आतंकवाद के खिलाफ यूएपीए संशोधन विधेयक राज्यसभा में पारित


citizenship amendment bill also passed in rajyasabha

 

राज्यसभा में शुक्रवार को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी (यूएपीए) विधेयक पारित ‌हो गया है. वोटिंग के दौरान 147 वोट पक्ष में और 42 वोट विपक्ष में पड़े. सदन ने विपक्ष की ओर से इसे सेलेक्ट कमेटी में भेजने के प्रस्ताव को 85 के मुकाबले 104 मतों से खारिज कर दिया. लोकसभा से इसे पिछले सप्ताह ही मंजूरी मिल गई थी.

इस बिल के तहत किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने और आतंकवाद की जांच के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को संपत्ति जब्त करने सहित कई अधिकार दिए गए हैं.

चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता और संसद के हर सदस्य को इसका समर्थन करना चाहिए ताकि इसके खिलाफ सख्त से सख्त कदम उठाए जा सकें.

अमित शाह ने क्रियाकलाप निवारण संशोधन (यूएपीए) विधेयक के प्रावधानों के दुरुपयोग की आशंकाओं को निराधार करार दिया. उन्होंने समझौता एक्सप्रेस विस्फोट मामले का उदाहरण देते हुए तत्कालीन कांग्रेस नीत सरकार पर आतंकवाद को एक धर्म विशेष से जोड़ने की कोशिश करने का आरोप लगाया. विधेयक के प्रावधानों का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि इसके प्रावधान जांच एजेंसियों को आतंकवाद से चार कदम आगे रखने के लिए हैं.

राज्यसभा में इस सप्ताह यह दूसरा अवसर है जब कई विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद उच्च सदन में संख्या बल नहीं होने के बावजूद सत्ता पक्ष को विवादास्पद विधेयक पारित कराने में सफलता मिली है.

इससे पहले सरकार 30 जुलाई को तीन तलाक संबंधी विधेयक को उच्च सदन में पारित कराने में कामयाब रही थी. इसी सत्र में आरटीआई कानून में संशोधन विधेयक को पारित करने में सरकार को सफलता मिली थी जिसे लेकर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जतायी थी.

विधेयक में किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने के प्रावधान के दुरूपयोग होने की आशंका को निर्मूल ठहराते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने विधेयक पर हुई चर्चा के जवाब में कहा कि आतंकवाद से मुकाबले के लिए ऐसा करना जरूरी है. उन्होंने कहा कि कानून में यदि इस तरह का प्रावधान 2009 में रहा होता तो कोलकाता पुलिस की ओर से पकड़ा गया कुख्यात आतंकवाद यासीन भटकल कभी नहीं छूट पाता और आज एनआईए की गिरफ्त में होता.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने शाह से स्पष्टीकरण पूछते हुए कहा कि इस विधेयक में किसी व्यक्ति को किस स्थिति में आतंकवादी घोषित किया जाएगा, इसे लेकर कोई स्पष्टता नहीं है. इस पर गृह मंत्री ने कहा कि विधेयक में कुछ अस्पष्टता अवश्य है लेकिन यह स्थिति की जटिलता के कारण है. उन्होंने कहा कि मान लीजिए कि हम यह कहें कि पूछताछ के बाद किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करेंगे तो इस शर्त पर हम हाफिज सईद या दाऊद इब्राहिम को कैसे आतंकवादी घोषित कर पायेंगे, क्योंकि उससे पूछताछ करना अभी संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि परिस्थितिजन्य आधार पर यह तय किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने के बाद भी कई स्तर पर इसकी समीक्षा होगी. यह समीक्षा चार स्तरों पर होगी इसलिए इसे लेकर शंका नहीं की जानी चाहिए.

शाह ने कहा कि संशोधन के बाद इस कानून के तहत एनआईए सहित केन्द्र और राज्य, दोनों की एजेंसियां आतंकवादी गतिविधियों की जांच कर सकेंगी.

इस विधेयक में एनआईए द्वारा किसी मामले की जांच किए जाने पर एजेंसी के महानिदेशक को संपत्ति की कुर्की के लिए मंजूरी देने का अधिकार दिया गया है.

शाह ने स्पष्ट किया कि एनआईए ने गत 31 जुलाई तक 278 मामले दर्ज किए. इनमें से 204 मामलों में आरोप पत्र दायर किया गया है और 54 मामलों में फैसला आ गया है. उन्होंने बताया कि 48 मामलों में सजा सुनायी गयी है. यह दुनिया की किसी भी जांच एजेंसी की सर्वाधिक सफलता की दर (91 प्रतिशत) है.

विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के सदस्यों ने इस विधेयक के प्रावधानों को संशोधित करने के पीछे सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं.


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