नरेंद्र मोदी का विरोध क्यों कर रहे हैं राज ठाकरे?


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राज ठाकरे इन दिनों नरेंद्र मोदी की आलोचना में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. वो भी तब, जब उन्होंने इस लोकसभा चुनाव अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है. राज पूरे महाराष्ट्र में मोदी के बयानों और दावों की पोल खोलते हुए नजर आ रहे हैं.

अभी हाल में राज ने मोदी के रिकॉर्ड शौचालय बनवाने के दावों पर अपनी राय जाहिर की. उन्होंने मोदी के दावों को सरासर झूठा बताया. उन्होंने रैली में कहा, “एक हफ्ते में 8.50 लाख शौचालय, मतलब एक मिनट में 84 शौचालय और हर सेकेंड में सात शौचालय बनाए गए, ये तो असंभव है.”

चुनाव लड़ने से दूरी

राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) ना तो खुद लोकसभा चुनाव में हिस्सा ले रही है और ना ही किसी के साथ गठबंधन में है. फिर वो ऐसा किस लिए कर रहे हैं. इस पर कई तरह की चर्चाएं राजनीतिक गलियारों में चल रही हैं.

ठाकरे ने अब तक अपने समर्थकों से किसी पार्टी या नेता को वोट देने की बात नहीं की है. लेकिन एक बात वे साफ तौर कहते हैं. वो अपने समर्थकों से अपील करते हैं कि मोदी और उनके दाएं हाथ अमित शाह के पक्ष में वोट ना करें.

वो कहते हैं, “अगर मोदी दोबारा सत्ता में आते हैं, तो भारतीय लोकतंत्र खतरे में आ जाएगा और तुम सब दास बना दिए जाओगे.” इस तरह के बयान देते हुए वो लगातार रैलियों में गरज रहे हैं.

ऐसी बात नहीं है कि बीजेपी ठाकरे को लेकर चुप बैठी है. झुंझलाई बीजेपी ने कहा है कि ठाकरे की रैलियों में होने वाला खर्च कांग्रेस और एनसीपी के खर्चे में जोड़ा जाए.

शिव सेना से अलगाव

काफी समय बाद राज ठाकरे महाराष्ट्र की राजनीति में इतनी सुर्खियां पा रहे हैं. ठाकरे साल 2006 में शिव सेना से अलग हुए थे. ऐसा उन्होंने शिव सेना में महत्व ना मिलने के चलते किया था.

उस समय शिव सेना प्रमुख बाल ठाकरे ने राज की जगह अपने बेटे उद्धव को पार्टी का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था. इसके बाद राज ने शिवसेना से अलग होकर एमएनएस बना ली थी.

अच्छी शुरुआत के बाद लोकप्रियता में गिरावट

राज ठाकरे का राजनीति में स्वतंत्र अवतरण भी ठीक-ठाक रहा. 2009 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 13 सीटों पर जीत दर्ज की.

इस दौरान राज खुलकर मराठी गर्व की राजनीति कर रहे थे. उनके कार्यकर्ता बिहारी प्रवासियों को पीट रहे थे. बॉलीवुड के बड़े सितारों को माफी मांगने के लिए मजबूर कर रहे थे. इस तरह की राजनीति में उन्होंने अपने चाचा बाल ठाकरे को भी चुनौती पेश कर दी थी.

लेकिन इसके बाद लगातार एमएनएस की लोकप्रियता में गिरावट दर्ज की गई. 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी सिर्फ एक सीट जीत सकी, बाद में वो इकलौता विधायक भी उनका साथ छोड़कर चलता बना.

राजनीतिक जानकारों की राय

राजनीतिक विशेषज्ञ एमएनएस के गिरते राजनीतिक महत्व को भी इन चुनावों में राज की सक्रियता का कारण मानते हैं.

मुंबई के एक राजनीतिक जानकार कहते हैं, “उद्धव पूरे साढ़े चार साल तक बीजेपी को कोसते रहे, इसके बावजूद उन्होंने उसी के साथ गठबंधन कर लिया. इससे उनके समर्थकों में ठीक संदेश नहीं गया है. अब राज जिस तरह से मोदी की खिलाफत कर रहे हैं उससे ये असंतुष्ट कार्यकर्ता एमएनएस का रुख कर सकते हैं. ये इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि आने वाले अक्टूबर में वहां विधानसभा चुनाव होने हैं.”

अगर एनसीपी नेता शरद पवार से राज के रिश्तों की बात करें तो हमेशा ही बेहतर नजर आए हैं. राज ठाकरे ने पवार को कभी विरोध के तौर पर प्रस्तुत नहीं किया है. कई बार तो राज की ओर से पवार की तरफ झुकाव के संकेत भी मिल चुके हैं.

एनएसीपी-कांग्रेस लिए नरमी

पहचान का खुलासा ना करने की शर्त पर एक वरिष्ठ एनसीपी नेता ने बताया कि एमएनएस और एनसीपी के बीच कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन में शामिल होने को लेकर थोड़ी बातचीत भी हुई है.

उन्होंने कहा, “एनसीपी और कांग्रेस की मुंबई में ज्यादा पकड़ नहीं है ना ही उनका संगठन ही इतना मजबूत है. लेकिन एमएनएस का संगठन बहुत मजबूत है. इसके बावजूद कांग्रेस उनसे गठबंधन के लिए तैयार नहीं है, क्योंकि उसे लगता है कि वे इसका खामियाजा बिहार और यूपी में भुगत सकते हैं. एनसीपी को राज के साथ जाने में कोई हिचक नहीं है, लेकिन इससे कोई प्रत्यक्ष फायदा नहीं होने वाला है. अब कांग्रेस हम से कह रही है कि हम उनके क्षेत्र में राज की रैलियां करवाएं.”

मोदी विरोध पर एमएनएस

राज ठाकरे के इस रुख को लेकर उनका अपनी पार्टी कहती है कि नरेंद्र मोदी ने विकास की झूठी तस्वीर दिखाई है. झूठे वादे किए हैं.

पार्टी की ओर से आधिकारिक बयान में कहा गया, “2014 के लोकसभा चुनाव में राज ठाकरे मोदी के ब्रैंड एंबेसडर थे. अब जब राज को एहसास हुआ है कि मोदी ने गुजरात की झूठी तस्वीर दिखाई है, तब राज को उससे बहुत दुख हुआ है. इसलिए वो लगातार मोदी और शाह का विरोध कर रहे हैं. हमारा किसी पार्टी से गठबंधन नहीं है लेकिन अगर कोई मोदी का विरोध करता है तो निश्चित तौर पर हमें उससे फायदा होगा.”

वैसे ये एक तरह से राज का यू टर्न है. वो 2011 में गुजरात के दौरे पर गए थे और वहां के विकास की तारीफ की थी. लेकिन अभी कुछ दिन पहले उन्होंने विपक्ष से एकजुट होने की अपील की है और मोदी मुक्त भारत की बात भी कही है.


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