राजस्थान विधानसभा में लिंचिंग रोकने संबंधित विधेयक पेश


four sentenced to death in jaypur serial blasts case

 

देश भर में बढ़ रहे मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए राज्यस्थान सरकार कड़ा कानून लाने जा रही है. राजस्थान विधानसभा में लिंचिंग रोकने और पीड़ितों के पुनर्वास संबंधित ‘राजस्थान लिंचिंग से संरक्षण विधेयक, 2019’ पेश किया गया है.  पांच अगस्त को बहस के बाद यह विधेयक पारित होगा.

विधेयक में मॉब लिंचिंग पीड़ित की मृत्यु होने की स्थिति में आजीवन कारावास और एक से पांच लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. लिंचिंग में पीड़ित को घायल करने वालों को सात साल तक की सजा और एक लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान विधेयक में किया गया है. लिचिंग में पीड़ित के गंभीर रूप से घायल होने की स्थिति में 10 साल तक की कैद और 50 हजार से तीन लाख रुपये तक का जुर्माना होगा.

विधेयक में लिंचिंग से संरक्षण के साथ-साथ ही व्यापार और कारोबार का बहिष्कार करने को भी दंडनीय अपराध बनाया है. इसमें सोसाइटी से अलग करना और मूल अधिकारों से वंचित करना या उसकी धमकी देना भी शामिल है.

विधेयक में धर्म, जन्मस्थान, भाषा या किसी अन्य पहचान के आधार पर पीटने को दंडनीय बनाया गया है.

इसके साथ ही मॉब लिंचिंग का षड्यंत्र करने वाले को भी समान रूप से दंडित करने का प्रावधान किया गया है.

मॉब लिंचिंग की घटना के वीडियो और फोटो प्रसारित करने के मामले में एक से तीन साल की सजा और 50 हजार के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है.

मॉब लिंचिंग के गवाहों को जान-माल की क्षति पहुंचाने या धमकाने को भी दंडनीय अपराध बना दिया गया है. गवाहों को धमकाने पर दोषी को पांच साल तक की जेल की सजा और एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान  है. मॉब लिंचिंग अपराधों को अजमानतीय बना दिया गया है. गवाहों की पहचान गुप्त रखी जाएगी और उन्हें दो बार ही गवाही देने की छूट होगी.

मॉब लिंचिंग की जांच पुलिस निरीक्षक या उससे ऊपर के अधिकारी करेंगे.

इसके साथ ही मॉब लिंचिंग पीड़ित के पुनर्वास और 50 से अधिक लोगों के विस्थापन होने की स्थिति में शिविर लगाने का प्रावधान है.


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