पुलवामा हमला: मोदी सरकार पर सवाल उठाने से क्यों बच रहा है विपक्ष?
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले को लेकर कई किस्म की राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. जाहिर है कि पाकिस्तान अपना बचाव कर रहा है और कुछ हद तक चीन भी उसका साथ दे रहा है. लेकिन दुनिया के कई देश स्वाभाविक रूप से भारत के समर्थन में खड़े हैं.
निश्चित तौर पर भारत आतंकवाद की चुनौती से निपटने के लिए एकताबद्ध है. पुलवामा हमले के बाद से ही कांग्रेस समेत लगभग सभी विपक्षी दलों ने अपनी यह मंशा जताई कि इस मामले को राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाया जाए. लेकिन क्या उन नाकामियों की पहचान जरूरी नहीं है जिनकी वजह से आतंकवादी इस हमले को अंजाम दे सके?
अगर हम भविष्य में किसी लापरवाही से बचना चाहते हैं तो यह पता लगाना जरूरी है कि चूक कहां हुई. इस मामले में मोदी सरकार अपनी जवाबदेही से नहीं बच सकती. मुख्य विपक्षी पार्टी होने के नाते कांग्रेस का यह कर्तव्य था कि वह इन सवालों को उठाती. शायद राजनीतिक इच्छा के अभाव और अतीत के अपराधबोध ने उसे रोक रखा है.
खैर, तृणमूल कांगेस की नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पुलवामा हमले के संदर्भ में कुछ गंभीर सवाल उठाए हैं. उन्होंने मोदी सरकार से पूछा:
-आपने पाकिस्तान को यह हमला करने कैसे दिया?
-पांच सालों में आतंकवाद को रोकने के लिए आपने कौन से कदम उठाए?
-78 गाड़ियों के काफिले में 2,500 जवानों को क्यों ले जाया जा रहा था, जबकि सरकार के पास इंटेलीजेंस की जानकारी थी कि ऐसे हमले को अंजाम दिया जा सकता है?
ममता बनर्जी ने मोदी सरकार की मंशा को भी शक के घेरे में खड़ा किया है. हालांकि, उन्होंने जोड़ा कि प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के उकसाने वाले बयानों के बाद वे इन सवालों को पूछने के लिए मजबूर हुई हैं. देश में तनाव पैदा करने की संघ परिवार की कोशिशों का भी उन्होंने हवाला दिया.
संभव है कि ममता बनर्जी के इस बयान के बाद उन पर राजनीति करने का आरोप लगाया जाए. हालांकि, हमले के बाद से पिछले पांच दिनों में देश के भीतर हुई राजनीतिक गतिविधियों पर निगाह डालें तो यह साफ पता चलता है कि इस मामले को लेकर राजनीति कौन कर रहा है.
प्रधानमंत्री लगातार रैलियों में इस मुद्दे पर चुनावी भाषण दे रहे हैं. बीजेपी के नेता-मंत्री शांति कार्यकर्ताओं को निशाना बना रहे हैं. देश में कश्मीरियों के खिलाफ एक माहौल बनाया जा रहा है. दो दिन पहले तो बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने हद कर दी. असम के लखीमपुर में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जवानों का यह त्याग बेकार नहीं जाएगा क्योंकि केंद्र में कांग्रेस की नहीं, बीजेपी की सरकार है.
इन चीजों को देखकर कई विश्लेषक इस बात की तरफ इशारा कर रहे हैं कि बीजेपी पुलवामा हमले का राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रही है. दूसरी तरफ सतही नैतिकता की आड़ में विपक्ष इसे लेकर सवाल पूछने से भी डरता रहा है. अब ममता बनर्जी ने पहल कर दी है. संभव है कि यह बात दूर तक भी जाए.