प्रधानमंत्री ने देश की जैव विविधता का संरक्षण करने की अपील की


Preserve, conserve India's biodiversity, says PM Modi in Mann ki Baat

 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय परंपरा में प्रकृति के प्रति अपार प्रेम के संदेश का जिक्र करते हुये रविवार को देशवासियों से भारत की जैव विविधता का संरक्षण करने की अपील की.

मोदी ने आकाशवाणी पर प्रसारित कार्यक्रम ‘मन की बात’ में अपने संबोधन के दौरान कहा, ”हमारी जैवविविधता पूरी मानवता के लिए अनोखा खजाना है जिसे हमें संजोना है, संरक्षित रखना है, और इसकी खोज भी करना है.”

प्रधानमंत्री ने प्रवासी जीवों के संरक्षण की जरूरत पर बल देते हुये कहा, ”हमारे देश की महान परम्परायें हैं. हमारे पूर्वजों ने हमें जो विरासत में दिया है, जो शिक्षा और दीक्षा हमें मिली है जिसमें जीव-मात्र के प्रति दया का भाव, प्रकृति के प्रति अपार प्रेम, ये सारी बातें, हमारी सांस्कृतिक विरासत हैं और भारत के इस वातावरण का आतिथ्य लेने के लिए दुनिया भर से अलग-अलग प्रजातियों के पक्षी भी, हर साल भारत आते हैं.”

उन्होंने कहा, ”भारत पूरे साल कई प्रवासी प्रजाजियों का भी आशियाना बना रहता है और ये जो पक्षी आते हैं, पांच-सौ से भी ज्यादा, अलग-अलग प्रकार के और अलग-अलग इलाके से आते हैं.

प्रधानमंत्री मोदी ने प्रवासी जीवों के संरक्षण के लिये गुजरात के गांधीनगर में आयोजित कोप-13 सम्मेलन का जिक्र करते हुये कहा, ”पिछले दिनों, गाँधीनगर में ‘कोप-13 सम्मेलन’ में इस विषय पर काफी चिंतन मनन हुआ और भारत के प्रयासों की काफी सराहना भी हुई.”

मोदी ने प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण के प्रयासों को बेहतर बनाने में लोगों से अपने सुझाव देने की अपील करते हुये कहा, ”हमारे लिए गर्व की बात है कि आने वाले तीन वर्षों तक भारत प्रवासी प्रजातियों पर होने वाले ‘सम्मेलन’ की अध्यक्षता करेगा. इस अवसर को कैसे उपयोगी बनायें, इसके लिये, आप अपने सुझाव जरुर भेजें.”

इस दौरान उन्होंने मेघालय में मछलियों की एक प्रजाति की खोज पर कोप सम्मेलन में चर्चा का जिक्र करते हुये कहा, ”हाल ही में जीवविज्ञानियों ने मछली की एक ऐसी नई प्रजाति की खोज की है, जो केवल मेघालय में गुफाओं के अन्दर पाई जाती है. माना जा रहा है कि यह मछली गुफाओं में जमीन के अन्दर रहने वाले जल-जीवों की प्रजातियों में से सबसे बड़ी है. यह मछली ऐसी गहरी और अंधेरी भूमिगत गुफाओं में रहती है, जहां रोशनी भी शायद ही पहुँच पाती है.”

उन्होंने जीव जंतुओं की गुमनाम प्रजातियों की खोज को जरूरी बताते हुये कहा, ”वैज्ञानिक भी इस बात से आश्चर्यचकित हैं कि इतनी बड़ी मछली इतनी गहरी गुफाओं में कैसे जीवित रहती है? यह एक सुखद बात है कि हमारा भारत और विशेष तौर पर मेघालय एक दुर्लभ प्रजाति का घर है. यह भारत की जैव-विविधता को एक नया आयाम देने वाला है. हमारे आसपास ऐसे बहुत सारे अजूबे हैं, जो अब भी गुमनाम हैं. इन अजूबों का पता लगाने के लिए खोजी जुनून जरुरी होता है.”

प्रधानमंत्री ने जैवविविधता के महत्व को इंगित करने के लिये तमिल कवियत्री अव्वैयार की एक कविता का जिक्र किया. उन्होंने कविता का अर्थ बताते हुये कहा, ”इसका अर्थ है कि हम जो जानते हैं, वह महज़, मुट्ठी-भर एक रेत है लेकिन, जो हम नहीं जानते हैं, वो, अपने आप में पूरे ब्रह्माण्ड के समान है.” मोदी ने कविता के दार्शनिक संदेश को जैवविविधता से जोड़ते हुये कहा, ”इस देश की विविधता के साथ भी ऐसा ही है कि हम जितना जानें उतना कम है. हमारी जैवविविधता भी पूरी मानवता के लिए अनोखा खजाना है जिसे हमें संजोना है, संरक्षित रखना है, और इसकी खोज भी करना है.”


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