सरकारी खर्चे को पूरा करने में होगा आरबीआई की आरक्षित पूंजी का इस्तेमाल: नोमुरा
बिमल जालान कमिटी ने रिजर्व बैंक की तीन खरब (तीन ट्रिलियन) रुपये की आरक्षित पूंजी सरकार को देने का प्रस्ताव दिया है. एक रिपोर्ट में इस पूंजी का इस्तेमाल सरकार के नियमित खर्चे को पूरा करने का अनुमान लगाया गया है. हालांकि कमिटी की रिपोर्ट अबतक सार्वजनिक नहीं हुई है.
जापान की ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा की रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई की पूंजी तीन साल में सरकार को हस्तानांतरित की जाएगी, ज्यादा उम्मीद है कि इसका इस्तेमाल नियमित सरकारी खर्च को पूरा करने में होगा.
ब्रोकरेज कंपनी ने कहा, ‘‘बाजार की उम्मीदों के अनुसार रिजर्व बैंक के पास पड़ी आरक्षित पूंजी में से तीन लाख करोड़ रुपये तीन साल की अवधि में किस्तों में दिये जाएंगे. हालांकि हमारा मानना है कि अंतत: कोष का हस्तांतरण कम होगा.’’
दिसंबर, 2018 में आरबीआई के लिए उपयुक्त आर्थिक पूंजी ढांचा बनाने के लिए बिमल जालान कमिटी का गठन किया गया था. लगातार तीसरी बार कमिटी की समय सीमा बढ़ाने के बाद इसके अगले महीने आने की संभावना है.
रिपोर्ट के मुताबिक 45 फीसदी संभावना है कि धन का इस्तेमाल नियमित सरकारी खर्चों को पूरा करने में किया जाएगा और केवल 20 फीसदी संभावना है कि रिजर्व बैंक की पूंजी का इस्तेमाल बैंकों में पूंजी डालने में होगा. वहीं 25 प्रतिशत संभावना है कि इसका प्रयोग रिजर्व बैंक के कर्ज को खत्म करने में किया जा सकता है.
आरबीआई की आरक्षित पूंजी का इस्तेमाल संकट में पड़े सरकारी बैंकों को उबारने में किए जाने को लेकर चर्चा होती रही है. पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम इस विचार का पहले भी समर्थन कर चुके हैं.
पूर्व गवर्नर बिमल जालान चेयरमैन और पूर्व डिप्यूटी गवर्नर राकेश मोहन जालान कमिटी के वाइस चेयरमैन हैं. इसके साथ ही वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग, डिप्यूटी गवर्नर एनएस विश्वनाथन और आरबीआई बोर्ड के सदस्य भारत दोशी और सुधीर मनकद कमिटी के सदस्य हैं.
पूर्व आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल और सरकार के बीच केन्द्रीय बैंक की आरक्षित पूंजी को लेकर मतभेद उभर के सामने आए थे. पटेल के बाद बने गवर्नर शक्तिकांत दास ने जालान कमिटी का गठन किया था. कमिटी ने विश्व भर में केन्द्रीय बैंक की आरक्षित अतिरिक्त पूंजी के इस्तेमाल के अध्ययन के बाद रिपोर्ट तैयार की है.
वित्त मंत्रालय का मानना है कि केन्द्रीय बैंक के पास अतिरिक्त 28 फीसदी सकल पूंजी है. वहीं वैश्विक स्तर पर यह 14 फीसदी है.