राबड़ी देवी ने लालू यादव के खिलाफ अत्याचार का बदला लेने की अपील की


rabari devi writes emotional letter

 

राजद सुप्रीमो लालू यादव की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने बिहार की जनता के नाम एक भावनात्मक पत्र लिखा है. राबड़ी देवी ने इस पत्र में नरेंद्र मोदी और अमित शाह के ऊपर लालू यादव को परेशान करने का आरोप लगाया है.

राबड़ी देवी ने लिखा है कि लालू यादव को इसलिए यातनाएं दी जा रही हैं क्योंकि उन्होंने हमेशा सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ी है और समाज को समानता की ओर अग्रसर किया है.

राबड़ी देवी पत्र में लिखती हैं कि लालू यादव को परेशान किए जाने का पता इस बात से चलता है कि जिस घोटाले के आरोप उनके ऊपर लगे हैं, उसमें बाकी के आरोपियों को दोषमुक्त किया जा चुका है. दोषमुक्त किए गए आरोपियों में ज्यादातर लालू यादव के नीचे काम कर चुके अधिकारी हैं.

राबड़ी देवी लिखती हैं कि एक ओर प्रज्ञा ठाकुर और जगन्नाथ मिश्रा जैसे आरोपी जमानत पर बाहर हैं, दूसरी ओर लालू यादव को घर का खाना तक नहीं खाने दिया जा रहा है. राबड़ी देवी आगे लिखती हैं कि मानवाधिकारों का हनन करते हुए लालू यादव को ना तो किसी से मिलने दिया जा रहा है और ना ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं.

अंत में राबड़ी देवी ने अपील की है कि जनता लालू यादव के साथ हो रहे अत्याचार का बदला ले.


राबड़ी देवी का पत्र

बिहार के प्रिय भाइयों और बहनों,
लालू जी को तानाशाहों द्वारा बारंबार इसीलिए प्रताड़ित किया जा रहा है क्योंकि उन्होंने वंचित, उपेक्षित और उत्पीड़ित वर्गों की लड़ाई लड़ी. समाज में समानता लेकर आए. देश में बड़े से बड़े घोटाले हुए पर कब किस मुख्यमंत्री को साज़िश का बहाना बना फँसाया गया.

एक ही मुख्यमंत्री के कार्यकाल में हुए घोटाले को पहले अप्रत्याशित रूप से अलग-अलग केस बनाकर अलग-अलग सज़ा सुनाई गई और सारी सज़ाओं को एक साथ चलाने के बजाय एक के बाद एक चलाने का फरमान सुनाया गया. जब इतने से भी मन नहीं भरा तो चिंतनीय स्वास्थ्य के आधार पर जमानत के रास्ते बंद कर दिए गए. अपने खर्च पर भी अपने पसंद के अस्पताल में इलाज नहीं करवाने दिया गया. जब इलाज के लिए उन्हें एम्स जाना पड़ा तो अपने खर्च पर हवाई जहाज का इस्तेमाल करने से भी रोक दिया गया. एम्स में इलाज चल ही रहा था कि जैसे तैसे आनन फानन में उनकी जमानत रद्द करवा दी गई. और जब इतने में भी मन नहीं भरा तो सुविधाओं से पूरी तरह अभावग्रस्त राँची के रिम्स में ही इलाज करवाने को कहा गया.
क्या लालूजी पर एक भी आरोप साबित हुए? उनसे कोई भी पैसों की बरामदगी हुई? बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने आय से अधिक सम्पति के मामले में बरी किया. नीचे के सारे अधिकारी और मंत्री निर्दोष करार दिए गए पर केवल मुख्यमंत्री को दोषी माना गया जैसे मुख्यमंत्री स्वयं जाकर निकासी कर लेता हो अकेले! वह भी उस मामले में जिसकी जाँच के आदेश उन्होंने स्वयं दिए हों! मुद्दई को ही मुद्दालय बना दिया.

आज लालूजी को जेल मैन्युअल और मानवाधिकार का हनन करते हुए किसी से मिलने नहीं दिया जा रहा है. पूरे परहेज से बनाया हुआ घर का खाना खाने नहीं दिया जा रहा! दस कदम दूर जांचघर में उनके स्वास्थ्य सम्बन्धी सूचक जानने के लिए उनके सैम्पल नहीं भेजे जा रहे! आखिर मोदी-शाह की क्या मंशा है? जगन्नाथ मिश्रा जी और आतंक आरोपी प्रज्ञा ठाकुर जैसों को ज़मानत पर है लेकिन मोदी के तोता सीबीआई उनको ज़मानत नहीं देने देता.
कोई भाजपाईयों से पूछे लालू जी ने ग़रीबों का भला और समाज में भाईचारा स्थापित करने के अलावा क्या गुनाह किया है? यह अमानवीय अत्याचार सहने के लिए कौन सा जुर्म किया है? अगर नीतीश कुमार और मोदी का वश चले तो लालू जी को कल ही फाँसी तोड़ दे. जनता असहाय और मूकदर्शक नहीं है. जनता सब पहचान रही है. अभी हम जनता की अदालत में है और जनता लालू जी के साथ हो रहे अत्याचारों का बदला लेगी. जनता खुलकर कह रही है जो हमारे लिए लड़ा है अब हम उसके लिए लड़ेंगे. लालू जी के साथ हुई साज़िश का बदला बदलाव से लेंगे हम.


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