चुनावी बजट से बढ़ जाएगा राजकोषीय घाटा: रिसर्च


populist spending budget of modi government will increase fiscal deficit

 

बीजेपी सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के बजट में अपने खोए हुए वोट बैंक को फिर से खिंचने के लिए लोकलुभावन घोषणाएं लेकर आई हैं. चुनावी मौसम को भांप कर लाए गए मोदी सरकार के इस बजट की आलोचना तमाम राजनीतिक पार्टियां, रेटिंग एजेंसी और रिसर्च समूह ने की हैं. रेटिंग एजेंसी मूडीज ने इस बजट को साख के दृष्टि से नकारात्मक बताया था. वहीं फिच समूह ने माना है कि सरकार की तरफ से पेश किए गए इस बजट से देश पर राजकोषीय घाटा बढ़ जाएगा.

फिच समूह की रिसर्च इकाई फिच सॉल्यूशंस का अनुमान है कि अगले वित्त वर्ष 2019-20 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद(जीडीपी) का 3.6 फीसदी रहेगा. यह तय बजट लक्ष्य 3.4 से 0.2 फीसदी ज्यादा है.

फिच समूह के मुताबिक बीजेपी नीत एनडीए अगली लोकसभा में जीत को लेकर काफी आशंकित है. खासकर मध्यम वर्ग और ग्रामीण जनता में नाराजगी ज्यादा है. यही वजह रही हैं कि बीजेपी सरकार ने दाव खेलते हुए बजट को लोकलुभावन बनाया है.

सरकार संकट में घिरे ग्रामीण इलाकों को उबारने और रोजगार सृजन में असफल रही है. फसल बीमा किसानों के लिए न सिर्फ एक फ्लॉप योजना बन कर रह गई बल्कि इससे उलटे पूंजीपतियों ने भरपूर मुनाफा कमाया है. इन तमाम वजह से बीजेपी का एक बड़ा वोट बैंक खिसकता चला गया. यह बजट इसी को समेटने की एक कोशिश हैं.

फिच का कहना है कि इस तरह के बजट की उम्मीद पहले से ही थी. यह माना जा रहा था कि सत्ताधारी बीजेपी तीन हिंदी राज्यों में अपनी हार के बाद लोकप्रियता को कायम रखने के लिए लोकलुभावन घोषणाएं कर सकती हैं.

फिच सॉल्यूशंस ने कहा, “हमारा अनुमान है कि खर्च में वृद्धि सरकार के अनुमान से अधिक रहेगी. हमने यह अनुमान चुनाव में होने वाले भारी भरकम खर्च और बजट भाषण में इस बात पर जोर के मद्देनजर दिया है कि जरूरत होने पर अतिरिक्त कोष उपलब्ध कराया जाएगा. इसके अलावा सरकार के राजस्व वृद्धि का अनुमान भी खासकर मध्यम वर्ग और छोटे कारोबारों को दी गई कर छूट के मद्देनजर बहुत अधिक आशावादी नजर आता है.”

इसी के अनुरूप फिच सॉल्यूशंस ने 2019-20 के राजकोषीय घाटे के अपने अनुमान को बढ़ाकर 3.6 फीसदी कर दिया है. पहले उसने इसके तीन फीसदी रहने का अनुमान लगाया था.

वहीं सरकार की तरफ से पेश किए आंकड़ों के मुताबिक जीएसटी संग्रह चालू वित्त वर्ष में लक्ष्य से एक लाख करोड़ रुपये पीछे रह गई. चालू वित्त वर्ष के लिए केन्द्र सरकार ने पिछले बजट में 7.43 लाख करोड़ रुपये जीएसटी से प्राप्त करने का लक्ष्य रखा था. अगले वित्त वर्ष में इसे घटाकर 6.43 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है.

चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों में केंद्र और राज्यों का कुल मिला जुला जीएसटी संग्रह 9.71 लाख करोड़ रुपये रहा. पूरे वित्त वर्ष के दौरान राज्यों और केंद्र का कुल जीएसटी संग्रह 13.48 लाख करोड़ रुपये होने का लक्ष्य तय किया गया था.


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