क्या ज़रूरत है नया प्रधानमंत्री केअर फंड बनाने की!


pm will address the nation amid corona virus crisis

 

प्रधानमंत्री राहत कोष का गठन देश के पहले पूर्व और सवर्गीय प्रधानमंत्री पंडित नेहरुजी ने जनवरी 1948 में गठन किया था. उस समय इस राहत कोष का उद्देश्य पाकिस्तान से आए विस्थापितों की मदद करना था.

तब से ये राहत कोष देश की विरासत है. इसे संसद ने नहीं बनाया और ना ही सरकार से इसे कोई बजट मिलता है. ये कोष देश की जनता के दान पर निर्भर है.

ऐसे ट्रस्ट को खत्म करने के पीछे प्रधानमंत्री की क्या मंशा है, क्या माना जाए नेहरु से घृणा. तो सवाल खड़ा होता है कि नेहरु से तो राजनीतिक घृणा की जा सकती है लेकिन देश से नहीं .

इससे पहले योजना आयोग को खत्म करके नीति आयोग बनाया गया है. योजना आयोग पंडित नेहरु  और नेता सुभाष चंद्र बोस की परिकल्पना थी. ये एक संवैधानिक संस्था थी. तो क्या माना जाए कि नेहरुजी के साथ नेताजी की सोच की भी हत्या की गई .

यहां सवाल उठता है कि जब प्रधानमंत्री नेशनल रिलीफ फंड है यानी (PMNRF) पहले से ही मौजूद है. तो नया रिलीफ फंड एकाउंट  बनाने की क्या जरूरत पड़ गई .

खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ही कश्मीर और केरल की बाढ़ के मौके पर इस फंड के जरिए से ही लोगों से मदद मांगी और लोगों ने दी भी थी फिर अब क्या हुआ .

दरअसल प्रधानमंत्री ने कोरोना आपदा के लिए देश के लोगों से दान की अपील की थी और इसके लिए एक नया PM CARES fund बनाया है. खास बात यह है कि जैसे ही प्रधानमंत्री की ओर से दान की अपील हुई वैसे ही अक्षय कुमार ने खटाक से उसमे 25 करोड़ रुपये दान कर दिए .

यहां एक बात और जानने और समझ ने की है कि पहले वाले (यानी पुराने वाले) प्रधानमंत्री नेशनल रिलीफ फंड को ऑपरेट व मॉनिटर करने के लिए बाकायदा गृह सचिव समेत कुछ नौकरशाह व विपक्ष के नेता भी उस ट्रस्ट के सदस्य होते थे. जिसके चलते इसमें झोलझाल की गुंजाइश कम थी. वहां, फंड बाकायदा ऑडिट होता है व एक अलग से वेबसाइट बनी हुई है. जहां इसकी ऑडिट रिपोर्ट पब्लिक है. जबकि, जो नया PM CARES fund बनाया गया है. वहां मोदी खुद इसके चेयरमैन हैं, साथ में अमित शाह, राजनाथ सिंह और निर्मला सीतारमण उसके ट्रस्टी हैं. इसके अलावा और कोई नहीं है.

बताया जा रहा है कि इस संबंध में एक आरटीआई भी दाखिल की गई है. जिसमें नए PM CARE fund की कॉपी ऑफ रेजिस्ट्रेशन और ट्रस्ट डीड की कॉपी मांगी है.


Big News