CAB के खिलाफ प्रदर्शनों के बीच कार्यकर्ताओं, नेताओं ने पूछे अहम सवाल


political leaders and common man raising question against CAB

 

नागरिकता संशोधन विधेयक राज्य सभा में पारित हो गया. जिसके बाद असम सहित देश के अलग-अलग हिस्सों में बिल के खिलाफ प्रदर्शन तेज हो गए हैं. सिविल सोसायटी और आम लोग बिल को लेकर सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं, जहां- , #citizenamendmentbill2019, ,  जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं.

बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती मिलनी शुरू हो गई है. आईयूएमएल ने आज नागरिकता (संशोधन) विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, वहीं कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जल्द ही विधेयक को कोर्ट में चुनौती दी जाएगी. सीपीएम और सीपीआई सहित अन्य सभी वामदलों ने नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के विरोध में 19 दिसंबर को देशभर में साझा प्रदर्शन का आह्वान किया है.

सरकार ने व्यवस्था बनाए रखने का हवाला देते हुए असम में इंटरनेट और रेल सेवाएं रद्द कर दी हैं.

नागरिक अधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने कहा कि यदि विधेयक पारित हो जाता है, तो वह नागरिक अवज्ञा आंदोलन शुरू कर देंगे.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘मैं आधिकारिक तौर पर एक मुस्लिम के रूप में पंजीकृत करा लूंगा. मैं एनआरसी को कोई भी दस्तावेज जमा करने से मना कर दूंगा. मैं मांग करूंगा कि मुझे वही सजा दी जाए जो बिना दस्तावेज वाले मुस्लिमों को मिलेगी.’

उन्होंने लोगों से इस मुहिम में शामिल होने की अपील की है.

मेधा पाटकर समेत कई नेता, कार्यकर्ता, पत्रकार और आम नागरिक मंदर की तरह नागरिक अवज्ञा की बात कर रहे हैं.

इनका कहना है कि बिल धर्म के आधार पर नागरिकता प्रदान करता है जो कि संविधानिक मूल्यों के अनुरूप नहीं है और दूसरा कि ये व्यक्ति के जीने और स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है.

सीपीआई नेता कन्हैया कुमार ने सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा, ‘एक बच्चा भूख के मारे रो रहा था और अपने पापा से खाना मांग रहा था. पापा ने उसे अल्मारी के ऊपर बिठा दिया. अब बच्चा भूख भूलकर अल्मारी से नीचे उतरने के लिए रोने लगा. खेल को समझिए. आपके बच्चों को शिक्षा-रोजगार चाहिए. ये लोग आप सबको अपनी नागरिकता सिद्ध करने के जाल में उलझा देना चाहते है.’

वहीं सीपीआई (एमएल) की नेता कविता कृष्णन लगातार विधेयक के खिलाफ सवाल खड़े कर रही हैं.

सुप्रीम कोर्ट में वकील और कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने कहा, ‘भारत धर्मनिरपेक्ष गणतंत्र है. नागरिकता संशोधन विधेयक धर्म के आधार पर नागरिकता प्रदान करता है ये अनुच्छेद 14 और संविधानिक मूल्यों का उल्लंघन है. ये संविधान के मूलभूत ढांचे का उल्लंघन करता है और संविधान संशोधन के जरिए भी ये बदलाव नहीं किया जा सकता है.’

जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने राज्य सभा में विधेयक पारित होने के बाद ट्वीट कर कहा, ‘हमें बताया गया था कि नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 नागरिकता प्रदान करने के लिए और यह किसी से भी उसकी नागरिकता को वापस नहीं लेगा. लेकिन सच यह है कि यह नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन के साथ मिलकर सरकार के हाथ में एक हथियार दे देगा. जिससे वह धर्म के धार पर लोगों के साथ भेदभाव कर और यहां तक कि उनपर मुकदमा चला सकती है.’


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