वैश्विक गरीबी खत्म करने के लिए धन का बंटवारा जरूरी: रिपोर्ट
पिछले दो दशकों में विश्व भर में अत्यंत गरीबी में रहने वालों की संख्या में भारी कमी आई है. विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार 1990 में जहां 36 फीसदी लोग अत्यंत गरीब थे, वहीं 2015 में इनका हिस्सा केवल 10 फीसदी रह गया है. लेकिन पिछले कुछ सालों में अत्यंत गरीबी घटने की दर में काफी कमी आई है. इससे 2030 तक पूरे विश्व से गरीबी मिटाने का संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्य का पूरा होना मुश्किल नजर आ रहा है.
क्रिस्टोफर लैंकर और दूसरे विद्वानों द्वारा लिखे गए एक वर्ल्ड बैंक पेपर में कहा गया है कि अगर इस लक्ष्य को हासिल करना है तो हमें धन के पुनर्वितरण पर आधारित आर्थिक विकास को अपनाना होगा. पेपर में कहा गया है कि लगातार बढ़ती जा रही आर्थिक असमानता तेज आर्थिक विकास के सहारे गरीबी मिटाने की राह में सबसे बड़ा अवरोध है.
164 देश, जहां विश्व की लगभग 97 फीसदी जनसंख्या रहती है, के डेटा का इस्तेमाल करके शोधकर्ताओं ने आर्थिक वृद्धि और असामनता के आधार पर 2018 से 2030 के बीच गरीबी मिटाने का प्रारूप प्रस्तुत किया है. उन्होंने आर्थिक असामनता मापने के लिए गिनी इंडेक्स का प्रयोग किया है.
शोधकर्ताओं ने पाया है कि एक वर्ष में प्रत्येक देश की अनुमानित जीडीपी वृद्धि दर को एक फीसदी से बढ़ाने से ज्यादा अगर इसके गिनी इंडेक्स में एक फीसदी की कमी कर दी जाए तो इससे वैश्विक गरीबी पर ज्यादा प्रभाव पड़ेगा.
उन्होंने पाया है कि ऐसा करने पर 2030 तक वैश्विक गरीबी में 5.4 फीसदी की कमी आ जाएगी. इससे 10 करोड़ लोग अत्यंत गरीबी से बाहर निकल आएंगे.