राजीव गांधी का भारत रत्न वापस लेने की मांग को दिल्ली विधानसभा की मंजूरी


court dismissed prohibition imposed on murugan in rajiv gandhi murder case

  PTI

आम आदमी पार्टी के विधायक जनरैल सिंह की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का भारत रत्न वापस लेने की मांग के प्रस्ताव को दिल्ली विधानसभा में मंजूरी दे दी गई है.

1984 में सिख विरोधी दंगे के समय राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे. इसी मुद्दे को लेकर यह प्रस्ताव लाया गया.

प्रस्ताव में कहा गया है कि दिल्ली विधानसभा की ओर से कड़े शब्दों में गृह मंत्रालय को पत्र लिखा जाएगा.

पत्र में भारत के घरेलू आपराधिक कानूनों में मानवता के खिलाफ अपराध और जनसंहार को खासतौर पर शामिल करने के लिए सभी महत्वपूर्ण और जरूरी कदम उठाने की मांग की जाएगी. इसके साथ ही गृह मंत्रालय को अवगत करवाया जाएगा कि 1984 में सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाया है.

कांग्रेस ने विधानसभा के इस प्रस्ताव पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है.

कांग्रेस नेता अजय माकन ने ट्वीट किया, ‘राजीव गांधी ने देश के लिए अपनी जान दी. आप का असली चेहरा सामने आ गया है. मैंने हमेशा माना है कि आप बीजेपी की बी टीम है. आप ने गोवा, पंजाब, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़ में अपने उम्मीदवार उतारे ताकि बीजेपी की मदद हो सके और कांग्रेस का वोट कटे.’

इससे पहले बीजेपी नेता ने पूर्व प्रधानमंत्री से भारत रत्न छीनने और राजीव गांधी को मरणोपरांत सजा देने की मांग की थी.

उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा था,  “1984 सिख दंगों के दोषियों में से एक और कांग्रेसी सज्जन कुमार को दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. इससे दंगों से प्रभावित सिख परिवारों को थोड़ा सकून तो मिला है लेकिन पूरा न्याय तो तभी मिलेगा, जब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को भी सजा मिलेगी.’ उन्होंने कहा, ‘उस समय राजीव गांधी ने यह कहते हुए नरसंहार का समर्थन किया था कि जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है.’

दिल्ली हाई कोर्ट ने 17 दिसंबर को कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को 1984 के सिख विरोधी दंगे के मामले में हत्या की साजिश रचने का दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सज़ा सुनाई है.

राजीव गांधी को मरणोपरांत 1991 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. 21 मई 1989 को आतंकवादियों ने राजीव की एक बम विस्फ़ोट में हत्या कर दी थी.


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