जिसके बाद प्रधानमंत्री के फॉलोवर्स की संख्या में लगभग 3 लाख की कमी देखी गई थी. राहुल के सत्रह हजार फॉलोवर्स  कम हो गए थे. यहां तक कि ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी सहित कई अन्य लोकप्रिय हस्तियों ने उस समय अपने फॉलोवर्स को खो दिया था.

इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, आईआईआईटी दिल्ली द्वारा कराया गया अध्ययन सोशल मीडिया पर 2014-2019 के आम चुनावों के बीच के पैटर्न के अध्ययन का एक बड़ा हिस्सा है. इस दौरान देश के करीब 925 राजनीतिक ट्विटर हैंडल का विश्लेषण किया गया जिनमें ट्विटर पर मौजूद सभी राजनीतिक दलों और देश की राजनीतिक हस्तियों के यूजर अकाउंट शामिल हैं.

आईआईआईटी दिल्ली और हैदराबाद के प्रोफेसर पोन्नुरंगम कुमारगुरु कहते हैं, “2014 के विश्लेषण के साथ तुलना करना जल्दबाजी होगी लेकिन कुछ शुरुआती रुझान दिलचस्प हैं. मिसाल के तौर पर ट्विटर पर राजनीतिक नेताओं की मौजूदगी इस वक्त काफी ज्यादा है. हम जिन 925 ट्विटर अकाउंट का विश्लेषण कर रहे हैं उनमें से 500 से अधिक सत्यापित अकाउंट हैं. ऐसा 2014 में नहीं था.”

मोदी और गांधी के अलावा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव और सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ी संसदीय समिति के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के फॉलोवर्स में भी खासा कमी देखी गई. इसके मुताबिक जब अध्ययन शुरू हुआ था तब इस रूझान से संकेत मिले कि ज्यादातर बड़े राजनीतिक नेताओं के फॉलोवर्स में नवंबर में हुई गिरावट को छोड़कर अगस्त-सितंबर के बीच अब तक लगातार बढ़ोत्तरी हुई है.

अध्ययन में कुछ और रुझान भी आए हैं. मिसाल के तौर पर 2014 के आम चुनावों के दौरान करीब 10 लाख ट्विटर हैंडल द्वारा 2.1 करोड़ पोस्ट किए गए. इनमें से केवल 31.64 फीसदी ट्विटर हैंडल ही अभी सक्रिय हैं. संस्थान ने सक्रिय अकाउंट उन अकाउंट को बताया है जिनसे 2018 में कम से कम एक ट्वीट किया गया.

ज्यादातर देशों में इस मंच पर दुव्र्यवहार को नियंत्रित करने की वजह से इसकी आलोचना की जाती है और ट्विटर ने पिछले साल इस मंच पर फर्जी प्रोफाइल खत्म करने की शुरुआत कर दी थी.

 
ट्विटर पिछले हफ्ते दक्षिणपंथी राजनीतिक ट्विटर हैंडल्स के खिलाफ अपने कथित राजनीतिक पक्षपात की वजह से विवादों में फंसा. तीन फरवरी को ट्विटर इंडिया के कार्यालय के बाहर यूथ फॉर सोशल मीडिया डेमोक्रेसी नाम के संगठन ने धरना प्रदर्शन करते हुए कंपनी से कहा कि वह कंटेंट को हटाने या उसे ब्लॉक करने की अपनी नीति में बदलाव करे.


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