मुद्रा लोन के एनपीए में लगातार इजाफा


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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी मुद्रा योजना के लिए यह अच्छी खबर नहीं है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक़, वित्त राज्य मंत्री शिव प्रसाद शुक्ला ने लोक सभा में एक सवाल का जवाब देते हुए यह जानकारी दी है कि सरकारी बैंकों द्वारा वितरित मुद्रा लोन का एनपीए (नॉन-परफार्मिंग एसेट) पिछले तीन सालों से लगातार बढ़ रहा है.

बल्कि साल 2017-18 का कुल एनपीए साल 2016-17 की तुलना में लगभग दोगुना हो गया है. जहां साल 2016 -17 में एनपीए का आंकड़ा लगभग 3 ,700 करोड़ रुपए था तो वहीं 2017-18 में यह बढ़कर लगभग दोगुना यानि 7,200 करोड़ के आस-पास पहुंच गया है.

वित्त मंत्रालय की जानकारी यह भी बताती है कि साल 2017-18 में मुद्रा योजना के तहत वितरित होने वाला कुल कर्ज 2016-17 के मुकाबले 22 फीसदी ज्यादा था.

साल 2017-18 में योजना के तहत लगभग 92,490 करोड़ का कर्ज वितरित हुआ तो वहीं साल 2016-17 में यह राशि 71,950 करोड़ के आस-पास थी.

इस तरह, साल 2017-18 में एनपीए का आंकड़ा मुद्रा योजना के तहत कुल वितरित राशि का 3.43 फीसदी है.

सरकारी बैकों के अलावा मुद्रा लोन निजी बैंकों और माइक्रो-फाइनेंसिंग संस्थानों द्वारा भी जारी किए जाते हैं और इन्हें माइक्रो यूनिट्स डेवेलपमेंट एंड रिफाइनेन्स एजेंसी (मुद्रा) द्वारा रिफाइनेंस किया जाता है. इस समय मुद्रा में 93 बैंक, 72 माइक्रो-फाइनेंस संस्थान, 32 गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियां और 6 लघु वित्तीय बैंक नामांकित हैं.

साल 2017-18 में मुद्रा योजना के तहत वितरित कुल कर्ज में भी बड़ा इजाफा हुआ है. साल 2016-17 में इन सभी संस्थानों ने कुल 1.80 लाख करोड़ के मुद्रा लोन वितरित किए थे जबकि साल 2017-18  में यह राशि बढ़कर 2.53 लाख करोड़ रुपए हो गई.

वित्त मंत्रालय की जानकारी यह भी उजागर करती है कि मुद्रा द्वारा साल 2017-18 में रिफाइनेंस की गई राशि भी साल 2016-17 की तुलना में दोगुनी हो गई है. मुद्रा ने साल 2017-18 में 7501.05 करोड़ रुपए रिफाइनेंस किया जबकि साल 2016-17 में यह राशि 3525.94  करोड़ रुपए थी.

इस तरह , साल 2017-18 में सरकारी बैकों द्वारा वितरित  मुद्रा लोन का एनपीए तो 3.43 फीसदी है लेकिन कुल वितरित मुद्रा लोन का एनपीए बढ़कर 5 फीसदी से भी ऊपर हो चुका है.

मुद्रा योजना के तहत वितरित कर्जों की वसूली की प्रक्रिया को लेकर बीते सालों में काफी विवाद रहा है. जानकार आरंभ से ही यह मान रहे हैं कि मुद्रा लोन के कर्जों की वसूली आसान नहीं रहने वाली है.वहीं, सरकार यह दावा करती है कि मुद्रा के तहत कर्ज बांटने और वसूली के लिए आरबीआई और बैंक बोर्ड द्वारा निर्धारित मानक प्रक्रिया का पालन किया जाता है.

अब लगातार बढ़ रहे एनपीए से इस अनुमान की पुष्टि होती है. वहीं, मुद्रा लोन के तहत अपेक्षाकृत छोटे कर्जों को बांटने से बैकों का खर्च भी ज्यादा आता है.


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