दिवाली पर दिल्ली में प्रदूषण चरम पर, कई इलाकों में वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर


Pollution peaks in Delhi on Diwali, air quality situation in many areas critical

 

नई दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खराब रहा और दिवाली पर पटाखों के धुंए और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाये जाने के कारण वायु गुणवत्ता के ‘गंभीर’ स्तर पर पहुंचने का अनुमान है.

दिल्ली में सुबह के समय वातावरण में जहरीली धुंध की चादर छाई रही और सुबह नौ बजे तक समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 313 और दोपहर ढाई बजे 341 दर्ज किया गया.

26 अक्टूबर को दिल्ली का एक्यूआई 302 था, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है .

दिल्ली सरकार के वायु गुणवत्ता मॉनिटर के अनुसार, आनंद विहार में पीएम 10 का स्तर 515 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गया.

वजीरपुर और बवाना में, पीएम 2.5 का स्तर 400 अंक को पार कर गया.

राजधानी के 37 वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों में से नौ स्टेशनों में सूचकांक ‘बहुत खराब’ श्रेणी या उससे भी ज्यादा दर्ज किया गया.

फरीदाबाद में एक्यूआई 318, गाजियाबाद में 397, ग्रेटर नोएडा में 315 और नोएडा में 357 रहा.

पिछले साल शहर में दिवाली के अगले दिन आठ नवंबर को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 642 था जो अति गंभीर आपात श्रेणी में आता है. वर्ष 2017 में दिवाली के बाद सूचकांक 367 था.

शून्य से 50 के बीच के एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 से 100 को ‘संतोषजनक’, 101 से 200 को ‘मध्यम’, 201 से 300 को ‘खराब’, 301 से 400 को ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 को ‘गंभीर’ और 500 से ऊपर को अति गंभीर आपात स्थिति की श्रेणी में रखा जाता है.

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता के लिए दिवाली के कारण 15 अक्टूबर से 15 नवंबर का समय बहुत संवेदनशील माना जाता है. इस अवधि में दिवाली में पटाखे जलाने और निकटवर्ती राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं की वजह से दिल्ली में वायु गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित होती है.

दिवाली के आसपास दिल्ली की वायु गुणवत्ता के खतरनाक स्तर तक पहुंच जाने के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष पटाखे जलाने पर पाबंदी लगाकर केवल हरित पटाखे बनाने और बेचने की अनुमति दी थी जिनसे 30 फीसदी कम प्रदूषण फैलता है.


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