मध्य प्रदेश डायरी: प्रज्ञा ठाकुर अकेले हिंदुत्‍व के मुद्दे पर निर्भर


Pragya Thakur is dependent on Hindutva politics alone

 

भोपाल लोकसभा चुनाव मध्य प्रदेश ही नहीं पूरे देश में चर्चित चुनाव बन गया है. यहां से कांग्रेस प्रत्‍याशी पूर्व मुख्‍यमंत्री दिग्विजय सिंह के मुकाबले बीजेपी के किसी कार्यकर्ता या नेता को नहीं बल्कि आरएसएस की अनुशंसा पर प्रज्ञा ठाकुर को मैदान में उतारा गया है.

प्रज्ञा ठाकुर मालेगांव बम विस्‍फोट की आरोपी हैं और जमानत पर हैं. उन्‍होंने आते ही हिन्‍दुत्‍व को अपना एजेंडा घोषित कर दिया जबकि कांग्रेस प्रत्‍याशी दिग्विजय सिंह ने विकास को एजेंडा बनाया है. वे विकास की अपनी योजना को ‘विजन डाक्‍यूमेंट’ में पेश कर चुके हैं और रोज ही सोशल मीडिया में बीजेपी सरकार की विफलता को उजागर कर रहे हैं.

प्रज्ञा ठाकुर अपने बयानों के कारण पहले दिन से ही विवादों में घिर गई हैं. शहीद हेमंत करकरे को लेकर दिए गए उनके बयान की देशभर में निंदा हुई और बाद में चुनाव आयोग ने उनके खिलाफ आचार संहिता उल्‍लंघन का प्रकरण भी दर्ज करवाया. वे अब अपने बयानों से पलट चुकी हैं. लगता है बीजेपी और संघ उन्‍हें विवादास्‍पद बयान न देने की समझाइश दे चुके हैं.

मगर, प्रज्ञा ठाकुर के व्‍यवहार में बदलाव नहीं आया हैं. वे हिंदुत्‍व के इर्दगिर्द ही अपनी गतिविधियां संचालित कर रही हैं. हालांकि, डैमेज कंट्रोल के लिए संघ और बीजेपी के नेता सक्रिय हैं मगर मैदानी पकड़ वाले नेताओं की निष्क्रियता बीजेपी खेमे में चिंता बढ़ा रही है. दिग्विजय के विकास के एजेंडे के जवाब में बीजेपी खुद भी दृष्टि पत्र लाना चा‍ह रही है. मगर, बीजेपी के ही वरिष्‍ठ नेताओं का कहना है कि अकेले दृष्टि पत्र लाने या पार्टी के नेताओं द्वारा विकास की बात करने से कुछ न होगा. प्रत्‍याशी को भी क्षेत्र के मुद्दों की बात करनी होगी. उन्‍हें अपने भाषणों में यहां की समस्‍याओं और उनके समाधान की बात करनी होगी. अन्‍यथा तो पार्टी की राह आसान नहीं है.

उमा को रास न आई प्रज्ञा की खुद से तुलना

भोपाल का चुनाव इसलिए भी महत्‍वपूर्ण हो गया है कि यहां 2003 के बाद 2019 में एक आक्रामक ‘साध्‍वी’ को मैदान में उतारा गया है. 2003 में उमा भारती ने बीजेपी को सत्‍ता दिलाई थी. उन्‍हें ‘फायर ब्रांड’ नेता कहा जाता है.

यहां लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी की ओर से भगवाधारी प्रज्ञा ठाकुर को टिकट दिया गया तो उनकी तुलना उमा भारती से की जाने लगी. खुद प्रज्ञा ने भी स्‍वयं को उमा की तरह बताते हुए कहा था कि जिस तरह 2003 में उमा ने कांग्रेस सरकार को हटाया था वे 2019 में कांग्रेस को पराजित करेंगी.

उमा भारती जैसी वरिष्‍ठ नेता को प्रज्ञा ठाकुर द्वारा स्‍वयं के साथ की गई तुलना रास नहीं आई है. खजुराहो सीट से बीजेपी प्रत्याशी वीडी शर्मा के समर्थन में प्रचार करने कटनी पहुंचीं उमा भारती ने मीडिया से बात में प्रज्ञा द्वारा की गई तुलना पर तंज कसा कि प्रज्ञा ठाकुर महान संत हैं, उनके मुकाबले मैं बहुत साधारण इंसान हूं. उमा ने स्‍वयं को मूर्ख टाइप कह दिया.

माना जा रहा है कि उमा ने नाराजगी में यह बात कही है. उमा ने सत्‍ता लाने के लिए पूरे राज्‍य में मेहनत की थी जबकि संघ और बीजेपी संगठन के साथ होने के बाद भी प्रज्ञा तो स्‍वयं के दम पर एक लोकसभा सीट पर भी चुनौती नहीं दे पा रही है. ऐसे में उमा का नाराज होना लाजमी था.

अफसरों पर निकल रही बीजेपी नेताओं की खीज

बीजेपी नेताओं ने मैदानी स्थिति का आकलन किया है या वे अपने कार्य को लेकर संतुष्‍ट नहीं है, यह तो नहीं पता लेकिन इन दिनों प्रशासनिक अफसरों पर उनकी खीज निकल रही है.

छिंदवाड़ा में हेलीकॉप्‍टर न उतारने देने पर पूर्व मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कलेक्‍टर को ‘पिट्ठू’ तक कह दिया. उन्‍होंने इस अंदाज में कलेक्‍टर को धमाकाया कि बीजेपी सत्‍ता में आई तो तुम्‍हारा क्‍या होगा. इस मामले में बीजेपी ने चुनाव आयोग में शिकायत भी की लेकिन आयोग ने कलेक्‍टर को सही बताया. लेकिन शिवराज का जिला निर्वाचन अधिकारी जैसे जिम्‍मेदार व्‍यक्ति के खिलाफ बोलना आईएएस एसोसिएशन को नागवार गुजरा.

अकेले शिवराज ही नहीं है जो अफसरों को धमका रहे हैं. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने अपने चुनाव प्रचार के अंतिम दिन प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को चेतावनी दी है.

उन्होंने कहा कि एक अस्थायी सरकार के कहने पर गलत काम नहीं करें. इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे. बीजेपी संगठन भी प्रदेश के अफसरों के आचरण को लेकर रोज ही चुनाव आयोग से शिकायत कर रहा है. बीजेपी नेताओं का अफसरों को सार्वजनिक रूप से धमकाने पर प्रशासनिक जगत में नकारात्‍मक प्रतिक्रिया हो रही है.


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