अपने ही कार्यकर्ता के सवाल से क्यों शर्मिंदा हुए प्रधानमंत्री?
बीजेपी पार्टी कार्यकर्ता ने हाल ही में एक लाइव कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ऐसा सवाल पूछ लिया कि पार्टी ने अब लाइव सवाल पूछे जाने पर रोक लगा दी है. पुडुचेरी से पार्टी कार्यकर्ता निर्मल कुमार जैन ने पीएम से “सरकार की नीतियों की वजह से आम आदमी पर बढ़े कर के बोझ” से जुड़ा एक सवाल पूछा था.
जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यकर्ता के सवाल की परवाह किए बिना उसे पार्टी की उपलब्धियां गिना दी. उन्होंने कहा कि वो एक व्यापारी है और उसे उसी तरह बात करनी चाहिए. आगे उन्होंने कहा कि सरकार आम आदमी का अच्छे से ख्याल रख रही है.
बीजेपी हर रविवार को प्रधानमंत्री मोदी और पार्टी कर्याकर्ताओं के बीच ‘माई बूथ इज ए स्ट्रांग बूथ’ नाम के एक लाइव कार्यक्रम का आयोजन करती है. अब तक इस कार्यक्रम में प्रदेश पार्टी कार्यकर्ता प्रधानमंत्री मोदी से लाइव सवाल पूछा करते थे. सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने कार्यकर्ता निर्मल के सवाल के बाद सवाल पूछे जाने के नियमों में कुछ बदलाव किए हैं.
एक पार्टी कार्यकर्ता ने बताया कि “हम निर्मल वाली घटना के बाद इस बात का खास ख्याल रख रहे हैं कि वैसे सवाल दोबारा न पूछे जाएं, इसलिए हमने कार्यकर्ताओं से रविवार को होने वाले कार्यक्रम से 48 घंटे पहले सवाल पूछने को कहा है. हमने कार्यकर्ताओं से कहा है कि अगर आप पीएम से सवाल पूछना चाहते हैं तो अपने सवाल की वीडियो रिकोर्डिंग और एक गूगल फॉरमेट का फॉर्म भर कर हमें भेज दें.”
पार्टी ने कार्यकर्ताओं से कहा है कि नमो एप के जरिए अपने सवाल 48 घंटे पहले भेजे. इसके बाद पार्टी पूछे गए सवालों में से चुनाव करेगी, इसके बाद ही सवाल प्रधानमंत्री मोदी के सामने रखे जाएंगे.
वैसे, सरकार का अपने ही कार्यकर्ता के सवाल के प्रति यह रुख हैरतअंगेज है. आम तौर पर कार्यकर्ता को पार्टी और जनता के बीच की कड़ी माना जाता है. पार्टियां कार्यकर्ताओं की राय जानकार ही अपने कार्यक्रम और नीतियां निर्धारित करती हैं.
इसके अलावा, बीजेपी की राजनीतिक कार्यशैली पर बीते सालों में यह आम धारणा बनी है कि पार्टी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के सिवाय किसी की भी राय बहुत मायने नहीं रखती.
ऐसे में अपने ही कार्यकर्ताओं की राय को शर्मिंदगी के नजरिए से देखना पार्टी के लिए आत्मघाती हो सकता है.